Partial knee replacement है बेहतर विकल्प
लगभग 60% रोगियों को सम्पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण की आवश्यकता नहीं
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल उदयपुर में आने वाले रोगियों को मल्टी डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण द्वारा इलाज किया जाता है| अभी गत माह आर.जी.एच.एस लाभार्थी आबू निवासी 47 वर्षीय महिला रोगी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया। इस सफल उपचार को सफल बनाने वाली टीम में ऑर्थोपेडिक विभाग के एच.ओ.डी व जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ रामावतार सैनी,एनेस्थीसिया विभाग से डॉ भगवंत गोयल, डॉ सुनील वीरवाल ओ.टी स्टाफ,आईसीयू स्टाफ शामिल है।
विस्तृत जानकारी:
डॉ रामावतार सैनी ने बताया कि पार्शियल नी रिप्लेसमेंट में रोगी के घुटने की लगभग 80% संरचना सुरक्षित रहती है। प्रायः 50- 60 आयु तक के रोगियों को इसकी सलाह दी जाती है, आमतौर पर टोटल नी रिप्लेसमेंट लगभग 20-25 वर्षों तक कारगर रहता है इसलिए कम उम्र के रोगियों को पार्शियल नी रिप्लेसमेंट की सलाह दी जाती है जिससे यदि भविष्य में पुनः ज़रूरत हो तब रोगी का टोटल नी रीप्लेसमेंट किया जा सके। सबसे प्रमुख समझने वाली बात यह है कि घुटना प्रत्यारोपण वाले रोगियों में लगभग 60% रोगियों को ही नी रीसरफेसिंग या आंशिक प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।
आबू की रहने वाली महिला रोगी के ऑपरेशन को लगभग दो माह हो चुके है। रोगी ने बताया अभी वह बिल्कुल स्वस्थ है, अपनी दिनचर्या का निर्वाह अच्छे से कर रही है, दोनों घुटनों में किसी भी तरह की परेशानी नहीं है। नित्य 5 किलोमीटर की सैर कर रही हैं, साइकिल चला रही हैं।
इस तरह की सर्जरी का सबसे बड़ा लाभ है की यह मिनिमल इनवेसिव सर्जरी है अभिप्राय सिर्फ 2-3 इंच के चीरे में पूरी सर्जरी हो जाती है जिससे रोगी को जल्दी स्वास्थ लाभ प्राप्त होता है। रोगी को सर्जरी के दिन ही चलवा दिया जाता है।
इस तरह के ऑपरेशन प्रायः क्वॉटरनरी केयर सेंटर्स पर ही किये जाते हैं। सम्पूर्ण राजस्थान में इस तरह के ऑपरेशन गीतांजली हॉस्पिटल में किये जा रहे हैं या जयपुर में उपलब्ध हैं।
गीतांजली हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक विभाग में सभी एडवांस तकनीके व संसाधन उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।
गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 17 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।