गीतांजली हॉस्पिटल का G.I surgery विभाग उम्मीद खो चुके रोगियों के लिए बना नई आशा की किरण
आंत की लम्बाई मात्र 20 व 60 सेंटीमीटर होने पर भी रोगी कम खर्च में घर के खाने से स्वस्थ जीवनयापन कर रहे हैं जो अपने आप में किसी उपलब्धि से कम नही।
गीतांजली हॉस्पिटल सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल है यहाँ आने वाले रोगियों की जटिल से जटिल बिमारियों का नवीनतम तकनीकों द्वारा एक्सपर्ट्स की टीम निरंतर इलाज कर रही है। गीतांजली हॉस्पिटल के G.I surgery विभाग के एच.ओ.डी डॉ कमल किशोर बिश्नोई, डॉ आकांशा सोनी व टीम के द्वारा तीन बहुत ही चुनौतीपूर्ण व अचम्भित कर देने वाले केस अपने आप में किसी चमत्कार से कम नही।
आइये सबसे पहले जाने छोटी आंत के बारे में, छोटी आंत क्या है?
छोटी आंत एक पाचन तंत्रिका है जो पेट के बाद में होता है और खाने के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
छोटी आंत कितनी लंबी होती है?
छोटी आंत की लंबाई लगभग 5-7 मीटर होती है।
जीवन- यापन हेतु कम से कम छोटी आंत की कितनी लम्बाई आवश्यक है?
कम से कम 1 मीटर ( 100 सेंटीमीटर)
छोटी आंत में कौन-कौन से अंग होते हैं?
छोटी आंत में तीन अंग होते हैं: डुआडेनम (Duodenum), जीजुनम (Jejunum), और इलियम (Ileum)।
छोटी आंत का क्या कार्य है?
छोटी आंत अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों का पाचन करती है। इसमें पोषक तत्वों को शरीर के लिए उपयुक्त बनाया जाता है और उनका उपभोग होता है।
छोटी आंत के विकार क्या हो सकते हैं?
छोटी आंत के कुछ सामान्य विकार शामिल होते हैं जैसे गैस, पेट दर्द, पेट में सूजन, या पेट की समस्याएं। इनके अलावा, छोटी आंत की संक्रमण, समस्याएं भी हो सकती हैं।
छोटी आंत के स्वस्थ पालन कैसे करें?
छोटी आंत के स्वस्थ पालन के लिए आपको पोषक तत्वों से भरपूर आहार खाना चाहिए, पानी पीना चाहिए, और समय पर खाना खाना चाहिए। अतिरिक्त गैस और पेट दर्द से बचने के लिए आपको स्वस्थ आहार और अधिक पानी पीने का पालन करना चाहिए।
यह विदित है कि एक आम आदमी को जीवन यापन करने के लिए कम से कम 100 सेंटीमीटर छोटी आंत का होना ज़रूरी है। गीतांजली हॉस्पिटल के G.I surgery विभाग की टीम द्वारा तीन रोगियों जिनकी छोटी आंत की लम्बाई मात्र 60 व 20 सेंटीमीटर है का अथक प्रयासों से सफल ऑपरेशन करके स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया| सभी रोगी अभी अपना आराम से जीवनयापन कर रहे हैं।
आइये अब जाने पोषण कितने प्रकार के व कौनसे होते हैं
पोषण के दो विभिन्न तरीके हैं: पेय पोषण (पेयजन्य या पैरेंटरल) और मुख से (मुख के माध्यम से), पेय पोषण (Parenteral Nutrition): यह आमतौर पर उस समय प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति सामान्य रूप से भोजन करने या पचाने में समर्थ नहीं होता, जैसे कि गंभीर बीमारी, पाचनतंत्र की विकृतियाँ, या कुछ सर्जरी के बाद। पेय पोषण सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जैसे कि कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, विटामिन, और खनिज जैसे पोषण को नसों के द्वारा रोगी को दिया जाता है|
मुखद्वारा पोषण (Oral Nutrition): यह सबसे सामान्य तरीका है जिससे लोग पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं, मुख के माध्यम से खाने-पीने से। भोजन और पेय से पोषक तत्वों को पाचनतंत्र में बिखराया जाता है, अंततः इंटेस्टाइन के माध्यम से रक्तसंचार में अवशोषित किया जाता है, और फिर शरीर के विभिन्न भागों में वितरित किया जाता है, ताकि विभिन्न शारीरिक कार्यों का समर्थन किया जा सके। मुखद्वारा पोषण को संपूर्ण स्वास्थ्य और कुशलता के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
विस्तृत जानकारी
डॉ कमल ने बताया कि प्रायः 100- 60 सेंटीमीटर छोटी आंत वाले को जीवित रहने के लिए नसों के द्वारा Parenteral पोषण देना पड़ता है जिसकी प्रतिदिन की कीमत लगभग 4000- 5000/- रूपये है| हमारे रोगी जिनकी सिर्फ 20 एवं 60 सेंटीमीटर छोटी आंत बची है उनको मुंह के द्वारा ही संशोधित पोषण दिया जा रहा है जो कि आराम से पच सके और खाना जिस प्रकार से एक आम आदमी के लिए कारगर होता है उसी प्रकार के इनके खाने में सभी पोषण तत्व को शामिल किया गया, जिसे रोगी ले रहे हैं और उनको स्वस्थ लाभ भी मिल रहा है और साथ ही वजन भी बढ़ा है| इलाज के दौरान प्रोटोकॉल के अनुसार आंत की स्पीड को कम कर दिया जाता है और रोगी को प्री-डाईजेस्टेड खाना दिया जाता है।
46 वर्षीय उदयपुर निवासी मुन्ना खान (छोटी आंत मात्र 60 सेंटीमीटर शेष), 63 वर्षीय भीलवाड़ा निवासी नाथुलाल (छोटी आंत मात्र 60 सेंटीमीटर शेष), 34 वर्षीय मंदसौर निवासी श्रीमती शबाना (छोटी आंत मात्र 20 सेंटीमीटर शेष) ये सभी रोगी हताश हो चुके थे और इनकी छोटी आँतों में गेंग्रीन इतना फ़ैल चुका था कि बचना नामुमकिन था। इन्होने कई हॉस्पिटल में भी दिखाया परन्तु इलाज के लिए मना कर दिया गया।
रोगी जब गीतांजली हॉस्पिटल आये तब जी.आई. सर्जरी विभाग की टीम द्वारा रोगियों को आश्वासन दिया गया व इन सभी गंभीर रोगियों के सफल ऑपरेशन किये गए। रोगियों का पोस्ट ऑपरेटिव मैनेजमेंट स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल का उपयोग करते इलाज किया गया। आज सभी रोगी स्वस्थ है अपना जीवनयापन कर रहे हैं।
गीतांजली हॉस्पिटल के सीओओ श्री ऋषि कपूर ने भी सम्पूर्ण जी.आई सर्जरी विभाग की प्रशंसा की और साथ ही भविष्य में इस तरह के गंभीर रोगियों को स्वस्थ जीवन देने की बात की जोकि अँधेरे में उम्मीद देने जैसा है।
गीतांजली हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी तथा जी. आई. सर्जरी से संबंधित सभी एडवांस तकनीके व संसाधन एंडोस्कोपी यूनिट में उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल पिछले सतत् 17 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी विश्वस्तरीय सेवाएं दे रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता आया है। गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदेव तत्पर है।