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डॉक्टर किसी भी दवा या कंपनी का विज्ञापन नहीं कर सकेंगे

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने एक अधिसूचना जारी कर देशभर में नए नियम लागू कर दिए हैं।

 

डॉक्टर किसी भी दवा या कंपनी का विज्ञापन नहीं कर सकेंगे। ऐसा कोई मामला सामने आता है तो उनका लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर अब हिंसक रोगी के उपचार से इनकार कर सकेंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission एनएमसी) ने एक अधिसूचना जारी कर देशभर में नए नियम लागू कर दिए हैं।

नए नियमों के तहत डॉक्टर हिंसक रोगी के इलाज से मना कर सकता है, हालांकि डॉक्टर को यह देखना होगा कि इससे मरीज की जान का जोखिम तो नहीं बढ़ जाएगा। एनएमसी ने एक साल से लंबित पंजीकृत चिकित्सक व्यावसायिक आचरण विनियम संबंधी अधिसूचना को भी जारी कर दिया है।

डॉक्टरों के गिफ्ट लेने पर लगाई रोक

नई अधिसूचना के अनुसार, किसी डॉक्टर या उनके परिवार को कोई उपहार, यात्रा सुविधाएं, नकद या मौद्रिक अनुदान देता है तो उसका लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। वहीँ,पंजीकृत डॉक्टर सेमिनार, संगोष्ठी या सम्मेलन जैसे किसी भी तीसरे पक्ष की उन शैक्षिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकेंगे, जिनका फार्मा कंपनी से संबंध हो। अधिसूचना में कहा, डॉक्टर किसी भी स्थिति में उपहार नही ले सकते।  

नाम के आगे मनचाही डिग्री नहीं लिखेंगे

डॉक्टर नाम के आगे मनचाही डिग्री या कोर्स का नाम नहीं लिख सकते। इन्हें नाम के आगे एनएमसी की ओर से मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री/ डिप्लोमा का नाम लिखना होगा। यह डिग्री या डिप्लोमा भी वही होगा, जिसके बारे में एनएमसी की वेबसाइट पर जानकारी मौजूद होगी। अगर कोई और डिग्री लिखते हैं तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

मरीज को उपचार के खर्च की जानकारी

नियमों के मुताबिक, सर्जरी या उपचार की लागत के बारे में पूरी जानकारी मरीज को देनी होगी। मरीज की जांच या इलाज शुरू करने से पहले उसे परामर्श शुल्क के बारे में बताना होगा। मरीज शुल्क नहीं देता है तो डॉक्टर उपचार के लिए इनकार कर सकता है, लेकिन यह आपात स्थिति वाले रोगियों के साथ लागू नहीं होगा।

पांच दिन में मिलेंगे मरीजों को दस्तावेज

मरीज को दस्तावेज की जानकारी चाहिए तो डॉक्टर को 5 दिन में देनी होगी। अभी 72 दिन का समय दिया जाता है। आपात स्थिति में रिकॉर्ड जल्द देने का प्रयास करने चाहिए। नशीले पदार्थ का सेवन कर मरीजों की देखभाल करना प्रतिबंधित है।