प्रेषिका द्विवेदी को विद्या वाचस्पति की उपाधि
शोध में प्राप्त निष्कर्षों से छाया एवं प्रकाश की तकनीकों में नवोन्मेष और साहित्य में इसकी उपादेयता का लाभ युवा चित्रकार ले सकेंगे
उदयपुर 19 सितंबर। शहर की युवा चित्रकार सुश्री प्रेषिका द्विवेदी को दृश्य कला विभाग, मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय द्वारा चित्रकला विषय में अपना शोध कार्य पूर्ण करने पर विद्या वाचस्पति की उपाधि दी गई है।
प्रेषिका ने अपना शोध “भारतीय आधुनिक चित्रकला में अनुप्रयोगात्मक छाया - प्रकाश का आग्रह और वैविध्य: एक अध्ययन” विषय पर पूर्ण किया है। उन्होंने दृश्य कला विभाग के प्रोफेसर डॉ. मदन सिंह राठौड़ के निर्देशन में कला साधना के रूप में पूर्ण मौलिकता के साथ यह शोध कार्य सम्पन्न किया गया है। वर्तमान में सेठ मथुरादास बिनानी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नाथद्वारा में चित्रकला विषय की सहायक आचार्य पद पर कार्यरत प्रेषिका का शोध नई पीढ़ी के लिए उपयोगी रहेगा।
शोध में प्राप्त निष्कर्षों से छाया एवं प्रकाश की तकनीकों में नवोन्मेष और साहित्य में इसकी उपादेयता का लाभ युवा चित्रकार ले सकेंगे। प्रेषिका ने बताया कि चित्रकला का छाया प्रकाश माध्यम समसामयिक स्वरूप में लाइट आर्ट के रूप में एक स्वतंत्र विधा बन चुका है जिसे हम अत्याधुनिक अभिप्रयोग कह सकते है। यह परिष्कृत रूप ‘प्रकाश -कला’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि विषय की वैविध्यता को देखते हुए चित्रकला में यह शोध होना आवश्यक था जहां पाठकों को आधुनिक भारतीय चित्रकला में छाया प्रकाश तकनीक का आग्रह समझ आ सके।