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बीकानेर थियेटर फेस्टिवल में उदयपुर का प्रतिनिधित्व करके लौटे सुनील टांक

देश विदेश से नाटको की प्रस्तुतियां

 

बीकानेर थियेटर फेस्टिवल में उदयपुर रंगमंच से सुनील टाँक को हर वर्ष आमंत्रित किया जाता रहा है, जहाँ इस बार भी उन्हें आमंत्रित किया गया।  इस बार यह 7 वाँ बीकानेर थियेटर फ़ेस्टिवल था जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँच चुका है।  यहाँ देश विदेश से नाटको की प्रस्तुतियां होती है एवं  रंगमंच व साहित्य से जुड़े लोग इस नाटकों का महाकुंभ बीकानेर में सम्मिलित होते है। 

इस बार यह बीकानेर थियेटर फेस्टिवल और भी बड़ा रूप  लिए था  जहाँ देश के अलग अलग कोने से व विदेशों से नाटक बुलायें गये जिनकी 5 दिन में 25 नाटकों की प्रस्तुतियाँ हुई। वहीं लोक कलाओं के रंग भी देखे गये  साथ ही साहित्य व रंगमंच पर रंग संवादो का दौर भी था।  जिनमे देश के जाने माने साहित्यकार व रंगकर्मी से विभिन्न पहलुओं पर बात हुई जिनमे नंद किशोर आचार्य, मधु आचार्य, संजयपुरोहित, हरीश बी शर्मा, विजय नाइक, प्रदीप भटनागर, गोपाल आचार्य, रवि चतुर्वेदी, अरु व्यास, सुनिल टाँक जेसे आदी लोग सम्मिलित थे। 

जहाँ सुनील टाँक ने हर वर्ष की भाँति इस बार भी उदयपुर रंगमंच का प्रतिनिधित्व किया  और आधुनिक रंगमंच पर व्यक्तव दिया। जहाँ समाज में रंगमंच के जुड़ाव विषय पर बात की। सुनिल टाँक कहना है की बीकानेर थियेटर फेस्टिवल में पाँचो दिन सुबह 7 बजे से रात को 11 बजे तक रंगमंच में ही बीतता था, इस तरह का आयोजन देश भर में बहुत कम होते है। इस तरह बीकानेर थीयटर फ़ेस्टिवल जो कि राजस्थान से देश के गौरव के रूप में उभरा है व देश विदेश में अपनी पहचान बना चुका है। 

यह फ़ेस्टिवल इस बार मुंबई के पृथ्वी थियेटर की संचालक व फिल्म अभिनेता स्व. शशि कपूर की बेटी संजना कपूर को समर्पित था।  वही 2 वर्ष पूर्व यह बीकानेर थीयटर फ़ेस्टिवल देश की जानी मानी रंगमंच शख़्सियत भानु भारती को समर्पित था, जिन्होंने उदयपुर रंगमंच मेवाड़ की लोक कलाओं को एक नई करवट के साथ नई ऊँचाई दी एवं पुरे दुनियाँ भर में पहचान दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

ग़ौरतलब है कि सुनील टाँक उदयपुर रंगमंच में एक नाट्य निर्देशक है जो उदयपुर रंगमंच को आगे बढ़ाने में लगे हुए है, और यहाँ के रंगमंच के माध्यम से कलाकारों को अभिनय व निर्देशन  कर देश विदेशों में रंगमंच व सिनेमा में पहचान दिलाना चाहतें है !