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युगों युगों तक याद रखा जाएगा महाराणा प्रताप को - राज्यपाल बदनौर

प्रताप जयंती का मेवाड क्षत्रिय महासभा और आडावल संस्थान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुख्य समारोह संपन्न

 
इस मौके पर राज्यपाल बदनौर ने जानकारी दी है कि महाराणा प्रताप पर ज्यादा से ज्यादा शोध हो इसके लिए पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला में प्रताप चेयर की स्थापना की जा चुकी है।

उदयपुर ।  पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने कहा कि महाराणा प्रताप एक ऐसी महान विभूति थे, जो आज भी प्रासंगिक है। जिस कुशलता के साथ महाराणा प्रताप ने सभी कौम को साथ लेकर हल्दी घाटी और दिवेर का युद्ध लडा और अपनी नेतृत्व क्षमता और युद्ध कौशलता से जिस तरह से यह युद्ध जीते, उसे युगो युगों तक याद रखा जाएगा। महाराणा प्रताप के संघर्षमय जीवन से सभी को सदैव प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। वैसे तो सभी महाराणा वीर और महान हुए हैं लेकिन जिस तहर से महाराणा प्रताप ने जो मुश्किले झेली वो बडी बात है।

राज्यपाल बदनौर ने यह बात मेवाड क्षेत्रीय महासभा द्वारा उदयपुर में प्रताप जयंती पर आयोजित मुख्य समारोह में वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए मेवाड क्षत्रिय महासभा के महामंत्री तनवीर सिंह कृष्णावत ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर थे। बदनौर ने संबोधित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप ने कभी भी अकबर के आगे सिर नहीं झुकाया। दिवेर और हल्दीघाटी युद्ध इसका बडा उदाहरण है।

कार्यक्रम के दौरान मेवाड क्षत्रिय महासभा के महामंत्री तनवीर सिंह कृष्णावत ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के चरणों में वंदन करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप युवाओं के लिए आदर्श है। महाराणा प्रताप ने जिस तरह से 36 कोमों को साथ रखकर चलने का संदेश दिया है वह आज की लोकतांत्रित व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण बात है।

बदनौर ने खास जानकारी देते हुए बताया कि सिख पंथ के दसवें गुरू गुरू गोविंद सिंह ने भी महाराणा प्रताप के युद्ध कोशल से सिख लेने के लिए मेवाड का प्रवास किया था। यहां पर उन्होंने प्रताप की गोरिला युद्ध नीति का अनुसरण किया। बदनौर ने बताया कि पंजाब का राज्यपाल बनने के बाद उन्होंने देखा कि पंजाब में महाराणा प्रताप को बहुत माना जाता है और यहां के वार के रूप में गाय जाने वाले लोक गीतों में भी महाराणा प्रताप की वीर गाधाओं का गान होता है। उन्होंने जानकारी दी है कि महाराणा प्रताप पर ज्यादा से ज्यादा शोध हो इसके लिए पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला में प्रताप चेयर की स्थापना की जा चुकी है। प्रताप चेयर द्वारा राजस्थान के साथ सामंजस्य कर कई शोध कार्य किए जा रहे हैं और प्रताप से जुडे मूल व वास्वविक तथ्यों को सामने लाया जा रहा है। पंजाब यूनिवर्सिटी और राजस्थान द्वारा  प्रताप चेयर के माध्यम से किए जा रहे शोध आने वाले समय में कारगर साबित होंगे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गुजरात प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी आलोक पांडे ने कहा कि भारत की महान पर महाराणा प्रताप का अप्रतिम स्थान है। भारत वर्ष के महान रत्नों में से महाराणा प्रताप भी एक रत्न है, जिन्हें कभी भुलाया नही जा सकता। रामायण का एक वृतांत सुनाते हुए पांडे ने कहा कि रावण से युद्ध के बाद जब विभिषण ने राम से कहा कि सोने की लंका छोड कर क्यों जाते हैं, यहीं पर राज की किजिए - लेकिन राम ने कहा कि अपनी मातृभूमि को कैसे छोड सकता हूं। महाराणा प्रताप भी ऐसे ही विभूति थे जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कटिबद्ध थे और राजमहल छोडकर सदैव अपनी प्रजा के बीच रहे।

उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के संदर्भ में आज महाराणा प्रताप की प्रासंगिकता बढ जाती है। अकबर काल में एक समय ऐसा आ गया था जब देश की सभी रियासतों ने अबकर के सामने घूटने टेक दिए थे, लेकिन प्रताप ही अपने संकल्प पर अडिग थे। प्रताप ने मेवाड की आन बान और शान के लिए मुगल सेना से प्रतिशोध लिया और उसे पिछे धकेला। महाराणा प्रताप का कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण मेवाड आज भी खुद को गर्वित महसूस करता है। हल्दीघाटी और दीवेर के युद्ध में अकबर की सेना सभी साजो सामान और गोला बारूद से लेस थी, लेकिन प्रताप ने सामान्य सेना जिसके हथियार तलवार और भाले ही थे, लेकिन फिर भी उन्होंने शोर्य दिखाते हुए कुशलता के साथ मुगल सेना पर विजयी पताका फहराई। प्रताप की प्रासंगिकता युगों युगों तक बनी रहेगी, और सभी को उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। महाराणा प्रताप के सिद्धांतों पर चल कर ही भारत देश को अक्षुण्य बनाकर रखा जा सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मेवाड क्षत्रिय महासभा के संरक्षक रावत मनोहर सिंह कृष्णावत ने कहा कि महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती पर पहली बार ऐसा कार्यक्रम हुआ है जिससे भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों के गणमान्य जन जुडे। उन्होंने इस बात पर क्षोभ जताया कि कुछ तथाकथित नेता थोथी ख्याती प्राप्त करने के लिए महापुरूषों के जीवन पर गलत टिप्पणियां करते हैं, जिससे महापुरूषों का अपमान होता है। ऐसे लोगों को पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत का स्मरण करना चाहिए। जो अपने अपने दफ्तर में महाराणा प्रताप की तस्वीर रखते थे और पूजा भी करते थे। कृष्णावत ने कार्यक्रम से जुडे देश विदेश के सभी गणमान्य जनों से अनुरोध किया कि सभी को एक बार महाराणा प्रताप की पावन धरा मेवाड में आकर हल्दीघाटी की माटी से तिलक करना चाहिए, ताकि प्रताप के सिद्धांतों को जीवन में उतार सके।

इस अवसर पर मेवाड क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष बालू सिंह कानावत ने कहा कि आज के युआओं को महाराणा प्रताप द्वारा दिखाए गए रास्तों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसके लिए महासभा ने समाज के युवाओं को शपथ भी दिलाई है। महाराणा प्रताप द्वारा सर्व समाज को साथ लेकर कार्य करने की परंपरा को मेवाड क्षत्रिय महासभा हमेशा आगे बढाता रहेगा।

कार्यक्रम से जुडे केन्या के बजरंग सिंह राठौड, जो राजस्थान एसोसिएशन केन्या के सेके्रटी है, ने कहा कि आज हमें गर्व होता है कि हमारें पूर्वज महाराणा प्रताप थे। प्रताप एक इंस्टिट्यूट थे, जो सदैव प्रेरणादायी बने रहेंगे। प्रताप के समय विचारों की लडाई थी। उन्होंने सभी समाज को साथ लेकर अपनी लडाई लडी। अभावों की जिंदगी जी कर भी महाराणा प्रताप ने कभी अपने मान सम्मान को झुकने नहीं दिया। महाराणा प्रताप की वीर भूमि राजस्थान की राजस्थानी भाषा को सरकार को आठवीं अनुसूची में शामिल करनी चाहिए ताकि महाराणा प्रताप पर राजस्थानी में भी ज्यादा से ज्यादा शोध हो सके।

बी.एन. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रदीप सिंह सिंगोली ने कहा कि महाराणा प्रताप की गाथा का जितना गान किया जाए कम है। महाराणा प्रताप ने जिस तरह से सर्व समाज का साथ लेकर मेवाड को आगे बढाया था, आज भी उसी सिद्धांत पर चलकर ही देश ओर प्रदेश को आगे बढाया जा सकता है। पंजाब के राज्यपाल ने पंजाब में प्रताप चैयर की स्थापना की, यह एक बडा कदम है जो रिसर्च को बढावा देगा। बी.एन. शोध संस्थान पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रताप चेयर से जल्द ही एमओयू कर शोध गतिविधियों को बढावा देगा।

पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला के कुलपति प्रो. अरविंद सिंह ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में अलग अलग तरह की गतिवधियों को आगे बढाना हमारा उद्देश्य है। यूनिवर्सिटी में स्थापित प्रताप चेयर महाराणा प्रताप पर जो शोध हो रहे हैं वह आने वाले समय में काफी कारगर साबित होंगे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने महाराणा प्रताप की तस्वीर पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम संचालक जौहर स्मृति संस्थान के उपाध्यक्ष अशोक सिंह मेतवाला ने कहा कि प्रताप जयंती पूरे देश में मनाई जाती है लेकिन मेवाड क्षेत्र में इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य यही है कि महाराणा प्रताप के महान सिद्धांतों उनके शोर्य और स्वाभिमान से हमारी नई पीढी हमेशा रूबरू रहे। जोहर स्मृति संस्थान के तख्त सिंह सोलंकी, पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रताप चैयर के प्रभारी मो. इदरिस,  ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर व अन्य अतिथियों ने मो. इदरिस द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान भारत सहित एक दर्जन से भी अधिक देशों के हजारों की संख्या में नागरिक गण यू ट्यूब और फेस बुक के माध्यम से जुडे रहे और कार्यक्रम में अपनी गरिमामय उपस्थिति बनाए रखी। संपूर्ण  कार्यक्रम का संचालन शिवदान  सिंह जोलावास ने किया।