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GMCH - कोमा की स्थिति में वेंटीलेटर पर 6 वर्षीय बच्चे की गूलेनबेरी सिंड्रोम का इलाज

गंभीर जी.बी.एस (गूलेनबेरी सिंड्रोम) बीमारी का गीतांजली हॉस्पिटल के विशेषज्ञों के संयुक्त प्रयासों से सफल इलाज

 

गीतांजली हॉस्पिटल सर्व सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल है। यहाँ आने वाले रोगियों को मल्टी डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण द्वारा इलाज किया जाता है। अभी हाल ही में बांसवाडा के रहने वाले 6 वर्षीय गंभीर रोगी परम (परिवर्तित नाम) का काफी चुनौतियों के बाद सफल इलाज करके रोगी को नया जीवन प्रदान किया गया। 

इस हाई रिस्क इलाज को बाल एवं शिशु रोग विभाग से डॉ देवेन्द्र सरीन, डॉ दिलीप गोयल, डॉ हितेंद्र, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विनोद मेहता, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ सुनंदा गुप्ता, ईएनटी विभाग से डॉ प्रितोश, फिजियोथेरेपी से डॉ पल्लव, मनोरोग विभाग से डॉ शिखा शर्मा, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग से डॉ मनीष दोडमानी, डाइटीशियन मेघा व रेजिडेंट डॉक्टर्स एवं नर्सिंग स्टाफ के अथक प्रयासों से सफल अंजाम दिया गया। 

डॉ. देवेन्द्र सरीन ने रोगी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जनवरी 2021 में रोगी के परिवारजन का अहमदाबाद से फ़ोन आया था जिसमें बताया गया कि बाँसवाड़ा का रहने वाला 6 वर्षीय बच्चा जीबीएस सिंड्रोम (गुलेनबेरी सिंड्रोम) बीमारी है और पिछले एक माह वह अहमदाबाद के निजी हॉस्पिटल में भर्ती था, बच्चा वेंटीलेटर पर था और उसकी हालत में सुधार नही हो रहा था। रोगी को आई.सी.यू. ओन व्हील्स एम्बुलेंस में लाकर गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल उदयपुर लाया गया। 

भर्ती के समय रोगी का पूरा शरीर लकवे से ग्रस्त था, शरीर के  किसी भी अंग में बिल्कुल जान नहीं थी। रोगी के इलाज की डॉक्टर्स की एक्सपर्ट टीम द्वारा पूरी योजना बनाई गयी। बच्चे का निर्धारित प्रोटोकॉल के मुताबिक इलाज शुरू किया गया। इलाज शुरु होने के लगभग 10 दिन बाद बच्चे की हाथ की ऊँगली में कुछ हरकत हुई। इसके पश्चात् बच्चे की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगा। 

रोगी की ईएनटी विभाग द्वारा ट्रेकियोस्टोमी की गयी जिससे श्वसन पेशी में सुधार आने लगा, एनेस्थीसिया विभाग ने रोगी की वेंटीलेटर एवं ट्यूब का नियमित रूप से आंकलन किया। रोगी की नियमित रूप से फिजियोथेरेपी की गयी जिससे उसकी हालत में सुधार होने लगा, डायटीशियन द्वारा बच्चे के खाने में सभी पोषक तत्वों को शामिल किया गया। जब बच्चे को हॉस्पिटल भर्ती किया गया तब उसका वजन मात्र 12 किलोग्राम था, स्थिति में सुधार आने के साथ बच्चे का वजन 19 किलोग्राम हो गया। कोविड-19 के दौरान भी बच्चे को वेंटीलेटर द्वारा आवश्यक ऑक्सीजन मुहैया होती रही व बच्चे को पूरी सुविधा दी गयी। 

विशेषज्ञों के अनवरत प्रयासों से बच्चे को लगभग 5 माह पश्चात् आई.सी.यू से प्राइवेट कमरे में शिफ्ट किया गया। अब बच्चे का बाल रोग, ई.एन.टी, डायटीशियन, फिजियोथेरेपी, मनोरोग विशेषज्ञों के निरिक्षण में इलाज होता किया गया तत्पश्चात पूरी तरह से स्वस्थ होने पर बच्चे को डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया। 

डॉ सरीन ने कहा कि बच्चे के माता-पिता का हॉस्पिटल पर अटूट विशवास, डॉक्टर्स, नर्सेज, रेजिडेंट डॉक्टर्स के अथक प्रयासों से बच्चे को नया जीवन दिया गया। 

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में पिछले सतत् 15 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी अत्याधुनिक सुविधाएँ हैं यहाँ मल्टीडिसिप्लिनरी अप्प्रोच के साथ टीम वर्क किया जाता है जिस कारण आने वाले रोगियों के जटिल से जटिल इलाज निरंतर रूप से किये जा रहे हैं। गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदेव तत्पर है।