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GITS: शिक्षा का स्तर सुधारने हेतु दो दिवसीय सत्रान्त वाकपीठ का शुभारम्भ

इन्जिनियरिंग शिक्षा का एक ऐसा क्षेत्र है जहां हर समस्या का समाधान हैं

 

उदयपुर, 26 फरवरी 204। शिक्षा व्यापक रूप से मानव समाज के विकास एवं प्रगति का महत्वपूर्ण कारक हैं। शिक्षा जीवन में ज्ञान, सज्ञान और बुद्धिमता का विकास करती हैं। आज के दौर में शिक्षा का विस्तार हुआ हैं लेकिन शिक्षा के गुणवक्ता विकास उतना नहीं हुआ जितना होना चाहिए था। शिक्षा के स्तर को सुधारने हेतु राजस्थान के उदयपुर के मावली ब्लाॅक द्वारा प्राचार्य वाकपीठ के दो दिवसीय आयोजन का शुभारम्भ गीतांजली इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज (गिट्स) के प्रांगण में शुरू हुआ। जहां पर राजस्थान सरकार के शिक्षा अधिकारियों सहित मावली ब्लाॅक के सभी स्कूलों के प्राचार्यों ने शिक्षा की गुणवक्ता को सुधारने हेतु मंथन किया।

संस्थान के निदेशक डाॅ. एन. एस. राठौड ने बताया कि शिक्षा समाज में न्याय, समानता और विश्व सम्मतता को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। शिक्षा के विभिन्न आयामों में इन्जिनियरिंग शिक्षा का विशिष्ट महत्व हैं। इन्जिनियरिंग शिक्षा का एक ऐसा क्षेत्र है जहां हर समस्या का समाधान हैं। यह शिक्षा हमें प्रोफेशनल स्किल, टेक्नीकल स्किल, साॅफ्ट स्किल और स्पेशलाइज्ड स्किल प्रदान करती हैं।

यह शिक्षा न केवल विद्यार्थियों को तकनीकी ज्ञान प्रदान करती हैं बल्कि उन्हें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं ऊर्जा के क्षे़त्र तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में इन्जिनियरिंग शिक्षा में अपना अभूतपूर्व कौशल का परिचय दिया हैं। इसलिए हमें इन्जिनियरिंग शिक्षा को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि हम सभी समस्याओं का समाधान नवाचार के माध्यम से कर सके और देश समृद्धि की और अग्रसर हो सके।

इस अवसर पर एम.बी.ए. निदेशक डाॅ. पी.के. जैन ने उपस्थित प्राचार्यगणों का स्वागत करते हुए कहा कि आप मिट्टी से सोना बनाते हैं हम सिर्फ उसको निखारते हैं। इस वाकपीठ संगोष्ठी में राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक महेन्द्र जैन, उपनिदेशक पुष्पेन्द्र कुमार शर्मा, मुख्य ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी श्री प्रमोद कुमार सुथार, वाकपीठ अध्यक्ष संजय बडाला, सचिव मोहनलाल स्वर्णकार, सहायक निदेशक सुनील गुप्ता एवं गिट्स के वित्त नियंत्रक बी.एल. जांगिड सहित विभिन्न स्कूलों के प्राचार्याे ने इस मंथन में भाग लिया।