महाराणा प्रताप जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम
उदयपुर। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 484 जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ उदयपुर में मनाई गई। जहाँ पर विभिन्न कार्यक्रमों में महाराण प्रताप को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया।
डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने मोती मगरी 484 किलो चूरमे के लड्डू का भोग लगाया
महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ पूर्व राज परिवार के सदस्य डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने अपने दिन की शुरुआत महाराणा प्रताप को पुष्पांजलि करने के साथ की। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार अल सुबह मोती मगरी पहुंचे, जहां महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित पर उन्हें नमन किया और 484 किलो चूरमे के लड्डू का भोग लगाया।
इस मौके पर मोती मंगरी पर एक विशेष हवन का भी आयोजन हुआ, जिसमें महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्य सिंह मेवाड ने आहुतियां देकर अपने परिवार की परंपरा का निर्वहन किया।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने महाराणा प्रताप जयंती पर प्रताप की वीरता और बलिदान को याद किया तो वहीं संपूर्ण देशवासियों को महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामनाएं भी दी। लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने कहा कि मेवाड़ में तिथि के अनुसार जयंती मनाने की परंपरा है और सभी के सहयोग से ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को हर्षोल्लास के साथ सभी महाराणा प्रताप की जयंती मनाते हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के वंशज होने का एहसास ही गोरांवित महसूस कराता है।
सिटी पेलेस पर 3 दिवसीय विद्युत सज्जा रहेगी
मेवाड़ के 54वें एकलिंग दीवान प्रातःस्मरणीय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती, महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में मंत्रोच्चारण के साथ उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर दीप प्रज्जवलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों के लिए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर सिटी पेलेस पर 3 दिवसीय विद्युत सज्जा रहेगी।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि उदयपुर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के प्रताप प्रांगण स्थित महाराणा प्रताप की चेतक आरूढ़ प्रतिमा को पुष्प-मालाओं से सुसज्जित कर दीप प्रज्जवलित किए और प्रसाद वितरित किया गया। मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया, विक्रम संवत् 1597, (वर्ष 1540) को कुम्भलगढ़ में हुआ था। महाराणा प्रताप का शासनकाल ई. स. 1572-1597 तक रहा और उनका महाप्रयाण माघ शुक्ल की एकादशी, विक्रम संवत् 1653 (वर्ष 1597) को चावण्ड में हुआ था।
प्रताप जयंती पर रक्त वीरो ने रक्तदान किया
महाराणा प्रताप जयन्ती साप्ताहिक समारोह के तहत अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, कृष्ण कल्याण संस्थान, बजरंग सेना के सयुक्त तत्वाधान में भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र भवन पर रक्त वीरो ने 108 यूनिट रक्तदान किया ।
महासभा के प्रवक्ता रणवीर सिंह जोलावास ने बताया की प्रातः काल 9 बजे महाराणा प्रताप को पुष्पांजलि तथा दीप प्रज्वलन कर रक्तदान शिविर की शुरुआत करी । अतिथियों मे विद्या प्रचारिणी सभा कार्यवाहक अध्यक्ष कर्नल प्रोफेसर शिव सिंह सारंगदेवोत, भाजपा देहात जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह चौहान, देहात महामंत्री दीपक शर्मा, गजपाल सिंह राठोड, विद्या प्रचारिणी सभा मंत्री महेंद्र सिंह आगरीया, वित्त मंत्री शक्ति सिंह कारोही, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा जिलाध्यक्ष यादवेंद्र सिंह रलावता, मेवाङ क्षत्रिय महासभा शहर अध्यक्ष चन्द्रवीर सिंह करेलीया, कमलेंद्र सिंह पंवार, महेंद्र सिंह पाखंड, कुन्दन सिंह मूरोली, नवल सिंह जूड, रणविजय सिंह पवार, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष अजय सिंह पहल, किशोर सिंह शेखावत, चन्द्रवीर सिंह दांतड़ा, रणधीर सिंह चंदेला, विक्रम सिंह चंदेला, अमर सिंह बदराणा, माया बहन, महामन्त्री हेमेंद्र सिंह दवाणा, वित्त मंत्री देवेन्द्र सिंह लुणदा, खेल मंत्री नाहर सिंह झाला, उपमंत्री भानुप्रताप सिंह थाणा, केसर कुंवर नरूका, राजेश्वरी राणावत आदि मौजूद रहे ।
