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ये नई इंप्लांट तकनीक अनचाहे गर्भ को रोकने में 99 प्रतिशत प्रभावी है 

चिकित्सा विभाग के एक डॉक्टर को यह इंप्लांट लगाने की ट्रेनिंग मिल चुकी है

 

उदयपुर, 23 नवंबर। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए अब गर्भ निरोधक गोलियों या अन्य तरीकों के अलावा महिलाएं अब सब डर्मल इम्‍प्‍लांट तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगी। नाम के हिसाब से इस इंप्लांट को कोहनी और कंधों के बीच चमड़ी के सहारे चार इंच दायरे में लगाया जाता है। खास हिस्से को एनेस्थिसिया से सुन्न कर मशीन विशेष से इंप्लांट को चमड़ी के सहारे महिला के शरीर के भीतर भेजा जाता है। ये सिस्टम औसत तीन से पांच साल तक परिणाम देता है। इंप्लांट की खूबी है कि वह चमड़ी में लगने के बाद हार्मोन को धीरे-धीरे रिलीज करता है। चिकित्सा विभाग में सब डर्मल इंप्लांट्स के माध्यम से महिलाओं में ठहरने वाले अवांछित गर्भ को रोकने पर काम हो रहा है। 

शहर के चिकित्सक ले रहे ट्रेनिंग

यूएनएफपीए (UNFPA) और उनके तकनीकी सहयोगी संस्थान जेएचपीआइईजीओ (Jhpiego) के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में बुधवार को सब डर्मल इंप्लांट्स विषय पर चर्चा हुई। सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया ने बताया कि वर्तमान में ये अनुप्रयोग देश के 20 जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर हो रहा है। इसमे राजस्थान के 5 जिले शामिल है। जिसमे से एक उदयपुर भी है। 

उदयपुर में जनाना अस्पताल के चार चिकित्सकों के अलावा सेटेलाइट चांदपोल के दो और चिकित्सा विभाग के एक डॉक्टर को यह इंप्लांट लगाने की ट्रेनिंग मिल चुकी है। इससे पहले कार्यशाला में विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जेड.ए. काजी, सलूंबर सीएमएचओ (CMHO) डॉ. जेपी बुनकर, उदयपुर एसीएमएचओ (ACMHO) डॉ. रागिनी अग्रवाल समेत सभी 16 बीसीएमओ (BCMO) और बीपीएम (BPM) ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय ट्रेनर डॉ. सुनीता, स्टेट ट्रेनर डॉ. नाज़िमा, मोहम्मद हुसैन बोहरा और कृष्ण गोपाल सोनी ने संबोधित किया।

क्या है इम्‍प्‍लांट तकनीक

अनचाहे गर्भ से बचने के लिए एक विशेष तरह का इम्‍प्‍लांट विकसित किया है। यह एक प्रकार से बर्थ कंट्रोल इम्‍प्‍लांट है, यह माचिस की तीली के आकार की एक छोटी और पतली छड़ होती है, जो महिलाओं के शरीर में एक प्रकार का हार्मोन रिलीज करने में मदद करता है। जिसे प्रोजेस्टिन कहा जाता है और जो महिलाओं को गर्भवती होने से रोकता है। इससे गर्भ ठहरने के आसार नगण्य हो जाते हैं। अब तक के अनुभव के हिसाब से इसके परिणाम 99 फीसदी मिले हैं। गर्भ धारण करने की स्थिति में इसे हटवाया जा सकता है तो खराब होने के बाद नया भी लगवाया जा सकता है। वहीं अब तक करीब 30 महिलाओं में ये इंप्लांट लगाने की कार्रवाई भी हो चुकी है।