GMCH ह्रदय रोग विभाग को हार्ट वेंट्रिकल की दीवारें फटने के इलाज में मिली बडी सफलता
आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि जटिल से जटिल बीमारी में भी बिना ऑपरेशन के मरीज की जान बचायी जा सकती है। बस आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए कुशल विशेषज्ञ होने चाहिए। अत्याधुनिक तकनीकों और अनुभवी चिकित्सकों की टीम वाले गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग ने गंभीर हृदय रोगी की बिना चीर फाड़ के मायोकार्डियल इन्फारकशन वेंट्रिकुलर सेप्टल रप्चर ( एम. आई. वी.एस.आर ) डीवाईस क्लोजर तकनीक से उपचार कर रोगी की जान बचायी।
गीतांजली में कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए सुचारू रूप से मरीजों को उपचार मुहैया करवाया जा रहा है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमेश पटेल, डॉ. कपिल भार्गव, डॉ. डैनी मंगलानी, डॉ. शलभ अग्रवाल, इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉ. सीताराम बारठ, एनेस्थेसिया विभाग से डॉ. करुणा, कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी, डॉ. संदीप , डॉ. जयेश, लोकेश व टीम ने राजस्थान के दक्षिण संभाग में पहली बार इस प्रक्रिया को अपनाते हुए रोगी को नया जीवन दिया है सामान्यतया इस तरह के मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमेश पटेल ने बताया 68 वर्षीय शरबती देवी को हार्ट अटैक आने पर चुरू से जब यहां लाया गया तब हार्ट फेल हो रहा था, सांस तेज चल रही थी और स्थिति काफी नाजुक थी। जांच करने पर पता चला कि हार्ट अटैक आने के बाद हार्ट के दायें एवं बाएं वेंट्रिकुलर के बीच की दीवार फट गयी थीं जिसे वेंट्रिकुलर सेप्टल रप्चर कहा जाता है।
सामान्यतया इस तरह के रोगियों का बच पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यहां आने पर सबसे पहले उनकी स्थिति को डॉक्टर्स की टीम के अथक प्रयासों से स्थिर किया। इसके बाद जटिल उपचार प्रक्रिया शुरू की गयी चूंकि उनकी हार्ट की दीवारें फट चुकी थी और ओपन हार्ट सर्जरी में भी काफी रिस्क था इसलिए रोगी का ऑपरेशन नहीं करके पैर के माध्यम से पोस्ट एम.आई.वी.एस.आर डीवाईस क्लोजर लगाया गया जो कि दक्षिण राजस्थान में पहली बार किया गया और परिणाम सफल रहा है।
गीतांजली अस्पताल ने एक बार फिर साबित कर दिया है लेटेस्ट तकनीकों और विशेषज्ञों की टीम के साथ जटिल से जटिल बीमारी का उपचार संभव है। पहले शरबती देवी के बचने की संभावना बहुत कम थी अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी भी दे दी गयी है। गीतांजली में इस तरह की सुविधा उपलब्ध होने से दक्षिण राजस्थान के मरीजों को लाभ मिलेगा।
ये था मामला –
रोगी की पुत्री ने बताया कि उनकी माँ को पिछले एक माह से सांस फूलने, ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि शायद एसिडिटी हुई है साथ ही खांसी-जुकाम भी हो रहा था। तबियत ठीक नहीं होने पर स्थानीय हॉस्पिटल में दिखाया, वहाँ उन्हें तुरंत इमरजेंसी में भर्ती किया, हालत में सुधार नहीं आने पर रोगी को सभी चिकित्सकीय सुविधाओं से परिपूर्ण गीतांजली हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी गयी।
उल्लेखनीय है कि गीतांजली हृदय रोग विभाग सभी अत्याधुनिक सुविधाओं और डॉक्टर्स व स्टाफ के साथ मरीजों के इलाज हेतु सदैव तत्पर है। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर पिछले सतत् 14 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी विश्वस्तरीय सेवाएँ दे रहा है।