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जानिए Tachophobia से जुड़ी जानकारी

किसे होती है ये बीमारी

 

उदयपुर, 1 नवंबर । टैकोफोबिया एक किस्म का डर है। जो तेज स्पीड (Fear of Speed Phobia) से चल रही कार को देखकर हो सकता है। ये दरअसल स्पीड फियर है। कोई भी तेज गति से चलने वाली गाड़ी, रोलर कोस्टर, बाइकिंग और ड्राइविंग का भी डर हो सकता है। गंभीर स्थिति में ये भी हो सकता है कि टैकोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति एरोप्लेन, बस या ट्रेन में बैठने से भी डरने लगे।

कुछ लोग तेज स्पीड से चलने वाली कार या बस के डर से घर से तक निकलना बंद कर देते हैं। ये डर कभी कभी बहुत बड़ी मुसीबत भी बन जाता है। इस डर की कोई वाजिब वजह नहीं है लेकिन मुश्किल तब होती है जब ये डर ज्यादा हावी होने लगता है।

किसे हो सकता है टैकोफोबिया?

  1. टैकोफोबिया उन लोगों को हो सकता है जिनके घर में पहले किसी को ऐसा फोबिया या स्पीड फियर रहा हो।
  2. अगर घर में किसी को एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो तो भी फैमिली मेंबर को टैकोफोबिया हो सकता है।
  3. अगर किसी का तेज रफ्तार गाड़ी से एक्सीडेंट हो चुका हो तो उसे भी टैकोफोबिया हो सकता है।

क्या है टैकोफोबिया के लक्षण?

  • कोई जबरदस्त मानसिक सदमा पहुंचने पर टैकोफोबिया हो सकता है। जैसे किसी ने अपने करीबी को प्लेन क्रैश या ऐसे किसी हादसे में खो दिया हो या किसी कार हादस में तो टैकोफोबिया हो सकता है।
  • जिन्हें टैकोफोबिया होता है उन्हें न सिर्फ तेज रफ्तार कार में या गाड़ी में बैठने से डर लगता है बल्कि तेज रफ्तार गाडियां देखने से या रेसिंग गेम या एक्शन मूवीज में तेज सीक्वेंस देखने से भी डर लगता है।
  • इस डर से पीड़ित गाड़ी में बैठने या पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करने से भी घबराते हैं। ये डर ज्यादा बढ़ने पर पीड़ित को चेस्ट पेन, चक्कर आना, घबराहट होना, दिल की धड़कन तेज होना, मतली आना, सांस टूटती हुई लगना या खूब पसीना आने की समस्या भी हो सकती है।