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खूब जमा रंग कौमी एकता का कवि सम्मेलन एवं मुशायारे में

दीपावली स्नेह मिलन के अवसर पर कौमी एकता पर आधारित  कवि सम्मेलन एवं मुशायरे

 

05 नवम्बर 2022, उदयपुर, भारतीय लोक कला मण्डल में दीपावली स्नैह मिलन के अवसर पर आयोजित किये गए कवि सम्मेलन एवं मुशायरे  में आमंत्रित कवियों ने खूब रंग जमाया।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर एवं नवकृति संस्था उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय लोक कला मण्डल में दीपावली स्नेह मिलन के अवसर पर कौमी एकता पर आधारित  कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में संस्था के मानद सचिव सत्य प्रकाश गौड़ ने मुख्य अतिथि श्रीमती पूर्णिमा बोकड़िया, अध्क्षय डॉ. प्रेम भण्डारी एवं विशिष्ट अतिथि उस्ताद रशीद अहमद जयपुरी एवं गणमान्य अतिथियों, कवियों एवं शायरों का स्वागत किया। उसके पश्चात सभी अतिथियों एवं गणमान्य कवियों एवं शायरों ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
 

समारोह की मंच संचालिका अमृता बोकड़िया ने कार्यक्रम में आमंत्रित कवियों एवं शायरों का आमजन से परिचय करवाया। उसके पश्चात इकबाल हुसैन इकबाल. ने. कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की उसके बाद उन्होंने आईना धुंधला ही रहने दो जनाब़ गज़ल पढ़ी, उसके बाद पंडित नरोत्तम व्यास ने चोट लगी दर्द हुआ, दुनिया ने पत्थर मारे.....,जगदीश तिवारी ने  सब पे नज़र रखे वो सब का हबीब है.... तरन्नुम में प्रस्तुत की तो साकेत कुमार, ‘‘राम’’  ने ज़ख्म तो इतना ही बस काफी नहीं मुझको दुःख मेरा ही बस काफी नहीं...., अरूण त्रिपाठी ने एक लम्हा जी लो तुम फिर सदियों की बाते करना...., बिलाल पठान‘‘ वास्कोडिगामा’’ ने  ये आग ही नहीं, ये पानी भी गर्म मिजाज होना चाहिए। मशालों ने ठेका नहीं ले रखा है फूलों में भी इंकलाब होना चाहिए....,अमृता बोकड़िया ने मकसद नहीं मेरा कोई मुद्धा उछालना कोशिश है मेरी, बस कुछ लोगों का नज़रिया बदलना...,  सागरमल सर्राफ ने तुम्हारे चाहने भर से, खु़दा खुश तो नहीं होगा....,कल्पित मुद्गल ने इन हवाओं को भी कोई बस में करे, इन को मालूम हो दम के घुटने का दुःख... तो कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथी एवं कवि उस्ताद रशीद अहमद जयपुरी ने देखने कोई सरेबाम तो आ जाता है, दिल है दिवाना मगर काम तो आ जाता है अपनी ग़जल सुनाकर कार्यक्रम का समा बांधा इसके साथ ही डॉ. रेणु सिरोया , अनिता भानावत ‘‘अन्ना’’, डॉ. इस्हाक फुर्कत जैसे प्रसिद्ध कवि एवं शायरों कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। 

उन्होंने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल एवं नवकृति संस्था द्वारा इस आयोजन का मुख्य उद्धेश्य शहर के कवि एवं शायरों को एक मंच पर लाकर उर्दू एवं हिन्दी भाषा के कलाम प्रस्तुत कर भारत की गंगा जमनी तहज़ीब को प्रस्तुत करने के साथ कौमी एकता का पैगाम देना था जो काफी हद तक सफल भी हुआ। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार के आयोजन और भी किए जाएगें।