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64 चंवर व भव्य कलश यात्रा आयोजित

शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में भव्य वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव

 

उदयपुर। हिरण मगरी सेक्टर 11 स्थित श्री महावीर दिगंबर जैन चौरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में भव्य वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन 64 चंवर एवं भव्य कलश यात्रा का आयोजन हुआ।  

शोभायात्रा में विशेष परिधानों में सजी मंगल कलश धारी महिलाओं के साथ सैकड़ों समाज जन सम्मिलित हुए। शोभायात्रा में सम्मिलित होने के लिए समाज के महिला पुरुषों में इतना जबरदस्त उत्साह था कि देखते ही देखते सड़क पर श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ जमा हो गई और उन्हें वहां पांव रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी। बैंड बाजों की मधुर धुनों के साथ मंगल गान एवं भगवान के नारों से क्षेत्र गुंजायमान हो गया। शोभा यात्रा हिरण मगरी सेक्टर 11 के विभिन्न मार्गाे से होती हुई डोम पांडाल में पहुंची।

ट्रस्ट के अध्यक्ष ताराचंद जैन ने बताया कि बुधवार सवेरे मंगला योजना की शुरुआत शांति जाप प्रक्षाल से प्रारंभ हुई। उसके बाद याद मंडल विधान का भव्य आयोजन संपन्न हुआ।

पंडित देवेंद्र बिजोलिया ने मां महोत्सव में ज्ञान गंगा प्रवाहित करते हुए बताया कि केवल भगवान की स्तुति करने से ही मोक्ष मार्ग नहीं मिलता है उसे अपने जीवन में उतारना पड़ता है। प्रातः काल उठते ही जिनवाणी अपने कानों में पडनी चाहिए, लेकिन अक्सर इसका होता उल्टा है। प्रातः उठते हैं या तो हम समाचार पत्र देखेंगे या पारिवारिक और दुनियादारी की बातें ही करेंगे। ऐसा करने से आपको यह सोचना होगा कि आपके राग की दिशा किधर जा रही है। राग दो प्रकार के होते हैं एक वीतराग दूसरा रागों के प्रति राग। दोनों राग हैं लेकिन दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। हमें वितरागी बनना है या रागो के प्रति राग रखना है यह आपके ऊपर निर्भर करता है। हम सभी संसार रूपी समुद्र के बीच में है और मगरमच्छ के मुख में है। हमें यह समझना होगा कि प्रातः काल में भी सूर्य की लालिमा होती है और सायकाल भी सूर्य की लालिमा होती है। लेकिन दोनों में फर्क है। प्रातःकाल की लालिमा प्रचंड सूर्य के प्रकाश के लिए होती है जबकि शाम की लालिमा अंधकार मैं जाने का संकेत करती है। जिसने जीवन में आराधना को स्वीकार कर लिया उसका जीवन सफल हो गया।

सांयकाल जिनेंद्र भक्ति का धार्मिक कार्यक्रम हुआ। उसके बाद गुरुदेव के सीडी प्रवचन एवं रात्रि 9 से 10 बजे तक विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन हुए।