पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह आयोजित
उदयपुर 4 जून 2025। प्रसिद्ध चिंतक व विचारक भारतीय जनसंघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा प्रदत्त एकात्म मानवदर्शंन के साठ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति जयपुर, भूपाल नोबल्स संस्थान व राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानवदर्शंन - हीरक जयंती समारोह का आगाज बुधवार को भूपाल नोबल्स विवि के सभागार मे हुआ।
हीरक जयन्ती समारोह के उद्घाटन और प्रथम सत्र में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि पंडित जी के दृष्टिकोण में राष्ट्र भौगोलिक सीमाओं से परे एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इकाई के रूप में देखने की आवश्यकता है।
देवनानी ने कहा कि पंडित जी के लिए राष्ट्र निर्माण का आधार केवल सीमाएं नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना, स्वदेशी दृष्टिकोण और अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के कल्याण में निहित है। वे राजनीति में संयम, त्याग और नैतिकता के प्रबल पक्षधर थे और अंत्योदय को स्वतंत्र भारत की आत्मा मानते थे। देवनानी ने कहा कि वर्तमान में राजनीति के स्तर में भी गिरावट आई है इसके लिए समाज का बदलता स्वरूप जिम्मेदार है समाज का स्वरूप ही जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रतिबिम्बित होता है। स्वस्थ्य समाज और स्वस्थ्य सामाजिक परम्पराएं चहुओर स्वस्थ वातावरण तैयार करने का कार्य कर सकती है।
प्रथम तकनीकी सत्र में एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता प्रो. महेश चंद्र शर्मा ने ‘राजनीतिज्ञ पंडित दीनदयाल उपाध्याय’ विषय पर विचार रखते हुए कहा कि पंडित जी राजनीति में रहते हुए भी उससे अलिप्त भाव बनाए रखने के पक्षधर थे। वे विचारों की प्रतिस्पर्धा के बाद भी समभाव और सहयोग की संस्कृति में विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि विचारधारा और नेतृत्व प्रस्तुत करने का मंच है। पंडित जी के अनुसार विपक्ष की सार्थकता विकल्प देने की संकल्प शक्ति में निहित है, न कि मात्र विरोध में।
समारोह को स्वागत उद्बोधन में विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने पं उपाध्याय के विचारों की वर्तमान परिदृश्य में प्रांसगिकता और आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र का निर्माण सीमाओं से नहीं, बल्कि संबंधों, संवेदना और समर्पण से होता है। हमारी संस्कृति ही राष्ट्र की आत्मा है और उसकी रक्षा में ही राष्ट्र की सुरक्षा निहित है।
हीरक जयन्ती समारोह कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए प्रो. मोहनलाल छिपा ने कहा कि पंडित जी की विचारधारा आज की चुनौतियों के समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। उन्होंने आह्वान किया कि दीनदयाल भाव केवल पुस्तक तक सीमित न रहकर प्रत्येक नागरिक के विचार और आचरण में समाहित हो।
प्रथम दिन हुआ इन विषयों पर मंथन
पहले दिन राजनीतिज्ञ पंडित दीनदयाल उपाध्याय, पत्रकार और साहित्यकार के रूप में पंडित जी विषय पर डॉ. एस. एस. उपाध्याय, डॉ. इन्दूशेखर तत्पुरूष, गोपाल शर्मा ने, संस्थान एवं गैर-सरकारी संगठनों में दीनदयाल दर्शन की भूमिका पर अतुल जैन , प्रो मोहन लाल छीपा, दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक प्रो. के. के. सिंह प्रो. महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी ने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 4-5 जून 1964 को उदयपुर में दिए गए बौद्धिक विमर्शों पर आधारित पुस्तक ‘एकात्मक मानवदर्शन’ का विमोचन किया गया। इसके साथ साथ पं दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रदत्त एकात्मक मानवदर्शन पर आधारित चित्र प्रर्दशनी भी लगाई गई। प्रतिभागियों सहित शहर के गणमान्य नागरिकों और विद्यार्थियों ने इस चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
आयोजन सचिव डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने बताया कि इस अवसर पर पूर्व मंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, महेश शर्मा, कुलपति प्रो. कन्हैयालाल बेरवाल, बीएन संस्थान के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़, मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह आगरिया, रजिस्ट्रार डॉ. एन.एन. सिंह , डॉ. रेणु राठौड़, अनुराग सक्सेना, पूर्व कुलपति प्रो. बीएल चैधरी, प्रो. लोकेश शेखावत, हेमेन्द्र श्रीमाली, भाजपा जिलाध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड, प्रभारी बंशीलाल खटीक, अतुल चण्डालिया, दीपक शर्मा, सन्नी पोखरना, राजेन्द्र सिंह, शक्ति सिंह कारोही, प्रो. प्रेम सिंह रावलोत, अक्षांश भारद्वाज, डॉ. अनिल कोठारी, नीरज कुमावत, डॉ. विजय प्रकाश विपलवी सहित शहर गणमान्य नागरिक व अनेक शिक्षाविद, विद्वान उपस्थित रहे। संचालन राजेन्द्र सिंह शेखावत, डॉ. अनिता राठौड़ ने किया जबकि आभार मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह आगरिया ने जताया।