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कुंकुम के छापे लगाकर एवं थाली मांदल बजाकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव

साध्वी नीलाजनाश्री की निश्रा में आज दादावाड़ी में आयोजित धर्मसभा में कल्पसूत्र वांचन के दौरान भगवान महावीर का जन्म वांच होने के साथ साथ-साथ माता त्रिशला को आये 14 सपनोें के दर्शन कराये गये। वासुपूज्य ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाओं द्वारा सपनों के चढ़ावे बोले गये।

 

साध्वी नीलाजनाश्री की निश्रा में आज दादावाड़ी में आयोजित धर्मसभा में कल्पसूत्र वांचन के दौरान भगवान महावीर का जन्म वांच होने के साथ साथ-साथ माता त्रिशला को आये 14 सपनोें के दर्शन कराये गये। वासुपूज्य ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में श्रावक-श्राविकाओं द्वारा सपनों के चढ़ावे बोले गये।

साध्वीश्री ने कहा कि तीर्थंकर के जन्म के सपने स्पष्ट दिखाई देते है जबकि चक्रवर्ती के धुधंले। माता त्रिशाला को आये सपनों में चन्द्रमा, सूर्य, जल से परिपूर्ण, पूर्ण कलश, बाल हंस विचरण करता हुआ पद्म सरोवर, फूलों से भरा बगीचा, खीर समुद्र, माता लक्ष्मीजी, झूलने में झूलता बालक, रत्न राशियों का थाल, धुंआ रहित उंची लपटों की आग, सहित कुल 14 सपनें मुख्य थे। साध्वीश्री ने इन सपनों को एक-एक कर विस्तृत रूप से बताया।

महावीर के जन्म का वांचन-चातुर्मास सह संयोजक प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि माता त्रिशला को आये चौथे सपने लक्ष्मीजी की बोली गजेन्द्र भंसाली ने एवं पालना के सपनों की बोली भगवतसिंह सुराणा ने ली।