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नाटक पार्क का प्रभावी मंचन

18 वे पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह के तीसरेे दिन कला साधक मंच, करनाल द्वारा गौरव दीपक जांगड द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘पार्क’’ का मंचन हुआ

 

उदयपुर। भारतीय लोक कला मण्डल के 71 वें स्थापना दिवस एवं आजा़दी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित किये जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में 18 वे पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह के तीसरे दिन  नाटक ‘‘पार्क ने किये सामजिक मुद्धों एवं बुराईयों पर व्यंग्य। 
 
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि दी परफोमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में पाँच दिवसीय 18 वे पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह के तीसरेे दिन कला साधक मंच, करनाल द्वारा गौरव दीपक जांगड द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘पार्क’’ का मंचन हुआ। 
 
उन्होंने बताया कि फिल्म अभिनेता मानव कौल द्वारा लिखित नाटक ‘‘पार्क’’ की कहानी तीन अन्जान लोगों की बातचीत पर आधारित है। जो एक ही बैंच पर बैठने की जिद पकड़ लेते हैं। जिसमें उदय एक ऐसी बीमारी से ग्रस्त है, जिसमें वह स्वयं को जीनियस समझता है। वहीं मदन एक अध्यापक है, जो बच्चों की दृष्टि में एक विलेन के रुप में हैं। लेकिन पार्क में आना और अपने विद्यालय की गणित की अध्यापिका को देखना उसे स्वयं को नायक के रुप में दर्शाता है। तीसरा किरदार नवाज का है जो अपने बेटे को जैसे तैसे करके पांचवी कक्षा में पास करवाना चाहता है, जबकि उसका बेटा हुसैन एक स्पेशल चाईल्ड है। तीनों किरदार एक ही समय में एक पार्क में आ जाते हैं और एक बेंच के लिए झगड़ते रहते हैं। जिस बेंच पर उदय बैठा होता है उसी बेंच पर मदन बैठना चाहता है। जब उदय मदन से वहां बैठने का कारण पूछता है तो मदन बताता है कि सामने की बिल्डिंग में उसके स्कूल की गणित की अध्यापिका रहती है, जिसे देखना उसे बहुत अच्छा लगता है। जब नवाज इस बात का विरोध करता है तो मदन समझाता है कि टीचर केवल टीचर नहीं होता, वह भी आम इंसान है, जिसे औरों की तरह जीने का हक है। वहीं नवाज पार्क में अपने बेटे के रिजल्ट का इंतजार कर रहा है। जबकि उसका बेटा बाप व टीचर के प्रैशर के कारण पढ़ ही नहीं पाता और फेल हो जाता है। उदय नवाज को समझाता है कि अपने बच्चों पर अपनी इच्छा थोपनी नहीं चाहिए। उधर उदय भी मानसिक रुप से परेशान दिखता है। जब उससे इसका कारण जाना जाता है तो वह बताता है कि बचपन में उसने हिंदू मुस्लिम के दंगे देखे थे, जिसने उसके मन पर बहुत गहरा असर डाला है। इस प्रकार हास्य और व्यंग्य के साथ उनकी बातचीत में 18वीं सदी से वर्तमान तक के बहुत गम्भीर मुद्दे आ जाते हैं। जिनका हल आम जनमानस के पास होना असम्भव सा प्रतीत होता है। समाज के अंतःकरण में दबे मार्मिक पहलुओं को बड़ी सहजता के साथ इस नाट्य प्रस्तुति में दिखाया गया है। नाटक एक विशेष जगह के स्वामित्व की लड़ाई से प्रारंभ होकर उन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की ओर पहुंचाता है, जिसकी चर्चा करने के लिए जन सामान्य के मन में कौतुहल रहता है। पात्रों की बातचीत के जरिए देश में व्याप्त नक्सलवाद और आदिवासियों के विस्थापन जैसे कई मुद्दों को भी रेखांकित किया गया है। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ईरिना गर्ग, मुख्य आयकर आयुक्त, आयकर विभाग, उदयपुर, डी.एस. पोरवाल, धर्मपाल सिंह एवं कार्यालय प्रमुख, हरियाणा कला परिषद का संस्था निदेशक ने स्वागत किया उसके बाद सभी गणमान्य अतिथियों एवं संस्था पदाधिकारियों ने पद्मश्री देवीलाल सामर की तस्वीर पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित किया। 
 
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ रंगकर्मी अफ़सर हुसैन के निधन पर उनकी आत्मा की शान्ति के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।  अफ़सर हुसैन मूल रूप से उदयपुर के थे जो वर्तमान में गोवा में निवासरत थे। 
 
संस्था के मानद सचिव सत्यप्रकाश गौड़ ने बताया कि नाट्य समारोह के चौथे दिन दिनांक 28.02.2022 को दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर द्वारा डॉ. लईक हुसैन निर्देशित नाटक ‘‘चन्द्रहास’’ एवं समरोह के अंतिम दिन दिनांक 01 मार्च 2022 ‘‘एक दोयम दर्जे का प्रेम पत्र का मंचन होगा।