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स्व. रियाज़ तहसीन की स्मृति आयोजित सांस्कृतिक संध्या में नाटक जुबली ने बिखरा हास्य रस

स्व. रियाज़ अहमद तहसीन साहब एक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद्, कला मर्मज्ञ, उद्योगपति, गाँधीवादी विचारक

 

उदयपुर, 18 सितम्बर 2022। भारतीय लोक कला मण्डल में स्व. रियाज़ अहमद तहसीन की स्मृति में भव्य सांस्कृतिक भव्य संध्या के आयोजन में नाटक जुबली ने दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट किया।
 

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि स्व. रियाज़ अहमद तहसीन साहब एक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद्, कला मर्मज्ञ, उद्योगपति, गाँधीवादी विचारक थे। वे भारतीय लोक कला मण्डल के मानद सचिव एवं उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे। उनकी स्मृति में उनकी जयंति की पूर्व संध्या पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

उन्होंने बताया कि सोवियत रूस के समय साहित्य ख़ासकर नाटक विद्या बहुत प्रसिद्ध थी रशियन नाटककार एन्तोन चेखव ने बहुत ही प्रसिद्ध कहानियाँ एवं नाटक लिखे है। उनकी कहानियों में एक प्रसिद्ध कहानी है ‘‘एनिवर्सरी’’ जिसको समय-समय पर विभिन्न दलों और निर्देशकों ने अपने-अपने तरह से किया है। ‘‘रंग पृष्ठ संस्था द्वारा इस कहानी को अपने तरीके से बहुत ही रोमांचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। निर्देशक प्रबुद्ध पांडे ने इसकी रूपरेखा इस प्रकार बनायी है कि नाटक प्रारम्भ से अंत तक दर्शकों को गुदगुदाता रहता है और वर्तमान शासन एवं कार्यालय व्यवस्था पर कटाक्ष व्यंग करता है। नाटक में एक बैंक की सिल्वर जुबली के दृश्य को बताने का प्रयास किया गया है। जिसमें बैंक मैनेजर सूरज, बैंक के चेरमेन एवं अन्य सदस्यों द्वारा अपने आपकों सम्मानित करवाना चाहता है। जिस हेतु मेडल एवं पुरुस्कार राशी, वह स्वयं की अपनी जेब से देता है।

बैंक का सबसे पुराना कर्मचारी तेजाजी बैंक के सारे कार्य करता है। जिसका सारा क्रेडिट बैंक मैनेजर ‘‘सुरज’’ ले लेता है। जिस कारण तेजाजी एक तो काम के बोझ के तले दबे रहते है और निराशा के कारण घर की परिस्थितिया भी अनुकुल नहीं रह पाती। जिस कारण वह महिलाओं से चिढ़े रहते है। परन्तु मैनेजर ने ग्राहकों को आकर्षित करने एवं माहोल बनाने के लिए महिलाओं को कर्मचारी के तौर पर रख लिया है तथा समय-समय पर मैनेजर की पत्नी कोयल भी बैंक में आकर तेजाजी को डिस्ट्रब करती रहती है। सिल्वर जुबली कि तैयारी चल रही होती है कि एक बुर्जुग महिला ‘‘पेमली’’ जिसके पति आर्मी में थे अपने पति कि बकाया राशि मांगने बैंक चली जाती है। जबकि उसे उक्त राशि के लिए आर्मी ऑफिस जाना चाहिए था। परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनती है। जुबली में बैंक का कार्यालय जहाँ सजा- धजा होना चाहीए वहां गड़बड़ हो जाती है।

ऐसे में अचानक चेयरमैन साहब पधार जाते है और हालात देख हतप्रभ रह जाते हैं। उक्त नाटक को दिनांक 17 सितम्बर को प्रीमियर किया गया था जबकि आज इसका दूसरा मंचन भारतीय लोक कला मण्डल के पूर्व मानद सचिव एवं उपाध्यक्ष स्व. रियाज़ अहमद तहसीन के जयंति की पूर्व संध्या पर पुनः किया गया।  नाटक की मुख्य भूमिका में भूपेन्द सिहं चौहान, रोहित राठौड़, भवदीप जैन, दिशांत पटेल, प्रियल जानी, शिवांगी तिवारी, स्नेहा आदि थे। वेशभूषा अनुकम्पा लईक, प्रकाश - कुनाल मेहता, सेट कल्याण वैष्णव एवं दिव्यांशु नागदा आदि थे।
 

नाटक से पूर्व गाँधी जी के भजन, देश भक्ति गीत भारतीय लोक कला मण्डल के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किये गए। उसके पश्चात दुष्यंत कुमार द्वारा लिखित स्व. रियाज़ साहब की पसंदीदा गज़ल ‘‘ कहाँ तो तय था चिराग़ा’’ पर रंगपृष्ठ डांस स्टूडियों के बच्चों द्वारा श्रीमती शिप्रा चटर्जी के निर्देशन में नृत्य किया गया। कार्यक्रम के पहले स्व. रियाज़ अहमद तहसीन साहब की तस्वीर पर माल्यापर्ण कर श्रृद्धांजलि दी गयी तो तो रियाज़ तहसीन साहब के भाई ‘‘रज़ा तहसीन एवं रियाज़ साहब की पत्नी सकीना तहसीन का स्वागत भारतीय लोक कला मण्डल के मानद सचिव सत्य प्रकाश गौड़ द्वारा किया गया।