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डॉ. जयप्रकाश भाटी ‘नीरव’ के काव्य संकलन ‘यूं ही बस चुप रहो’ पुस्तक का विमोचन

कविताओं का कैनवस जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव और आसपास का जनजीवन और उसकी संवेदनाए हैं

 

उदयपुर। जीवन वहीं नहीं होता, जो दिखाई देता है अपितु जीवन भीतर जागने का संस्कार भी है और कविता उसी का स्वरूप है। यह बात आज कस्तूर बा मातृ मंदिर सभागार में डॉ. जयप्रकाश भाटी ‘नीरव’ के काव्य संकलन ‘यूं ही बस चुप रहो’ का विमोचन करते हुए बिहारी पुरस्कार विजेता साहित्यकार प्रो. माधव हाड़ा ने कहीं। उन्होंने कहा कि भाटी की कविताओं का कैनवस जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव और आसपास का जनजीवन और उसकी संवेदनाए हैं।

समारोह अध्यक्ष राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव डॉ. लक्ष्मी नारायण नंदवाना ने कहा कि कवि की भावुकता और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है यह काव्य संग्रह। संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार विष्णु शर्मा हितैषी ने कहा कि सृजन में अपने अनुभवों के साथ ही तत्कालिक परिस्थितियों की बड़ी भूमिका होती है, भाटी की कविताएं इसका प्रमाण हैं। 

विशिष्ट अतिथि राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष गोविंद माथुर ने कहा कि कवि अन्तर्मुखी ज़रूर होता है लेकिन जब बोलता है तो समाज उसे ध्यान से सुनता भी है। डॉ. भाटी ने संकलन की कुछ कविताओं का पाठ किया। डॉ. मनीष जैन ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. एल.एल. वर्मा, हरीश आर्य, प्रेमलता नागदा भी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अंजना गुर्जर गौड़ ने किया।