ऑक्सीजन ऑपरेटर्स ने नौकरी की मांग को लेकर किया प्रदर्शन
ट्रेनिंग देने के बाद किसी तरह की नियुक्तियां नहीं, ऑपरेटर बेरोजगार
उदयपुर - कोरोना काल के दौरान सरकार ने ऑक्सीजन प्लांटों पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों ज़िला, उपज़िला, सैटेलाइट और सीएचसी पर भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर दिए गए थे, लेकिन अब इन उपकरणों के संचालन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी अप्रशिक्षित स्टाफ के हाथों में है। हैरान करने वाली बात यह है कि बड़े-बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांटों की कमान नर्सिंग और वार्ड बॉय के हाथों में है। ऐसे में प्रदेशभर में करीब 500 ऑक्सीजन प्लांट संचालित हैं।
इनमें पीएम केयर्स की ओर से संचालित प्लांट भी शामिल हैं। तो वहीं पीएसए प्रशिक्षण ले चुका ट्रेंड स्टाफ नियुक्ति का इंतजार कर रहा है। केन्द्र सरकार की योजना के तहत पूरे प्रदेश भर के कुल 400 आईटीआई (फीटर व इलेक्ट्रिशियन) प्रशिक्षितों ने पहले तो 180 घंटे का पीएसए यानि हवा से ऑक्सीजन बनाने की ट्रेनिंग ली। इसी के अलावा ऑल इंडिया स्तर पर 266 ने ऑनलाइन भी परीक्षा पास की, लेकिन अब नौकरी का इंतजार कर रहे हैं।
इस अवसर पर ऑपरेटर लक्ष्मी नारायण प्रजापत ने बताया पीएसए में उन्हें ट्रेनिंग दी गई उसके बाद उन्हें अभी तक किसी तरह की नियुक्तियां नहीं दी गई ऐसे में सभी ऑपरेटर बेरोजगार होकर बैठे हैं । अन्य राज्यों में तो सरकार ने नियुक्तियां दे दी लेकिन राजस्थान में नियुक्तियां नहीं दी। ऐसे में आज राजस्थान के सभी मुख्यालयों पर ऑपरेटरों ने प्रदर्शन किया। इसी के चलते ऑक्सीजन प्लांट के ऑपरेटरों को नियुक्ति नहीं दी जाने पर सभी ऑपरेटरों ने उदयपुर ज़िला कलेक्टरी पर सोमवार को धरना प्रदर्शन किया और ज़िला कलेक्टर को अपनी मांगो को लेकर ज्ञापन भी सौंपा।