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एफसीआई गोदाम मादड़ी के मुख्य द्वार पर किसानों का एफसीआई बचाओ अभियान के तहत प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) बचाओ कार्यक्रम के तहत मादड़ी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एफसीआई गोदाम के मुख्य द्वार पर किसान संगठनों व आम नागरिकों द्वारा प्रदर्शन किया गया

 

सभी किसान नेताओं ने राकेश टिकैत पर अलवर मे जानलेवा फासीवादी हमले की घोर निन्दा की गई।

उदयपुर, आज संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) बचाओ कार्यक्रम के तहत मादड़ी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एफसीआई गोदाम के मुख्य द्वार पर किसान संगठनों व आम नागरिकों द्वारा प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में केंद्र सरकार व कृषि कानूनों के खिलाफ जोर-शोर से नारेबाजी की गई जिसमें मुख्य रूप से, तीनों काले कृषि कानून रद्द करो, एमएसपी को कानून का दर्जा दो, सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण बंद करो, सरकारी मंडियों का निजीकरण बंद करो, अडानी-अंबानी को देश के संसाधनों को सौंपना बंद करो, मोदी सरकार होश में आओ, सार्वजनिक वितरण प्रणाली से  छेड़छाड़ करने वाले यह कानून नहीं चलेगें, आवश्यक वस्तु  संशोधन कानून वापस लो आदि नारों का उदघोष किया गया।

प्रदर्शन के दौरान सभा को प्रारंभ करने से पूर्व सभी किसान नेताओं ने राकेश टिकैत पर अलवर मे भाजपा के इशारे पर हुए जानलेवा फासीवादी हमले की घोर निन्दा की गई।

सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता कॉ. हिम्मत चांगवाल ने कहा कि यह सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद लगातार सार्वजनिक संस्थाओं को बेचने मे लगी है और इसी के तहत आज यह किसानों की जमीन खेती को भी कारपोरेट को सौंपने जा रही है। किसान इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार बात सुनने की बजाय चुनाव में लगी हुई है। यह सरकार कारपोरेट के इशारों पर काम कर रही है जो आम जनता के लिए नहीं बनी है।

सभा को संबोधित करते हुए भारतीय किसान सेना के जिला सचिव रूप लाल डांगी ने कहा कि किसान का पूरा परिवार रात दिन मजदूर बनकर अपने खेतों मे काम करता है, किसान का बीज, कीटनाशक महंगा हो गया है, किसान  दिन-ब-दिन  आर्थिक  रूप से पिछड़ता जा रहा है, उसकी मेहनत के द्वारा पैदा की गई खाद्यान्न वस्तुओं का वह स्वयं  मूल्य भी तय नहीं कर पाता है, और सरकार समर्थन मूल्य के नाम पर भी किसानों को लूट रही है। किसानों के उत्पाद की समर्थन मूल्य पर ठीक से खरीद नहीं हो पाती है और मजबूरन किसान को अपनी उपज ओने-पौने दामों में बाहर बेचनी पड़ती है। जबकि मोदी सरकार काले कानूनों के द्वारा किसानों को खत्म करना चाहती है। इन कानूनों के तहत  भारतीय खाद्य निगम के भंडारों को खत्म करने की साजिश की जा रही है यह भण्डार आम जनता के लिए जनवितरण प्रणाली का काम करते है, केंद्र सरकार किसानों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात कर रही है। इसके खिलाफ हम लड़ रहे है  देश का अन्नदाता जीतेगा।

अखिल भारतीय किसान महासभा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ चंद्रदेव ओला ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों व खेती को कॉरपोरेट हाथों में सौंपना चाहती है यह अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाएगी। मोदी सरकार के तीनों काले कानून आज किसानों के संघर्ष से कोमा में चले गए हैं और वह दिन दूर नहीं है जब मोदी सरकार को ये कानून वापस लेने होगा। यह सरकार अडानी- अंबानी के इशारों पर चल रही है। सरकार हमें थकाना चाहती है, किसान लड़कर मर जाएगा, पीछे नहीं हटेगा। 

आदिवासी नेता घनश्याम तावड़  ने कहा की देशभर में किसान महापंचायत में किसानों की भागीदारी बता रही है कि भाजपा का हिंदु-मुसलमान का साम्प्रदायिक खेल खत्म हो गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की कानुनी गारंटी देनी पड़ेगी।
 

पीयूसीएल के अश्वनी पालीवाल ने कहा कि यह सरकार घोर किसान विरोधी, जिसकी इन जनविरोधी नीतियों के कारण आज देश के किसान-मजदूर को एक मंच पर ला दिया है। सरकार बहुमत के घमंड में चुनर है, किंतु सड़क पर किसान-मजदूर का बहुमत है। किसान आंदोलन ने चेतना पैदा की है जो सत्ता के दमन से नहींं दबेगी।
 

अखिल भारतीय किसान फेडरेशन की प्रदेश उपाध्यक्ष लीला शर्मा ने कहा कि सरकार के तमाम हथकंडों, दमन का मुक़ाबला करते हुए, किसान आंदोलन आज देशभर फैल रहा है। यह सरकार किसानों की फसलों को तिजोरी में बंद करना चाहती है जो किसान नहीं होने देगा। खेती-किसानी को दलाल कॉरपोरेट्स हाथों में नहीं जाने देंगे। हम आह्वान करते हैं कि एक बड़ा जन आंदोलन इस मेवाड़ क्षेत्र में खड़ा करेंगे और जल्दी ही एक किसान महापंचायत करेंगे।

ललित मीणा, जिला सचिव नौजवान सभा ने कहा कि यह फासीवादी सरकार आज हमारे किसान नेताओं पर हमले करवा रही है इससे पता चलता है यह षड्यंत्रकारी लोग किस तरीके से  इस आंदोलन को दबाना चाहते हैं। किसानों ने सरकार को बता दिया है कि बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।

अखिल भारतीय किसान सभा के संगठन मंत्री राव गुमानसिंह ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव में जनता, भाजपा को वोट की चोट देकर बता देगी कि बहुमत मिलने का मतलब जनता का दमन नही होता है। किसान आंदोलन ने पहली बार,खेती-किसानी के मुद्दों को केन्द्र में ला दिया है।

किसान नेता विजेंद्र चौधरी ने कहा की नीजिकरण से सरकारों ने सब कुछ बाजार के हवाले कर दिया जिसके चलते आज जरूरतमंद चीजें महंगी हो गई है।अब सरकार किसानों से जमीन छीनकर, रोटी को पुंजीपति की तिजोरी में बंद करना चाहती हैं। सरकारों का काम लोककल्याण होता है ना कि पुंजीपतियों की सेवा।
प्रदर्शन के दौरान बजरंग सभा के जिला अध्यक्ष ख्याली लाल राजक फौजी ने कहा की मोदी सरकार किसानों के साथ घोर अन्याय कर रही है और इस संघर्ष में हम किसानों के साथ हैं।

प्रदर्शन में किसान सेना के धरम दास वैष्णव, धर्म चंद डांगी, दीपक डांगी, नारायण लाल डांगी, पवन वैष्णव, हीरा लाल डांगी, बंसीलाल, गोपाल, राजू, विक्रम किसान महासभा के रमेश मीणा, गोपाल, किसान सभा के प्यारेलाल नारायण। किसान फेडरेशन के रामचंद्र शर्मा, शिवराम मीणा, नारायण शर्मा, सिमरन, प्यारे लाल शर्मा, रामलाल मेनारिया, गौ रक्षक दल के चेतन वैष्णव, चेतन सिंह आदि उपस्थित थे।