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प्रताप गौरव केन्द्र में महाराणा प्रताप जयंती समारोह
सभ्यता बाजार से जुड़ी होती है और संस्कृति आत्मा से जुड़ी होती है। और संस्कृति हमारी कलाओं में दृष्टिगोचर होती है। भारतीय कला दृष्टि जीवन का अभिन्न अंग रही है। यह बात संस्कार भारती के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य तथा संगीत विधा प्रमुख अरुण कांत ने रविवार को यहां प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में चल रहे महाराणा प्रताप जयंती समारोह के तहत ‘भारतीय कला में सांस्कृतिक राष्ट्र दृष्टि’ विषयक विशेष व्याख्यान में कही।
उन्होंने कहा कि जीवन की सहजता कला का अंग है। जब हम कलाओं का नाम लेते है तो सबसे पहले वेदों की ओर ध्यान जाता है। हम मूलतः ललित कला की 5 विधाओं से परिचित हैं। अथर्ववेद में 64 कलाओं का वर्णन है। गहराई में जाकर विचार करेंगे तो भारतीय कलाओं में सर्वकल्याण का संदेश प्रतिपादित होगा।
अयोध्या में प्रतिष्ठापित भगवान रामलला का चित्र स्वरूप बनाने वाले डॉ. सुनील विश्वकर्मा भी मंचासीन थे। उन्होंने ‘चोरी भी एक कला है’ विषय परएक चोर की कहानी सुनाते हुए कहा कि कला की नकारात्मकता के बजाय सकारात्मकता की ओर बढ़ना भारतीय संस्कृति का बोध है। भारतीय संस्कृति में कला को जीवन कल्याण का मार्ग कहा गया है। कला मान-अभिमान व अन्य विकारों से विमुक्त करती है। उन्होंने कहा कि वे उस जगह से आए हैं जहां प्रसिद्ध कवि श्यामनारायण पांडेय ने महाराणा प्रताप की तलवार की ख्याति पर अपनी रचना लिखी है।
डॉ. विश्वकर्मा ने अपनी चीन यात्रा के संस्मरणों को सुनाते हुए कहा कि चीनी प्रोफेसर भारतीय चित्रकला का मजाक उड़ा रहे थे, तब विश्वकर्मा ने उन्हें एक चुनौती दी, जिसे चीनी प्रोफेसर पूरा नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि भारतीय चित्रकला में वे सभी विधाएं हैं जो किसी भी विषय वस्तु का जीवंत चित्रण कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि जहां ग्रंथ किसी विषय को समझाने में कमजोर रह जाते हैं, वहां उनका चित्ररूप उस विषय को सहजता से समझा देता है। आज भी यह बात नन्हें बालकों की आरंभिक शिक्षा में अक्षरशः लागू होती है। डॉ. विश्वकर्मा ने व्याख्यान के दौरान मात्र 30 मिनट में एक्रिलिक कलर से लाइव डेमो देते हुए महाराणा प्रताप की पेंटिंग भी बनाई।
व्याख्यान के आरंभ में संस्कार भारती उदयपुर के अध्यक्ष व सुखाड़िया विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट प्रोफेसर मदन सिंह राठौड़ ने दोनों अतिथियों का स्वागत किया और परिचय दिया।
महाराणा प्रताप जयंती पर प्रताप गौरव केन्द्र में खूब जमा कवि सम्मेलन
प्रताप गौरव केन्द्र का परिसर और उसके आसपास टाइगर हिल की पहाड़ियां ‘राणा की जय-जय, शिवा की जय-जय’ से गूंज उठीं। अवसर था महाराणा प्रताप जयंती पर आयोजित ‘जो दृढ़ राखे धर्म को’ कवि सम्मेलन का। जैसे ही देश भर में वीर रस के प्रख्यात कवि डॉ. हरिओम सिंह पंवार ने ‘मैं ताजों के लिए समर्पण वंदन गीत नही गाता’ पंक्तियों को अपनी ओजस्वी आवाज दी, त्यों ही श्रोताओं ने पाण्डाल को भारत माता के जयकारों से गुंजा दिया।
सरस्वती वंदना और महाराणा प्रताप को नमन के साथ शुरू हुए कवि सम्मेलन में डॉ. हरिओम सिंह पंवार ने ‘मैं ताजों के लिए समर्पण वंदन गीत नही गाता, दरबारों के लिए कभी अभिनन्दन गीत नहीं गाता, गौण भले हो जाऊं लेकिन मौन नहीं हो सकता मैं, पुत्र मोह में शस्त्र त्यागकर द्रोण नहीं हो सकता मैं, मैं शब्दों की क्रांति ज्वाल हूं वर्तमान को गाऊंगा, जिस दिन मेरी आग बुझेगी मैं उस दिन मर जाऊंगा’ सुनाकर श्रोताओं में देशभक्ति का ज्वार भर दिया।
