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दो दिवसीय अखिल भारतीय काव्य समागम एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य समापन

समाज को वैचारिक तौर पर समृद्ध बनाने का सशक्त माध्यम है साहित्य- हरिहर
 

उदयपुर, 16 सितंबर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष विष्णु शर्मा हरिहर ने कहा कि साहित्य सृजन समाज को एक नई दिशा देता है, समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है और समाज को वैचारिक बल भी देता है और इसी से राष्ट्रवाद की संकल्पना नया रूप लेती है। हरिहर सोमवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग, साहित्य विकास परिषद अहमदाबाद व अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अखिल भारतीय काव्य समागम 2024 एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी  के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।  

इस मौके पर उन्होंने कहा कि साहित्यकार और युवा पीढ़ी नीर क्षीर विवेक को अपनाते हुए वर्तमान प्रसंगों की आवश्यकता को समझें और तदनुरूप राष्ट्रवाद की विचारधारा को आत्मसात करें।उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब साहित्यकारों को निर्बाध गति सेस्वयं को मांँ और माटी से जोड़ते हुए अपने लेखन में प्रकृति के पोषण के संदर्भों को साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिखने पड़ेंगे। मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने के लिए जिन तत्वों को स्थापित करना है उन पर स्पष्ट होकर पद्य तथा गद्य की विभिन्न विधाओं में इस प्रकार की रचनाएं लिखनी होगी जिंसे व्यक्ति का आत्मबल मजबूत हो तथा उसमें सबके हित की भावना का विकास हो। साहित्यकार अपना धर्म समझेें स्वयं भी प्रगति करें और औरों को भी प्रगति करने में सहयोग करें।  इस प्रकार के सृजन के माध्यम से हर व्यक्ति  को श्रेष्ठ मानव बनाने की कार्य में अपनी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से,अब साहित्यकारों को लग जाना चाहिए इसी से साहित्यकार अपनी आंतरिक चेतना को अपने अनुभव से जोड़कर व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र तथा संपूर्ण विश्व का कल्याण कर सकेगा। यह तभी संभव है जब भारतीय दर्शन तथावांग्मय को पढ़कर अपने अनुभव से सिद्ध करते हुए वर्तमान परिस्थितियों  आवश्यकताओं के अनुसार साहित्यकार अपने सृजन धर्म का निर्वहन करेगा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के संस्मरणों को उद्घाटित करते हुए भारतीय संस्कृति के आदर्शों को सार्वभौमिक व सार्वकालिक बताया और कहा कि मनुष्य का जन्म परोपकार के लिए हुआ है।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सुखाड़िया विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर पूरणमल यादवने भारतीय और पश्चिमी संस्कृति व सभ्यता की विशेषताआंे के साथ विसंगतियों को उजागर किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में इस संगोष्ठी आयोजन की सराहना भी की। विशिष्ट अतिथि संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने सभ्यता के नाम पर पैदा हो रही विसंगतियों के बीच राष्ट्रवाद को केन्द्र में रखकर हो रहे अखिल भारतीय काव्य संगम और राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रयासों की प्रासंगिकता उजागर की।

समापन समारोह का संचालन आयोजक कपिल पालीवाल ने किया। राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुए दो दिवसीय अखिल भारतीय काव्य समागम एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी में आभार प्रदर्शन की रस्म संयोजक डॉ. आशीष सिसोदिया ने अदा की।

विभिन्न सत्रों में हुआ विचार मंथन:

अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रांत,  साहित्य विकास परिषद अहमदाबाद व हिंदी विभाग के साझे में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय काव्य संगम और राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विचार सत्र-‘साहित्य और राष्ट्रवाद’ का विषय परिवर्तन करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ नवीन नंदवाना ने कहा कि बदलते तकनीकी दौर में सोशल मीडिया के कंटेंट पर पैनी नजर रखना जरूरी है। यही सामग्री हम बच्चों और युवाओं को दिमाग की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए दे रहे हैं। जो नकारात्मक है वह समाज पर बुरा असर डालती है और सकारात्मक है तो रचनात्मक योगदान कर जाती है। उन्होंने इंटरनेट पर हिंदी की ताकत को भी बताया। हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आशीष सिसोदिया ने कहा कि राष्ट्रवाद की अवधारणा को साहित्य से पुष्ट किया जा सकता है, क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण है, और यही जन-जन तक अपनी बात पहुंचाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद के उपाध्यक्ष डॉ.रवींद्र उपाध्याय ने कहा कि समाज को हम विभिन्न समस्याओं से ग्रसित देखते हैं लेकिन उसका समाधान प्रस्तुत नहीं करते। साहित्यकार अपनी कलम के जरिए समाज के सशक्तिकरण की दिशा में अपना योगदान दें और समस्याओं के समाधान का मार्ग भी प्रशस्त करें तभी राष्ट्रवाद और साहित्य की अवधारणा को बल मिलेगा। सत्र के संयोजक और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांत मीडिया प्रमुख डॉ. कुंजन आचार्य ने कहा कि हमें अपने समाज और राष्ट्र पर गर्व करते हुए उसकी यशोगाथा अपनी रचनाओं में प्रस्तुत करना चाहिए ताकि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर हम अपने राष्ट्र की एक उजली और विशिष्ट छवि प्रस्तुत कर सकें और राष्ट्रवाद की भूमिका को और प्रमुखता से रेखांकित कर सकें।

द्वितीय सत्र में साहित्य व कला में सोशल मीडिया व राष्ट्रवाद पर चर्चा की गई। इसमें प्रतिभागी हिंदी विभाग की सह आचार्य डॉ. नीतू परिहार, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा, वास्तुकार व स्केचर सुनील लढ्डा के साथ शिल्पकार हेमंत जोशी ने विचार रखें। इस सत्र में वक्ताओं ने राष्ट्रवाद और छद्म राष्ट्रवाद की परिकल्पना के साथ सभ्यता के नाम पर सोशल मीडिया के युग में आए परिवर्तन पर चर्चा की और कहा कि साहित्यकारों और युवाओं को इन स्थितियों को समझना होगा। इस सत्र का संचालन कहानीकार रजत मेघनानी ने किया। इस मौके पर दीपक दीक्षित, विनय दवे, राहुल माली, चिन्मय दीक्षित, ऋपुदमन सिंह, डॉ. गोपाल वैष्णव सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार मौजूद थे। इससे पूर्व कार्यक्रम आयोजक कपिल पालीवाल ने इस दो दिवसीय आयोजन के विभिन्न सत्रों के कार्यक्रमों की जानकारी दी और इस साहित्यकार समागम के मूल मंतव्य और प्रासंगिकता को उद्घाटित किया।

काव्य प्रस्तुतियों ने बांधा समांः  

कार्यक्रम के दूसरे दिन भी देश के 8 राज्यों से आए कवियों की प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। उदयपुर के कवि ब्रजराजसिंह जगावत ने प्रताप पर वीर रस की कविता की प्रस्तुति दी वहीं लखनउ के कवि कृष्णकुमार सरल ने विभिन्न रसों की कविताओं के माध्यम से लोगों को आकर्षित किया। इस दौरान कवि एवं सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डॉ. कुंजन आचार्य ने श्रृंगार रस का गीत प्रस्तुत कर माहौल को रसमय बनाया। इसी प्रकार संगोष्ठी आयोजक कपिल पालीवाल, संयोजक डॉ. आशीष सिसोदिया ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को सम्मोहित किया।

हेरिटेज वॉक विद फूड ट्रेल ने किया आकर्षित:

कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत सोमवार अलसुबह  हेरिटेज वॉक विद फूड ट्रेल के साथ हुई। इसमें हेरिटेज वॉक एक्सपर्ट चिन्मय दीक्षित ने काव्य समागम में आए सभी अतिथियों को शहर की हेरिटेज के बारे में जानकारी प्रदान की। इस दौरान अखिल भारतीय साहित्य परिषदचित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष विष्णुशर्मा हरिहर, प्रदेश उपाध्यक्ष रविन्द्र उपाध्याय, अहमदाबाद से मन कुमार, कृष्णकुमार सरल, कमल राठौड़, विश्वजीत पानेरी, प्रदीप पानेरी, कपिल पालीवाल,डॉ. आशीष सिसोदिया, शिवदानसिंह जोलावत सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार मौजूद रहे और लुत्फ उठाया।