जश्न-ए-रेख्ता 2024: भव्य स्थल और उर्दू के नये रंगों के साथ वापसी
तीन दिवसीय उत्सव 13, 14 और 15 दिसंबर को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (गेट नं. 1) में आयोजित किया जाएगा
दिल्ली, November 7, 2024: दुनिया भर के उर्दू प्रेमी उत्साहित हैं, क्योंकि रेख्ता फाउंडेशन ने जश्न-ए-रेख्ता 2024 की तारीखों की घोषणा कर दी है। दुनिया का सबसे बड़ा उर्दू भाषा, साहित्य और संस्कृति का उत्सव 13, 14 और 15 दिसंबर को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा। तीन दिवसीय यह उत्सव कलात्मक अभिव्यक्ति का एक जीवंत जश्न होगा, जो दुनिया भर से दर्शकों को आकर्षित करेगा।
इस साल के उत्सव में 200 से अधिक कलाकारों द्वारा 40 से अधिक सत्रों को रोमांचक तरीक़े से तीन अलग अलग मंचों पर प्रस्तुत किया जाएगा। जश्न-ए-रेख्ता 2024 में ग़ज़ल, सूफ़ी संगीत, क़व्वाली, कहानी सुनाने, मुशायरा, कविता पाठ और मशहूर हस्तियों के साथ बातचीत, मास्टरक्लास सहित इंटरएक्टिव सत्रों का दिलचस्प मिश्रण पेश किया जाएगा। इस उत्सव में विशेष रूप से रेख्ता फ़ूड फेस्टिवल (ऐवान-ए-ज़ाइका), बुक्स बाज़ार और हस्तशिल्प और वस्त्रों की प्रदर्शनी के लिए लोकप्रिय, रेख्ता बाज़ार भी शामिल होंगे।
जश्न-ए-रेख्ता 2024 को बड़े ही विचारमग्न तरीक़े से तैयार किया गया है, जिससे उर्दू भाषा के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा दिया जा सके। उत्सव का उद्घाटन शुक्रवार, 13 दिसंबर की शाम एक भव्य सूफ़ी प्रदर्शन के साथ पद्मश्री कैलाश खेर द्वारा किया जाएगा।
मुख्य हस्तियों में जावेद अख्तर, कैलाश खेर, पॉपुलर मेरठी, पापोन, पर्निया कुरैशी, अली ब्रदर्स, प्रोफेसर ग़ज़नफ़र और कई अन्य शामिल हैं।
जश्न-ए-रेख्ता ने अपने पिछले संस्करणों में लगातार भारी भीड़ जुटाई है, और युवाओं के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता के साथ, इस साल का आयोजन पहले से कहीं अधिक भव्य और शानदार होने की उम्मीद है।
उत्सव की विशेष झलकियाँ:
- 2024 का संस्करण कई अनूठे सत्रों की मेज़बानी करेगा, जैसे:
- उर्दू कविता में राष्ट्रवाद: उर्दू कविता में अक्सर अनदेखे राष्ट्रवादी भावों का अन्वेषण।
- हास्य और व्यंग्य की कला: उर्दू की पुरानी हास्य और व्यंग्य की परंपरा का विश्लेषण।
- उर्दू के विविध कला रूप: उर्दू भाषा में विकसित दृश्य और साहित्यिक कला परंपराओं पर चर्चा।
- दिल्ली के कवियों का जश्न: राजधानी के समृद्ध काव्यिक इतिहास और जीवंत संगीत परंपरा का जश्न।
- उर्दू कविता के प्रमुख गीतकारों का जश्न मनाने वाले प्रदर्शन।
- ग़ज़ल का नया अवतार, जो पारंपरिक उर्दू संगीत और समकालीन शैलियों के मिश्रण को प्रदर्शित करेगा।
उत्सव का एक प्रमुख आकर्षण रेख्ता बैतबाज़ी का ग्रैंड फिनाले होगा—उर्दू परंपरा का उत्सव मनाने वाली एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता, जो वर्तमान में भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित की जा रही है।
लंदन में 2023 में अपनी अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत करने और 2024 में दुबई तक विस्तार करने के बाद, जश्न-ए-रेख्ता वैश्विक स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ता जा रहा है। इस उत्सव का प्रभाव भारत से परे जाकर साहित्यिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करता है।
रेख्ता फाउंडेशन के बारे में
रेख्ता फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में कार्यरत है। ये फाउंडेशन निम्नलिखित माध्यमों से समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने की इच्छा रखता है:
- साहित्यिक कृतियों और मौखिक पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को डिजिटली संरक्षित करना।
- भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए जश्न, संवाद और सीखने के माध्यम तैयार करना।
- सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए समुदायों और कलात्मक रूपों और अभिव्यक्तियों को पुनर्जीवित करना।
रेख्ता फाउंडेशन ने ऑनलाइन रिपॉजिटरी का निर्माण किया है, जिसका उद्देश्य सभी जानकारी और ज्ञान को निःशुल्क और अनावृत रूप से सभी के लिए उपलब्ध कराना है। इस प्रयास का उद्देश्य एक समावेशी ज्ञान समाज का निर्माण करना है, जहाँ लोग अपनी भाषाई विरासत के बारे में जानकारी और ज्ञान तक सार्वभौमिक रूप से पहुँच सकें।
फाउंडेशन ने उर्दू [rekhta.org], हिंदी [hindwi.org], राजस्थानी [anjas.org], सूफ़ी और भक्ति परंपराओं [sufinama.org] और गुजराती [gujarati.org] के लिए अब तक के सबसे बड़े ऑनलाइन रिपॉजिटरीज़ तैयार किये हैं। इसके अलावा, यह सबसे बड़े त्रिभाषीय शब्दकोश [rekhtadictionary.com] और हिंदी शब्दकोश [hindwidictionary.com] का भी संचालन करता है।
हम भाषा को निरंतर बढ़ावा देने में प्रयासरत हैं, जिसके तहत विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सवों, पॉडकास्ट, और सुलेख, कविता आदि पर शैक्षिक मॉड्यूल का आयोजन करते हैं, जिससे लोग भाषा और अपनी धरोहर से जुड़ सकें। इसके अलावा, हम अपने उन्नत ऑडियो और वीडियो स्टूडियो का उपयोग करके सोशल मीडिया पर अपनी ऑडियंस के साथ बातचीत करते हैं और अपने मिशन में कार्यरत रहते हैं।