कवि किशोर पारीक ‘किशोर’ ने ‘स्वाभिमान के प्रबल प्रवर्तक, हिन्दू गौरव के उद्घोषक, जन्म जयन्ती पर राणा की श्रद्धा से, सारा भारत है नत मस्तक और ‘उस मेवाड़ी समरांगण में, चेतक के बलिदानी प्रण में, महाराणा का त्याग आज भी जिंदा है, हल्दीघाटी के कण कण में’ सुनाकर श्रोताओं की दाद लूटी।
कवयित्री मनु वैशाली ने ‘जौहर-कुण्डों, घास-रोटियों, बलिदानी परिपाटी को, वीर प्रसूता, स्वर्णिम धोरे, पावन हल्दीघाटी को, राजपुतानी, राजस्थानी, शान बान राणाओं की, सौ-सौ नमन निवेदित है इस धन्य मेवाड़ी माटी को’ सुनाकर भक्ति और शक्ति की धरा को नमन किया।
कवि बृजराज सिंह जगावत ‘हिंदुआ एक सूरज है तो ये इतिहास ज़िंदा है, अटल प्रण की धरा मेवाड़ स्वाभिमान जिंदा है’ सुनाकर प्रताप के स्वाभिमान की व्याख्या की। कवयित्री शिवांगी सिंह सिकरवार ‘नयनों से जी भर तुम्हें देखती हूं, चरणों के दर्शन से धन्य रहती हूं, क्या क्या मैं मांगू, और क्या न मांगू, श्रीनाथ तुमसे तुम्हें मांगती हूं’ सुनाते हुए माहौल में भक्ति रस घोल दिया।जयपुर से आए कवि अशोक चारण ने ‘नयनों में ख़ून उतारा होठों पर हुंकार उठा ली, चेतक ने टाप भरी राणा ने भी तलवार उठा ली’ सुनाकर दिवेर युद्ध का दृश्य जीवंत कर दिया।
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे उदयपुर के कवि राव अजातशत्रु ने ‘रण चंडी बन दोधारी पल में दृश्य भयंकर करती थी, खप्पर में आज भवानी के श्रोणित की मदिरा भरती थी, मृत्यु का तांडव देख देख खुशियों का रंग उड़ जाता था, जिस ओर मुड़े राणा बिजली सा काल उधर मुड़ जाता था’ सुनाकर महाराणा प्रताप की शत्रुओं पर चढ़ाई की आक्रामकता का दर्शन कराया। आरंभ में कवि किशोर पारीक ने सभी कवियों का परिचय कराया और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के पदाधिकारियों ने कवियों का सम्मान किया।
भव्य शोभायात्रा निकाली गई
मेवाड़ क्षत्रिय महासभा एवं नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा चेटक सर्कल से रवाना होकर हाथीपोल, मोती चोहटा , घंटाघर, बड़ा बाजार, अस्थल मंदिर, सूरजपोल, बापू बाजार, दिल्लीगेट होते हुए टाउन हाॅल पहुंची जहां सुखाड़िया रंगमंच पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पोकरण विधायक महन्त प्रताप पुरी महाराज थे, मंच पर शहर विधायक ताराचंद जैन, उपमहापौर पारस सिंघवी, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष बालूसिंह कानावत, प्रमोद सामर, प्रेम सिंह शक्तावत, जिला प्रमुख श्रीमती ममता पंवार, श्रीमती चन्द्रकला बोलिया, प्रताप राय चुघ, धीरेन्द्र सिंह सच्चान, महासभा अध्यक्ष चंद्रवीर सिंह करेलिया एवं अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा महाराणा प्रताप की मूर्तिे के समक्ष दीप प्रज्जवलन व पुष्पांजलि कर हुआ तत्पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं में महन्त प्रतापपुरी महाराज, ताराचंद जैन, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा केंद्रीय अध्यक्ष बालू सिंह कानावत, चंद्रवीर सिंह करेलिया, पारस सिंघवी, प्रेम सिह शक्तावत आदि ने प्रताप के जीवन पर प्रकाश डाला एवं अगले साल महाराणा प्रताप जयंती ओर भव्य तरीके से मनाने पर जोर दिया गया।
पोकरण विधायक ने अपने उदबोधन में कहा कि महाराणा प्रताप किसी एक समाज के नही थे, वह सभी समाज को साथ लेकर चले, उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि आप में भी प्रताप जैसी ही राष्ट्र भक्ति जगानी होगी तभी भारत जल्द ही फिर से विश्व गुरू बन सकेगा और आपकी भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण होगी। मुख्य अतिथि द्वारा प्रताप जयंती के अंतर्गत आयोजित सप्त दिवसीय कार्यक्रम के संयोजको एवं संगठनों का प्रताप की तस्वीर भेंट कर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में मेवाड़ क्षत्रिय महासभा उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह पाखंड, मंत्री देवेंद्र नाथ फलीचडा , संयुक्त मंत्री जितेंद्र सिंह हमीरगढ़, कोषाध्यक्ष राम सिंह खेड़ा, संगठन मंत्री पुरुष डॉ जितेंद्र सिंह मायदा, संगठन मंत्री महिला डॉक्टर