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ख़ुदा ने आज तक उस कौम की हालत नहीं बदली, न हो जिसको ख्याल आप अपनी हालत बदलने का - डॉ एम असलम परवेज़ 

"वर्तमान परिस्थिति एवं मुस्लिम समुदाय - कुरान के परिप्रेक्ष्य में" नामक वेबीनार
 
सोशल मीडिया ज़ूम और फेसबुक पर सीधे प्रसारित इस वेबिनार में भारत के अलावा कुवैत, इंग्लैंड, कनाडा, दुबई, मस्कत अमेरिका मुसलमानो के अलावा कई गैर मुस्लिम लोगों ने भी शिरकत की। 

उदयपुर 21 जून 2020। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ मोहम्मद असलम परवेज़ ने ये विचार सुधारवादी बोहरा यूथ की केंद्रीय संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के तत्वावधान में आयोजित एक वेबिनार में व्यक्त किये। "वर्तमान परिस्थिति एवं मुस्लिम समुदाय: क़ुरान के परिप्रेक्ष्य" में विषयक दो घंटे तक चली इस वेबिनार में उन्होंने क़ुरान शरीफ की अनेकानेक आयतों और सूरा के हवाले से मुसलमानों की शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक स्थिति पर व्यापक रूप से चर्चा की।  

उन्होंने कहा की बदकिस्मती से आज़ादी के बाद भारतीय मुस्लिम समुदाय अपनी और अपनी सामाजिक उन्नति और उत्थान के लिए सिर्फ राजनैतिक पार्टियों की तरफ ही देखता रहा और विभिन्न राजनैतिक पार्टियों ने इस समुदाय को अपने वोट बैंक से ज़्यादा कुछ नहीं माना। फलतः आज़ादी की 70 सालों के बाद भी भारतीय मुसलमानो की स्थिति अन्य समुदाय की तुलना में बेहतर नहीं कही जा सकती। चर्चा में उन्होंने मुसलमानो का आह्वान किया कि बेहतर ज़िन्दगी जीने के लिए क़ुरान शरीफ की हिदायतों और शिक्षा पर अमल करने पर ही आप अपनी और समाज की उन्नति कर सकते हैं।  

डॉ असलम परवेज़ ने बताया कि हालाँकि उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण में मुस्लिम समुदाय का शैक्षणिक स्तर बहुत अच्छा है। यह स्थिति वहां तब है जब वो किसी नेता या पार्टी के भरोसे नहीं रहे और उन्होंने स्वयं मुख्यधारा से जुड़ने के लिए क़दम उठाये। इससे ज़ाहिर होता है कि अपना स्तर ऊँचा उठाने के लिए हम खुद गभीरता पूर्वक प्रयास करे तभी अन्य समुदाय के अनुसार आपको भी बेहतर अवसर प्राप्त होंगे और आप तरक़्क़ी कर पाएंगे।    

उन्होंने कहा कि सिर्फ क़ुरान शरीफ की तिलावत करते रहने से कल्याण नहीं होगा बल्कि क़ुरान की हिदायत के मुताबिक अल्लाह के हर एक बन्दे से चाहे वो किसी भी वर्ग, जाति, धर्म, रंग और नस्ल का हो, की खिदमत करने और परस्पर मोहब्बत करने से खुद का, समाज का और देश का कल्याण होगा। उन्होंने चिंता व्यक्त कि क़ुरान को पढ़ कर, समझ कर और उसमे दी हुई शिक्षा पर अमल नहीं करने की वजह से ही आज दुनिया भर में असंतोष और नफरत का माहौल है। उन्होंने क़ुरान की आयतों का हवाला देते हुए बताया कि क़ुरान शरीफ हर एक के लिए है जबकि आम मुसलमानों ने क़ुरान को सिर्फ उनकी किताब मान लिया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ तिलावत से कुछ हासिल नहीं क़ुरान को समझना और इसमें लिखे हुए हर एक अक्षर, शब्द और वाक्य पर विचार और मनन की आवश्यकता है। विचार और मनन करने पर ही प्रश्न पैदा होंगे उन्होंने समाज के ठेकेदारों और कठमुल्लाओं को आड़े हाथों लेते हुए बताया कि उनके मज़हब के नाम पर विचार मनन करने की मनाही की वजह से ही सवाल करने पर पाबन्दी लगी हुई है और आम मुसलमान अंधकार में है।  

डॉ मुहम्मद असलम परवेज़ ने बताया ब्रह्माण्ड में मौजूद प्रत्येक वो चीज़ जो अल्लाह के हुक्म से चलती है वह सभी मुस्लिम है। मुस्लिम होने के लिए सिर्फ नमाज़, रोज़ा, हज, ज़कात काफी नहीं बल्कि जो शख्स मुस्लिम हो, उनका बेहतरीन किरदार का होना भी ज़रूरी है। हमने कुरआन की कुछ बाते तो मान ली, लेकिन कुछ बातो को बिलकुल ही नज़रअंदाज़ कर बैठे। कुरआन में कहा गया है की अपने पड़ौसी को भूखा मत सोने दो, चाहे वह किसी भी धर्म/समाज/पंथ  का मानने वाला हो। इसी तरह प्रत्येक इंसान के साथ बराबरी का सुलूक करो। क्युकी सभी इंसान एक ही पिता की संतान है।

दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता मंसूर अली ओड़ा वाला ने बताया सोशल मीडिया ज़ूम और फेसबुक पर सीधे प्रसारित इस वेबिनार में भारत के अलावा कुवैत, इंग्लैंड, कनाडा, दुबई, मस्कत अमेरिका मुसलमानो के अलावा कई गैर मुस्लिम लोगों ने भी शिरकत की। इससे पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के महासचिव इरफ़ान इंजीनियर ने डॉ असलम परवेज़ के परिचय के साथ उनका स्वागत किया और अंत में सेंट्रल बोर्ड के अध्यक्ष कमांडर मंसूर अली बोहरा ने सभी का आभार ज्ञापित किया।