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शिल्पग्राम में तीन दिवसीय ‘मल्हार’ शुरू 

राग मियां मल्हार से ऋतु स्मरण

 

उदयपुर, 6 सितंबर 2022 । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य उत्सव ‘मल्हार’ मंगलवार को शुरू हुआ पहले दिन पद्मश्री सुमित्रा गुहा ने अपने गायन में मल्हार को सुरों से जीवंत बनाया। 

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में आयोजित मल्हार का उद्घाटन सुमित्रा गुहा व साथी कलाकारों एवं निदेशक किरण सोनी गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इसके बाद वर्ष 2010 में पद्मश्री से सम्मानित और किराना घराने की प्रसिद्ध गायिका सुमित्रा गुहा ने अपने मधुर अंदाज में स्वयं का प्रिय राग मियां मल्हार में पारंपरिक बंदिशें सुनाई उन्होंने पहले विलम्बित एक ताल में ‘करीम नाम तेरो’ सुना कर श्रोता दर्शकों के मानस पर दस्तक सी दी। इसके बाद उन्होंने तीन ताल में निबद्ध ‘काहे ताड़ ली बरखा ऋतु में भीजत नैना...’ सुना कर बिरहनी के मनोभावों को अभिव्यक्त किया।

आंध्र प्रदेश में जन्मी कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत में समान दखल रखने वाली और कर्नाटक संगीत को हिन्दुस्तानी संगीत में प्रस्तुत करने की इनकी कला को संजोने वाली सुमित्रा गुहा ने इसके बाद देश राग में तीन ताल में निबद्ध अद्दा पेश किया। ‘चलो कोकिला मधुमास आया..’ के बोलों में सुमित्रा की गायकी गहराई और अंदाज बखूबी उभर कर आया। 

उदयपुर में तकरीबन डेढ़ दशक बाद दोबारा प्रस्तुति देने आई पद्मश्री सुमित्रा गुहा ने इस अवसर पर मीरा का प्रसिद्ध पद ‘राधे रानी दे डारो मोहे बांसुरिया’ सुरीले अंदाज में पेश किया। इसके पश्चात सुमित्रा ने कर्नाटक संगीत की रागों को हिन्दुस्तानी में तब्दील करते हुए अपना गायन प्रस्तुत किया। पद्मश्री सुमित्रा गुहा के साथ तबले पर पं. अनिन्दु चटर्जी के शिष्य सुमन चटर्जी ने संगत की वहीं सारंगी पर एहसान अली तथा हारमोनियम पर राजेन्द्र बनर्जी ने संगत की। इस अवसर पर केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने अतिथि कलाकारों का स्वागत किया तथा पोर्ट फोलियो भेंट किया।

मल्हार के दूसरे दिन बुधवार शाम मुंबई के बांसुरी वादक पारस नाथ द्वारा बांसुरी पर फ्यूजन प्रस्तुत करेंगे।