अमी राठौड, सांस्कृतिक मंत्री डॉक्टर अनुश्री राठौड, युवा मंत्री ललित सिंह चरमर, कार्यालय मंत्री नरेंद्र सिंह खेड़ा, श्री झूलेलाल सेवा समिति, सिंधी सेंट्रल युवा सेवा समिति, साहू समाज, चैधरी कलाल समाज, मेढ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज, खटीक समाज, सोनी समाज, मेवाड़ राजपूत महासभा, गुजराती समाज, तेली समाज, गुर्जर समाज, डांगी समाज, सालवी समाज, लोहार समाज, मेघवाल समाज, वाल्मीकि समाज, गुर्जर समाज,कुमावत समाज, माली समाज, तंबोली समाज, अग्रवाल समाज, गुर्जर गौड़ समाज, सुखवाल समाज सहित अन्य समाज एवं संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। मंच का संचालन राजेन्द्र सेन एवं सात दिवसीय कार्यक्रम संयोजक कमलेन्द्र सिंह पंवार ने किया। अन्त में सांस्कृतिक समिति अध्यक्ष चंद्रकला बोलिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
विद्यापीठ में प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती पर किया नमन
वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती पर रविवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के प्रताप नगर परिसर स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं सम्मान समारोह का आयोजन गया।
कुलपति कर्नल प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि संप्रभुता और न्याय के रक्षक मेवाड़ के महान योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर उनकी मुगल साम्राज्य के विरुद्ध अटूट वीरता, संघर्षशीलता और साम्प्रदायिक सद्भाव के साथ किये गए प्रतिरोध को याद किया जाना चाहिए। हमारे राष्ट्र के जन-जन में स्वाधीनता की भावना को मूर्त रूप देने में अटूट वीरता के प्रतीक महाराणा प्रताप की विरासत स्वरूप हमें रणनीतिक प्रतिभा और वीरतापूर्ण देशभक्ति प्राप्त हुई है। अंग्रेजों से हम स्वाधीन हुए हैं तो उसका एक मुख्य कारण हमारे रक्त में इस भावना का होना भी है।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली, डॉ. भवानी पाल सिंह राठौड़, डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, राजू शर्मा, त्रिभुवन सिंह, मुकेश, दुर्गा शंकर, डॉ. ललित सालवी, मनोज यादव सहित विद्यापीठ के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
महाराणा प्रताप जयंती पर 501 लीटर मिल्करोज का वितरण
निःशुल्क भोजन वितरण सेवा संस्थान की ओर से प्रातः स्मरणीय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के 484 जन्मदिवस’ के अवसर पर शहर मे निकाली गई शोभा यात्रा’ के स्वागत में मोती चोहटा, आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के गेट पर 501 लीटर शीतल मिल्करोज का वितरण किया गया। संस्थान के जिला अध्यक्ष राजकुमार सचदेव व महासचिव महावीर नागदा ने बताया कि संस्थान वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से प्रेरणा और उनके उद्देश्यों को याद रखते हुए संस्थान आज तक निरंतर 5 वर्षों से अनवरत रूप से जनहित में भिन्न-भिन्न सेवा करती आ रही है। इसके पीछे राणा प्रताप के आदर्श का ही योगदान है। उन्होंने कहा कि हम सदैव राणा प्रताप के वीरता,साहस, धर्म पारायण, निष्ठा से जनहित में निःस्वार्थ कार्य करने की प्रेरणा को याद रखते हुए संस्थान के कर्मठ कार सेवा साथियों ने बड़े जोश उत्साह के साथ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जन्मोत्सव को मनाया।
सस्थान के जिला सचिव एडवोकेट अशोक कुमार पालीवाल ने बताया कि शोभायात्रा के स्वागत , सम्मान में शीतल मिल्क रोज सेवा समापन के पश्चात ही एम.बी. चिकित्सालय के मुख्य गार्डन में संस्थान द्वारा निःशुल्क भोजन वितरण सेवा कार्यक्रम किया। इन दोनों सेवा कार्यक्रम के समय संस्थान के बृजमोहन वशिष्ठ, गरिमा नागदा , विनीत तलेसरा , हरिओम सेन , गोपाल वर्मा , शारदा शर्मा , शांता शर्मा , शानू सालवी , दिनेश अरोड़ा , रेशम भट्ट , ओंकार लाल लोहार , बेबी बेन , गोविंद शर्मा , घनश्याम माली , राजेंद्र आमेटा , योगेश कुमावत , मदन लाल चुंडावत हेमंत कसेरा , हेमंत दसोड़ा, मोनिका माली , अनिल भावसार, और हितेश भाटिया कार सेवा साथी उपस्थित थे।