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उदयपुर की रजिया की सेवईंयों की डिमांड अरब देशों में भी  

हाथो से बनी सेवइयां की रमज़ान माह के खास तौर पर रहती है मांग 

 

रमज़ान माह में खास तौर पर सेवइयां खाना और खिलाना की एक परंपरा सी बन गई हैं और खास तौर से ईद पर सेवाइयाँ खिलाना पसंद किया जाता है।  इसी कारण इसकी डिमांड भी बाजारों में बढ़ जाती है। लेकिन उदयपुर शहर की रहने वाली रजिया बानो की सेवइयां की अरब देशों तक डिमांड है। ईद के मौके पर इन्हे खास तौर पर विदेशो से ऑडर्स मिलते है। यह आज भी पारंपरिक तरीके से घर पर हाथों से सेवइयां तैयार करती है। 

रमजान के मौके पर रजिया बानो दिन में करीब 10 से 12 किलो आटे की सेवइयां बनाती है। रमजान में पहले से ही ऑडर्स मिलना शुरू हो जाते है। न सिर्फ देश में बल्की विदेशो में भी इनके हाथो से बनी सेवइयां पसंद की जाती है।

हाथो से बनी सेवइयां की रमज़ान माह के खास तौर पर रहती है मांग 

रजिया बानो बताती है की वैसे तो साल भर सेवइयां बनाने के ऑडर्स आते रहते है लेकिन रमज़ान माह में मांग अधिक बढ़ जाती है। इसलिए दिन में करीब 10 से 15 किलो आटे की सेवइयां तैयार कर लेती है। अगर ऑडर्स ज्यादा है तो परिवार के सदस्यों द्वारा मिल कर सेवइयां बनाई जाती है। हाथो से बनी सेवइयां कई लोग खाना पसन्द करते हैं।

अरब देशों में भी है डिमांड

रजिया बानू बनाती हैं की उनकी सेवइयां खास तौर पर विदेशी लोगो द्वारा भी पसंद की जाती है रमज़ान के मौके पर उन्हें पहले से ऑडर्स आना शुरू हो है। अरब देशों में रहने वाले लोग खास तौर पर उनकी सेवइयां खाना पसन्द करते है इसमें कुवैत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब तक रहने वाले लोग उनकी सेवइयां मंगवाते हैं।

22 वर्षो से कर रही कार्य, पति के इंतकाल के बाद घर खर्च के लिए शुरू किया काम

शहर के खेरदीवाड़ा इलाके की रहने वाली रजिया के पति का करीब 22 वर्ष पूर्व इंतकाल हो गया था। इसके बाद मजबूरी में घर खर्च चलाने और बच्चो को बड़ा करने के चलते यह सेवइयां बनाना शुरू किया था, जो आज उन्हें एक पहचान दिला चुका है। रजिया बानू की सेवइयां इतनी लाजवाब है की उन्हें लोग ढूंढते हुए उनके घर आते है।