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दो शहरों के दुल्हा-दुल्हन, न बैंड न बाराती और हो गया सादगीपूर्ण वैदिक रीति से विवाह 
 

कल एक ऐसी शादी का प्रसंग भी जुड़ गया जिसमें मात्र 5 लोगों की मौजूदगी में न बैंड़ न बाजा और न ही बाराती और दुल्हा-दुल्हन की आर्य समाज की रीति रिवाज से शादी कर नव विवाहित जोड़ों को ढेरों आशीर्वाद से नवाजा। 
 
कोटा से आया दुल्हा जयंत जैन एवं और उदयपुर की दुल्हन कृति भंसाली का आज हिरणमगरी स्थित आर्य समाज हिरन मगरी द्वारा वैदिक पद्धति से प्रशासनिक स्वीकृति उनके प्रावधानों के अनुसार विवाह सम्पन्न करवाया गया। 

उदयपुर 19 मई 2020। जहाँ चारों को कोरोना से हा-हाकार मचा हुआ है। सभी व्यक्ति इस लाॅकडाउन समय में खर्चे सीमित कर अपना जीवन यापन करनें का प्रयास कर रहे है। इसी कड़ी में कल एक ऐसी शादी का प्रसंग भी जुड़ गया जिसमें मात्र 5 लोगों की मौजूदगी में न बैंड़ न बाजा और न ही बाराती और दुल्हा-दुल्हन की आर्य समाज की रीति रिवाज से शादी कर नव विवाहित जोड़ों को ढेरों आशीर्वाद से नवाजा। 

कोटा से आया दुल्हा जयंत जैन एवं और उदयपुर की दुल्हन कृति भंसाली का आज हिरणमगरी स्थित आर्य समाज हिरन मगरी द्वारा वैदिक पद्धति से प्रशासनिक स्वीकृति उनके प्रावधानों के अनुसार विवाह सम्पन्न करवाया गया। 

उदयपुर जिला वैश्य महासम्मेलन के अध्यक्ष एवं लायन्स क्लब के पूर्व प्रांतपाल अनिल नाहर की भांजी उदयपुर की दुल्हन कृति भंसाली व कोटा के जयंत जैन का विवाह पूर्व में ही निर्धारित हो गया था लेकिन कोरोना के कारण इस विवाह पर संकट मडंराता दिखाई दे रहा था। इस पर दोनों के पक्षों की रजामंदी से सादगीपूर्ण विवाह किये जाने पर सभी की सहमति ली गई और बिना किसी तड़क-भड़क के एवं मात्र 7 जनों की मौजूदगी में उक्त विवाह आज सम्पन्न हुआ। दाम्पत्य सूत्र में बंधने से पूर्व दोनों पक्षों द्वारा अपने शासकीय क्षेत्र से सभी औपचारिकताओं को पूर्ण कर पूर्वानुमति ली गई।

इस अवसर पर विवाह पश्चात आर्य समाज के प्रधान भंवरलाल आर्य, मंत्री भूपेन्द्र शर्मा एवं वार्ड पार्षद श्रीमती विद्या भावसार ने वर वधू को विवाह प्रमाण पत्र व वैदिक साहित्य भेंट कर आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय पार्षद श्रीमती विद्या भावसार ने कहा कि अब आडम्बर, भीड़ व दिखावे से रहित इस प्रकार से वैदिक विवाह का समय आ गया है। 

वधू के मामा एवम लॉयंस क्लब गवर्नर अनिल नाहर ने आदर्श रूप में सम्पन्न इस विवाह मितव्ययता, समय की बचत व सादगी का अनुकरणीय उदाहरण बताया। उन्होंने वैश्य समाज सहित सम्पूर्ण समाज से निवेदन किया कि अब समय आ गया है कि फिजूलखर्ची से बचते हुए इस प्रकार के सादगीपूर्ण विवाह सम्पन्न कराये जायें। आर्य समाज हिरण मगरी के आवासीय पुरोहित रामदयाल मेहरा ने सप्तपदी, लाजा होम, शिलारोहन आदि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वैदिक विवाह सम्पन्न करवाया। इस अवसर पर वधु की मासी पिंकी माण्डावत भी मौजूद थी।