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गीतांजली आईवीएफ सेंटर में विवाह के 20 वर्ष हो जाने के बाद प्रथम चरण में रोगी ने किया गर्भधारण

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के आईवीएफ सेंटर में गत वर्षों से आने वाले रोगियों का निरंतर इलाज कर उनके जीवन में खुशियाँ लाने के सफल प्रयास किये जा रहे हैं

 

आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन रिप्रोडक्टिव टेक्‍नोलोजी, आज इस शब्द से शायद  ही कोई अपरिचित होगा।  बहुत से दम्पतियों को विवाह के पश्चात् भी बच्चे नही होने के कारण समाज में हीन भावना का शिकार होना पड़ता था। ऐसे में आईवीएफ तकनीक एक वरदान से कम नही। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के आईवीएफ सेंटर में गत वर्षों से आने वाले रोगियों का निरंतर इलाज कर उनके जीवन में खुशियाँ लाने के सफल प्रयास किये जा रहे हैं। यहाँ आमतौर पर इलाज हेतु आने वाले दंपत्तियों के बच्चे हो जाने के बाद वह सामान्य रूप से खुशहाल जीवन जी रहे हैं। 

अभी हाल ही में 35 वर्षीय जालोर निवासी नयनी देवी (परिवर्तित नाम) जिसके कि अंडाशय मे कैंसर की शिकायत थी ने विवाह के 20 वर्ष हो जाने के बाद गीतांजली हॉस्पिटल के आईवीएफ सेंटर में इलाज करवाने के प्रथम चरण में ही गर्भ धारण कर चुकी हैं जो कि स्वयं में एक उपलब्धि से कम नहीं। रोगी का सफल इलाज करने वाली टीम में आईवीएफ विभाग की एच.ओ.डी डॉ. पूजा गाँधी व उनकी टीम द्वारा किया गया और साथ ही रोगी के अंडाशय के कैंसर का इलाज कैंसर सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया, डॉ. अरुण पाण्डेय व मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. अंकित अग्रवाल तथा डॉ रेणु मिश्रा द्वारा किया गया। 

क्या था मसला:

कुछ माह पूर्व रोगी पेट में दर्द के इलाज के लिए गीतांजली हॉस्पिटल आयी थी। रोगी की सोनोग्राफी व अन्य जांचे की गयी जिसमे अंडाशय में कैंसर होने की पुष्टि हुई। रोगी को गीतांजली कैंसर सेंटर से रेफेर किया गया था| गीतांजली कैंसर सेंटर की टीम द्वारा रोगी के कैंसर पूर्ण इलाज किया गया। गीतांजली कैंसर सेंटर की टीम ने जांचो में पाया कि रोगी पहले दो बार उदयपुर के अन्य निजी हॉस्पिटल में आई.वी.एफ करवा चुकी है। रोगी की यह स्थिति जानने के पश्चात् रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल के आई.वी.एफ सेंटर में रेफर किया। 

डॉ. पूजा गाँधी ने बताया कि जब रोगी उनके पास आई तो रोगी के कैंसर का इलाज हुआ था फिर भी रोगी की आईवीएफ के लिए आवश्यक जांचों के आंकलन के बाद निष्कर्ष निकाला गया कि वह माँ बन सकती है। हालाँकि रोगी के विवाह को 20 वर्ष पूर्ण हो चुके थे और ऐसे में दंपत्ति अपनी पूरी उम्मीद खो देते हैं पर रोगी की माँ बनने की तीव्र इच्छा एवं आईवीएफ के अथक प्रयासों से रोगी का इलाज शुरू किया गया और सबसे खुशी की बात थी रोगी के प्रथम चरण में उसके पति के शुक्राणु से क्रिया के पश्चात अंडाणु को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया गया। 

रोगी ने बताया कि उसकी शादी के बाद वह कई जगह गए, मंदिरों भोपों में भी गए, 2 बार आई.वी.एफ कराया परन्तु निराशा ही मिली। गीतांजली हॉस्पिटल आने पर रोगी डॉ. पूजा से मिले आज रोगी गर्भ धारण कर बहुत खुश है। आज रोगी बिल्कुल स्वस्थ हैं और रोगी का पूरा परिवार में भी ख़ुशी की लहर है, जल्द ही रोगी माँ बनकर मातृत्व सुख प्राप्त करे ऐसी गीतांजली आईवीएफ सेंटर पूरी कामना करता है।