डेयरी फार्मिंग से हो रहा आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण
हिंदुस्तान जिंक की समाधान पहल के तहत घाटावाला माताजी एफपीओ के जरिए आ रहा बदलाव
घाटावाला माताजी किसान उत्पादक कंपनी राजस्थान में ग्रामीण डेयरी क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला रही है। उदयपुर के बिछड़ी गांव में वर्ष 2022 में स्थापित, महिलाओं के नेतृत्व वाला यह उद्यम बाजार तक पहुंच, उचित मूल्य और स्थायी आय सुनिश्चित कर डेयरी किसानों के लिए जीवन रेखा बना है। गौयम ब्रांड के तहत, जीएमएफपीओ उच्च गुणवत्ता का ताजा दूध और प्रीमियम डेयरी उत्पाद उपलब्ध करा रहा है, जो ग्रामीण समुदायों के जीवन में सफलता और सकारात्मक बदलाव का उदाहरण है।, देबारी क्षेत्र के आस पास के गांवों के लगभग 1 हजार शेयर धारकों द्वारा संचालित, जीएमएफपीओ सामूहिक उद्यम की शक्ति इसका सशक्त प्रमाण है। यह पहल हिंदुस्तान जिंक के समाधान कार्यक्रम के तहत संचालित हो रही है।
घाटावाला माताजी एफपीओ से जुडी नारायणी डांगी और प्रेम व्यास जैसी सफलता की कहानियां इसके वास्तविक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाती हैं। बिछड़ी की रहने वाली नारायणी ने जीएमएफपीओ को 40 रुपये प्रति लीटर दूध बेचकर आर्थिक परेशानियों को दूर किया, जो पहले उनके द्वारा अर्जित किये जाने वाले 25-30 रुपये प्रति लीटर से काफी अधिक है।
प्रेम व्यास और उनके पति देवेंद्र ने अपने डेयरी उत्पादन को 10 लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 85 लीटर कर दिया, जिससे उन्हें 40 हजार से लेकर 45 हजार रुपये की मासिक शुद्ध आय प्राप्त हुई। ये उदाहरण बताते है कि किस प्रकार जीएमएफपीओ ने ग्रामीण परिवारों के लिए विपरीत परिस्थितियों को अवसर में बदल दिया है।
अपनी स्थापना के बाद से घाटावाला माताजी किसान उत्पादक कंपनी ने महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल करअब तक 4.17 लाख लीटर से अधिक दूध का प्रसंस्करण किया है, जिससे 2.5 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। वार्षिक राजस्व में वित्त वर्ष 2022-23 में 56.43 लाख रुपये, वित्त वर्ष 2023-24 में 1 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में 87.65 लाख रुपये शामिल हैं। इसके उत्पाद, जैसे ए2 बिलोना घी, पनीर और दही, बडे होटल जैसे उद्यमियों और उपभोक्ताओं को बेचे जाते हैं, जिसमें ताज ग्रुप ऑफ होटल्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी शामिल है। मजबूत बाजार संपर्क बनाकर, जीएमएफपीओ किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान कर सशक्त बनाता है।
किसानों को सशक्त बनाने के लिये प्रतिभागियों को कृषि, पशुधनपालन और स्वच्छ दूध उत्पादन हेतु आधुनिक प्रणालियों से रूबरू कराता है। इस कार्यक्रम से 180 गांवों के 30,000 से ज्यादा किसानपरिवार लाभान्वित हो रहे है, जिससे उनकी आय में निरतंर सुधार हो रहा है। शिक्षा, खेल, कौशल विकास, और ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के निर्माण से कंपनी ने राजस्थान और उत्तराखंड के 3,700 गांवोंमें 20 लाख से अधिक लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत में सीएसआर के तहत सर्वाधिक खर्च करने वाली 10 शीर्ष कंपनियों में से एक हिंदुस्तान जिंक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जो समग्र ग्रामीण विकास को आगे बढ़ा रहा है।