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बोहरा यूथ गर्ल्स विंग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम

बोहरवाड़ी स्थित बोहरा यूथ कम्युनिटी हॉल में हुआ कार्यक्रम

 

उदयपुर 10 मार्च 2023 । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर गुरुवार को बोहरा यूथ गर्ल्स विंग द्वारा दुवारा बोहरा कम्युनिटी हॉल में समता संवाद (आईए, नया संसार बनाएं) का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम में राज्य अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सचिव प्रोफेसर सुधा चौधरी ने कहा की महिलाओं को अपनी जंजीरों को तोड़ने के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है। अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हुए उन्होंने कहा की कई महिलाओं के एक बड़े वर्ग को अपने परिवार, कार्यस्थल पर और राजनीतिक जगहों पर भी अपनी उम्र, जाति, रंग, धर्म, शिक्षा, सामाजिक आर्थिक स्थिति व अन्य आधारों पर भेदभाव के अतिरिक्त रूपों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा की अत्याचारी ताकतों से लड़ने और उनकी जंजीरों को तोड़ने के लिए। “महिलाओं को जाति और धर्म के संकीर्ण विभाजनों से परे एकजुट होने की आवश्यकता है। संवैधानिक होने के बावजूद भी महिलाओं को लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है। इसका एक उदाहरण है विमेंस रिजर्वेशन बिल जो कि निवर्तमान केंद्र सरकार की पितृसत्ता रवैये का परिचायक है। वे कहती है की इतने अनगिनत प्रयासों के बावजूद भी कई स्तरों पर महिलाओं की बेड़ियां अभी भी सख्त हैं।

उर्दू के शायर और बोहरा यूथ के वरिष्ठ नेता आबिद हुसैन अदीब कहते है की बोहरा यूथ ने एक मुहीम चलाई थी जिसमे महिलाओं के हित के लिए इन सभी विवादों के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ी और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के कारण ही कट्टरपंथी ताकतें विफल हो सकीं। 

उर्दू की प्रसिद्ध उपन्यासकार और कथाकार डॉ सरवत खान ने बताया की सभी महिलाओं को अपने विचारो को व्यक्त करना उन्हें लिखना आना चाहिए। केवल लिखित शब्द ही समय की मार से बचे रहेंगे।  

वरिष्ठ पत्रकार और समता संवाद मंच के संस्थापक हिम्मत सेठ ने प्रतिभागियों को मंच से जुड़ने के लिए आमंत्रित करते हुए फ़ासिस्टवादी और पितृसत्तात्मक ताकतों के खिलाफ लड़ाई के लिए एकजुट होते हुए जागरुक भी किया। 

महावीर समता संदेश के संपादक व जनतांत्रिक विचार मंच के सह संयोजक प्रोफेसर हेमेन्द्र चंडालिया ने कहा की महिलाओं और पुरषों के बीच वर्ग होने के कारण काम को लेकर समस्या है । रोजमर्रा के जीवन में पानी,रोजगार, बिजली आदि मूलभूत आवश्यकताओं के लिए महिलाओं को एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है । अगर किसी एसी आपातकालीन स्थिति में, युद्ध, बाढ़, सर्दी, गर्मी या बीमारी में परिवार की महिलाओं को ही ज्यादा पीड़ा होती है। 

एमएलएसयू की राजनीती विज्ञानं की पूर्व प्रोफेसर जेनब बानु ने कहा की महिलाओ दुवारा अर्थव्यवस्था में किया गया योगदान कभी गिना नहीं जाता है। यदि घरेलू कार्य का मूल्यांकन वित्तीय दृष्टि से किया जाता है,तो वह लगभग 7%जीडीपी के अनुसार होंगा। 

बोहरा यूथ गर्ल्स विंग की अध्यक्ष सकीना दाऊद ने बताया कि कार्यक्रम का संचालन डॉ. फरहत बानो ने बड़े ही काव्यात्मक अंदाज में किया। कवि और व्यंग्यकार मुश्ताक चंचल, प्रोफेसर मिनाक्षी जैन एचओडी इंग्लिश डिपार्टमेंट एमएलएसयू यूनिवर्सिटी भी कार्यक्रम में मोजूद रहे।