दिल्ली गैंग रेप: उदयपुर की जनता ने जताया रोष
दिल्ली में सरे आम बलात्कार सहित महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण पर उदयपुर जागरूक नागरिकों ने गहरा आक्रोश तथा गंभीर चिन्ता व्यक्त की। बुधवार को डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के बेनर तले आयोजित संवाद में नगर के प्रमुख नागरिकों ने ऐसे जघन्य अपराधों व अपराधिक मानसिकता के कारणों तथा समाधानों पर गंभीर चर्चा की।
दिल्ली में सरे आम बलात्कार सहित महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण पर उदयपुर के जागरूक नागरिकों ने गहरा आक्रोश तथा गंभीर चिन्ता व्यक्त की। बुधवार को डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के बेनर तले आयोजित संवाद में नगर के प्रमुख नागरिकों ने ऐसे जघन्य अपराधों व अपराधिक मानसिकता के कारणों तथा समाधानों पर गंभीर चर्चा की।
सभा में उपस्थित महिलाओं का आक्रोश इस कदर था कि उन्होंने बलात्कारियों के लिंग विच्छेद की आवाज उठार्इ वहीँ शिक्षा शास्त्रीयों, मनो-विज्ञानियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सामाजिक शैक्षिक, प्रशासनिक, राजनैतिक व कानूनी माध्यमों द्वारा ऐसी घटनाओं को रोकने के विभिन्न व्यवहारिक उपायों पर मंथन किया-
प्रो.एस.बी.लाल, शिक्षाविद: “बलात्कार एवं महिलाओं के साथ छेडखानी को रोकने के लिये कठोर कानून तथा त्वरित कठोर सजा जरूरी है। सामाजिक एवं मनोविज्ञानिक रूप से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये व्यापक शिक्षण की जरूरत है”।
बी.एल. मंत्री, वरिष्ट वास्तुकार: “परिवार, समाज,शिक्षण संस्थान एवं मोहल्ला स्तर पर सभी को ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिये सक्रियता लानी होगी”।
प्रो अरूण चतुर्वेदी, निदेषक कोटा खुला विश्वविधालय: “ऐसी जघन्य घटनाओं को रोकने के लिये शहरों व गांवों में परस्पर परिचय तथा अजनबियों की पहचान सुनिशचित करने की पुख्ता व्यवस्था बनानी जरूरी है”।
विजय एस मेहता, अध्यक्ष, डा. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट: परिवार के स्तर पर मूल्यों की शिक्षा देने से ही ऐसी घटनायें रोकी जा सकती है”।रवि भण्डारी, सामाजिक चिन्तक: सामाजिक प्रशासनिक व न्यायिक प्रक्रियाओं को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये सक्षम बनाना होगा।
अनिल मेहता, प्राचार्य, विधाभवन पालिटेकनिक कॉलेज: उदयपुर संभाग में भी बालिकाओं एवं महिलाओं के साथ बढती छेडछाड व बलात्कार की घटनायें चिन्ता का विषय है, इसके लिये प्रशासन व पुलिस को सतर्क हो जाना चाहिये ।
नन्दकिषोर शर्मा, सचिव, डा.मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट: बलात्कार की घटना मात्र मानसिक विकार या जघन्य कृत्य ही नहीं वरन सामाजिक अपराध है तथा इसका दोष परिवार और शिक्षण संस्थानों के साथ ही पुलिस कानून और न्याय व्यवस्था का भी है। बलात्कारी को कठौर दण्ड तथा त्वरित न्याय तथा पुलिस को संवेदनशील बनाने के लिये सतत प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
शांतिलाल गोदावत-पूर्व अध्यक्ष, इंस्टीटयूट आफ इंजीनीयर्स: नैतिकता की शिक्षा विधालयों, महाविधालयों व समाज से लुप्त हो गयी है। ताकतवर लोग अपराध कर बैखोफ घूम रहे है। यह चिन्ताजनक है।
अंजुम लियाकत,छात्रा: बलात्कारियों का लिंग विच्छेद (केस्ट्रशन) कर देना चाहिये। साथ ही परिवार और समाज के स्तर पर यह शिक्षा देनी होगी कि आदमी और औरत दोनों समान अधिकार व इज्जत के हकदार हैं।
शिवदानसिंह जोलावास, अध्यक्ष, राजस्थान मोटियार परिषद: अपराधियों में अपराध बोध ही नहीं है, यह हमारी शिक्षा व्यवस्था का दोष है।
इस्माइल अली, पूर्व निदेषक, मत्स्यपालन विभाग: फिल्म व इलेक्ट्रोनिक माध्यम से बढती फुहडता व हिंसा का प्रचार हो रहा है। टी वी कार्यक्रम महिलाओं को भोग की वस्तु के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।हेमराज भाटी-उपनिदेषक, पंचायतीराज, वि.भवन: अपराधिक मानसिकता रोकने के लिये दीर्घकालीन प्रयास करने होंगे। नागरिक समाज को इसमें प्रभावी भूमिका निभानी होगी।
नितेषसिंह, प्रशासनिक अधिकारी, सीवीएससी: बलात्कार एवं छेडछाड की घटना को रोकने के लिये मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिये। बलात्कारी के परिवार की पहचान भी सार्वजनिक की जानी चाहिये ताकि अन्य परिवार भी सचेत हों।
सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ वास्तुकार बी.एल. मंत्री ने की। सभा में गांधी मानव कल्याण के मदन नागदा, ज्वाला संस्थान के भंवरसिंह राजावत, बोहरा यूथ के लियाकत उमर, उर्दु लेखक मोहम्मद इशाक, झील हितैषी हाजी सरदार मोहम्मद, नूर मोहम्मद, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एच.सी. सोनी, शिक्षाविद टी.पी. जोशी, बी.एल. कूकडा, सोहनलाल तम्बोली, गांधीवादी सुशीलकुमार दशोरा, जमनालाल दशोरा, गोपालसिंह, राहुल कुमावत,लक्ष्मीलाल टेलर ने विचार व्यक्त किये।
सभा का संयोजन ट्रस्ट सचिव नन्दकिषोर शर्मा ने किया।