लोक व शास्त्रीय प्रस्तुतियों से शिल्पग्राम उत्सव का समापन
हर कोई ले गया शिल्पकारों से सौगात
शिल्पकार कलाकार लौटे अपने देस
उदयपुर 30 दिसम्बर 2021। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव का समापन गुरूवार को हुआ जब एक ही मंच पर लोक और शास्त्रीय कलाओं ने अपनी थिरकन से दर्शकों को आल्हादित कर दिया। वहीं आखिरी दिन शहरवासियों तथा पर्यटकों ने जमकर खरीददारी की तथा शिल्पग्राम आने वाले लोगों में से हर एक ने विभिन्न राज्यों से आये शिल्पकारों से कलात्मक वस्तुएं खरीद अपने घर ले गये।
दस दिवसीय राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं लोक कला उत्सव के आखिरी दिन शिल्पकारों से कुछ ना कुछ खरीदने की आस में बड़ी तादाद में लोग शिल्पग्राम पहुंचे तथा बाजार में खरीददारी करने में जुट गये। शाम तक हाट बाजार का प्रत्येक हिस्सा लोगों की आवाजाही से भर गया। शिल्पग्राम मेें लोगों ने खरीददारी के साथ-साथ विभिन्न मनोरंजन के साधनों का आनन्द उठाया।
हाट बाजार में लकड़ी की फ्रेम्स, डेकोरेटिव टेबल कुर्सी, मृण कला से बनी कलाम्क वसजावटी वस्तुएं, कश्मीरी शाॅल, कच्छी बुनाई के कशीदायुक्त शाॅल, आभूषण, डेकोरेटिव इलैक्ट्राॅनिक लाइट्स, गर्म व ऊनी जैकेट्स, कोट, जूट की बनी पानी बोतल कवर, बैग्स, डेकोरेटिव्ज़, लैदर जैकेट्स, चर्म शिल्प सलवार सूट, साड़ियों, आर्टीफिशियल ज्वैलरी, घर की सजावट, लैम्प शेड्स, लालटेन, वूलन कारपेट खुर्जा पाॅटरी, कुशन कवर, मेटल के फ्लाॅवर वास, असम के ड्राई फ्लाॅवर, बिहार की मधुबनी चित्रकारी, केन व बैम्बू की सजावटी वस्तुएं, बांस के बने फ्लाॅवर पाॅट्स, आकर्षक लैम्प्स, समुद्री सीप की बनी कलात्मक वस्तुएं, बिहारी साड़िया, ऊनी वस्त्र, गर्म बंडियां, लैदर के बैग्स, पर्स, जूतियाँ, राजस्थानी पोशाक, साड़ियाँ, बेड शीट बेड कवर, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, पीतल की सजावटी वस्तुएँ, फायर आर्ट की चित्र कृतियाँ, ट्राइफेड के स्टाॅल पर जनजाति शिल्पकारों की वस्तुओं की दूकानों पर लोग मोलभाव व खरीददारी करते देखे गये। मेले में ही लोगों ने व्यंजनों का भी रस लिया।
शाम को दर्पण सभागार में जयपुर की कथक नृत्यांगना मनीषा गुल्यानी व उनके दल द्वारा कथक की प्रस्तुति दी गई। कथक के जयपुर घराने से ताल्लुक रखने वाली मनीषा ने अपनी प्रस्तुतियों को तीन खण्डों भक्ति कला, मुगल काल तथा आधुनिक काल में रचित रचनाओं के साथ प्रस्तुत किया। मनीषा के साथ अन्य नृत्यांगनाओं में अरोही अग्रवाल, कृष्णेशी शर्मा, सिद्धि मुखर्जी, धृतिमणि त्रिपाठी तथा सुहानी सिंह गौड़ ने अपने नर्तन से कथक प्रस्तुति को सुंदर बनाया। इनके साथ तबले पर मोहित गंगानी, पखावज पर प्रवीण आर्य, सारंगी पर मुदस्सर खान द्वारा संगत की गई।
समापन अवसर पर ही ‘‘अर र र र र कालियो कूद पड्यो मेळा में..’’ गीत के साथ बीन व ढोलकी की थाप पर कालबेलिया नृत्य ने अपनी छाप छोड़ी। गुजरात के राठवा आदिवासियों का राठवा नृत्य सुंदर प्रस्तुति रही।
समापन अवसर पर अंतिम प्रस्तुति के रूप में विशेष रूप से कोरियोग्राफ संगीत व नृत्य प्रस्तुति में भपंग, ढोलक, मुरली तथा सारंगी व अन्य वाद्यों की लयकारी पर सभी कलाकारों ने एक ताल एक सुर पर अपने नर्तन से दर्शकों के समक्ष अनूठा नजारा प्रस्तुत किया।
समापन अवसर पर केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, नगर विकास प्रन्यास, नगर निगम, अजमेर विद्युत वितरण मण्डल, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, बैंक ऑफ़ बड़ौदा, एक्सिस बैंक, ए यू स्माॅल फाइनेन्स बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, परिवहन विभाग, पर्यटन विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, मीडिया तथा सभी प्रतिभागी कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त किया।