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उदयपुर टेल्स इंटरनेशनल स्टोरीटेलिंग फेस्टिवल ने पहले दिन दर्शकों का मन मोहा

उत्सव का मुख्य आकर्षण जीवंत बाज़ार और जामघाट क्षेत्रों पर केंद्रित था, जिसमें प्रसिद्ध ब्रांडों और कलाकारों के स्टालों की एक श्रृंखला शामिल थी

 

उदयपुर 12 जनवरी 2024। उदयपुर टेल्स का बहुप्रतीक्षित 5वां संस्करण अंतर्राष्ट्रीय कहानी महोत्सव का बड़ी-शिल्पग्राम रोड़ स्थित पार्क एक्ज़ोटिका में आज विविध प्रकार की मनमोहक प्रस्तुतियों के साथ शुरू हुआ, जिसने मंच को मनोरम कहानियों से जगमगा दिया।यह उत्सव, कहानी कहने की शाश्वत कला को पुनर्जीवित करते हुए, विविध कहानी शैलियों का जश्न मनाता हुआ दिखाई दिया।

समारोह के प्रथम दिन आज ख्यातनाम रंगमंचीय कलाकार विलास जानवे ने मूक बधिर बच्चों के साथ उपस्थित हुए सैकड़ों बच्चों को मेवाड़ के इतिहास और विशेष रूप से महाराणा प्रताप की कहानी सुनायी तो बच्चें रोमांचित हो उठें। कहानी मे बताया कि महाराणा प्रताप के पुत्र अमरसिंह ने गोगुन्दा युद्ध जीत जाता है और जंग जीतने के बाद जब वह अपने साथ अकबर के खास रहीम खानखाना व उनकी बेगम को गिरफ्तार कर प्रताप के सामनें पेश करते है और बेगम से उनका नकाब उतारने की बात करते है तो प्रताप अमरसिंह पर क्रोधित होते है और कहते है कि मेवाड़ की परम्परा नारी अस्मिता की रक्षा करना रहा है और यही उसका धर्म है। बेगम को वापस उनके निवास स्थन पर सम्मान छोड़ कर आओं। महाराणा प्रातप की कहानी सुन कर बच्चें काफी रोमांचित हुए।

उत्सव के पहले दिन, मंच पर आकर्षक युवा दिमागों को समर्पित प्रतिष्ठित कहानीकारों की शानदार प्रस्तुतियाँ देखी गईं। विशेष रूप से सक्षम बच्चों को उत्सव का अहम हिस्सा बनाया गया। विलास जानवे, एक प्रमुख निर्देशक और माइम कलाकार; राधिका बियानी, और अनंत दयाल, एक विचित्र गैर-बाइनरी कलाकार, जो थिएटर उत्सवों के आयोजन और स्थानीय कलाकारों को सलाह देने के लिए जाने जाते हैं; मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानियाँ बुनीं, बच्चों को कल्पना और आश्चर्य से भरी जादुई दुनिया में ले गईं। जैसे ही युवा दर्शक मंत्रमुग्ध होकर बैठे, इन असाधारण कहानीकारों ने उनकी कल्पनाओं पर एक अमिट छाप छोड़ते हुए पात्रों और रोमांच को जीवंत कर दिया।

इसके साथ ही, वयस्क कहानी कहने वाले खंड में निर्देशक और फिल्म अभिनेता गौतम अग्रवाल द्वारा असाधारण प्रदर्शन किया गया, जो रहस्यमय, भौगोलिक और ऐतिहासिक खोजों पर अपने शोध के आधार पर कहानियों को गढ़ने के लिए प्रसिद्ध हैं; उल्का मयूर, जो रंगमंच, संगीत और नृत्य के तत्वों का उपयोग करके लोककथाओं, मिथकों, सूफी परंपरा की कहानियों, समकालीन कहानियों और मूल कहानियों को प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध हैं।

एक प्रखर थिएटर कलाकार और फिल्म एवं टीवी अभिनेता मीता वशिष्ठ, राजस्थान के एक स्वतंत्र कलाकार जो अपने भावपूर्ण लोक संगीत के लिए पहिचाने जाने वाले राहगीर ने अपनी कहानी से सभी को उस दौर में ले गये। वह अपने गानों क्या जयपुर क्या दिल्ली.. और मेरे गांव आओगे... से देशभर में मशहूर हो गए। उन्होंने साहित्य आज तक फेस्टिवल, जश्ने रेख्ता, अंजस फेस्टिवल आदि जैसे विभिन्न उल्लेखनीय प्लेटफार्मों पर प्रदर्शन किया है। अपनी शक्तिशाली कहानियों और आकर्षक प्रस्तुति के माध्यम से, इन प्रतिभाशाली कहानीकारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, उन्हें भावनाओं, रोमांच और खोजों की यात्रा पर ले गए। ऐतिहासिक, काल्पनिक, समकालीन, हास्यपूर्ण, साहित्यिक और लोक संगीत सहित कहानियों की विविध श्रृंखला ने प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति के लिए कुछ विशेष सुनिश्चित किया।

भारतीय अभिनेत्री मीता वशिष्ठ ने आज महोत्सव में ललेश्वरी के बारें में कहानी बतायी। जिसे स्थानीय तौर पर लाल डेड के नाम से जाना जाता है। मीता वशिष्ठ ने 2012 में इस पर एक फिल्म बनाई थी। लाल डेड के बारे में खास बात यह है कि जब आप उनके साथ जुड़ते हैं, तो आप किसी तरह अपने बहुत गहरे हिस्से से जुड़ते हैं।

उत्सव का मुख्य आकर्षण जीवंत बाज़ार और जामघाट क्षेत्रों पर केंद्रित था, जिसमें प्रसिद्ध ब्रांडों और कलाकारों के स्टालों की एक श्रृंखला शामिल थी। प्रतिभागियों में नेहा काबरा की माटी, दृष्टि भट्ट की नॉट सो इज़ी, बोगेनविले आर्ट गैलरी, कृति मनन नाहर की फिकरी और बेजो, माहरू सिल्वर ज्वेलरी, पटोला साड़ी, रियास जयपुर और कई अन्य प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं। ये क्यूरेटेड स्टॉल उत्सव में उपस्थित लोगों के लिए एक विविध और समृद्ध खरीदारी अनुभव का वादा करते हैं।

उदयपुर टेल्स की सह संस्थापक सुष्मिता सिंघा ने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को मनमोहक प्रस्तुतियों से भरा रहेगा। शनिवार को असीमा भट्ट, आशुतोष पांडे और अनंत दयाल सुबह बच्चों के लिए कहानियां सुनायेंगे तो शाम को सैयद साहिल आगा, आधार खुराना, शिखा तलसानिया, रोहिणी रामनाथन, हेमा सुब्रमनुइम, जिया नाथ और सनातन चक्रवर्ती वयस्कों के लिए कहानियों का प्रदर्शन करेंगे।