63 वर्षीय महिला की जान की आफत बना लौकी का जूस
वो कहते हैं ना मारने वाले से बचाने वाला ज़्यादा शक्तिशाली होता है| ऐसे ही 63 वर्षीय महिला के केस में देखने को मिला चूँकि यदि इस महिला को समय रहते सही निरिक्षण कर सही निदान ना किया जाता तो कुछ भी हो सकता था। गीतांजली हॉस्पिटल के ह्रदय रोग विभाग, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोलॉजी एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के कुशल विशेषज्ञों के अथक प्रयासों से रोगी का इलाज कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में 63 वर्षीय उदयपुर निवासी महिला को निम्न रक्तचाप एवं बेहोशी की स्थिति में इमरजेंसी में लाया गया। रोगी को तुरंत कार्डियक साइंसेज विभाग में भर्ती किया गया। रोगी के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया गया, और एंटीबायोटिक्स शुरू की क्यूंकि रोगी का ब्लडप्रेशर 6-8 घंटे तक बहुत ही कम था, धीरे धीरे दवाओं के असर होने पर रोगी की स्थिति में सुधार आ रहा था।
रोगी के घर वालों ने बताया कि रोगी को इमरजेंसी में ला रहे थे तब पाया गया कि रोगी के मल का रंग काला था, जिसका कारण संभवतः आँतों में रक्त का स्त्राव होता है। कार्डियोलॉजिस्ट की टीम द्वारा ब्लड प्रेशर नियंत्रित होने के बाद रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल के ही गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में रेफर किया गया, वहां एक्सपर्ट्स द्वारा रोगी की एंडोस्कोपी की गयी, उसमे पाया गया कि रोगी को आंतो में रक्त स्त्राव या किसी तरह के अल्सर नहीं है कुछ हल्की खरोचें हैं।
रोगी के अनुसरण के दौरान पाया गया कि रोगी के हाथ पाँव में कोई हलचल नही हो रही थी, रोगी को दोनों तरफ लकवा हो गया था। ऐसे में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनीस ज़ुक्करवाला द्वारा रोगी के दिमाग की एम.आर.आई. करवाने पर रोगी के दोनों तरफ लकवा होने की पुष्टि हुई। इलाज के दौरान पाया गया कि रोगी का यूरिन कम होता जा रहा था और क्रिएटिनिन बढ़ रहा था जिससे किडनी फेल हो रही थी, रोगी की हालत को देखते हुए डॉ. मुखिया ने रोगी के आई.सी .यू टीम से रोगी के निम्न रक्तचाप की वजह पूछी साथ ही रोगी के पति को बुलाया, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि रोगी को लम्बे समय से शुगर की बीमारी भी है, एक माह पूर्व से लौकी का जूस सुबह उठ के पी रही है।
जिस दिन रोगी को इमरजेंसी में लाया गया उस दिन लौकी के जूस की कुछ अधिक मात्रा रोगी द्वारा ली गयी जिसे पीने के कुछ देर बाद उसका पेट दर्द होने लगा और वो बेहोश हो गयी। चूँकि रोगी के रक्तचाप का अचानक इतना कम हो जाने की कोई और वजह नही थी, रोगी उच्च रक्तचाप के चलते दवा लेती थी ऐसे में उसका ब्लडप्रेशर इतना कम हो जाना बहुत अचम्भे की बात थी। रोगी की उम्र का अधिक होना साथ में शुगर ब्लड प्रेशर की दवा लेना और बिना किसी डॉक्टर की सलाह के लौकी के जूस का खाली पेट लम्बे समय से सेवन इन सब की वजह से रोगी की हालत इतनी गंभीर हो गयी।
स्ट्रोक और गुर्दे की क्षति लगातार निम्न बीपी का परिणाम है, जिसमें बीपी स्थिरीकरण के साथ सुधार हुआ, ऐसे में समझने वाली बात है यदि रोगी को थोड़ी भी देर हो जाती तो कुछ भी हादसा हो सकता था। आई.सी.यू में डॉ. शुभकरन व उनकी टीम द्वारा रोगी की बहुत अच्छी देखभाल की गयी।
डॉ. जी.के. मुखिया ने जानकारी देते हुए बताया कि रोगी की हालत में सुधार हुआ उसे आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट किया गया। मल्टीडिसिप्लिनरी अप्रोच के तहत रोगी की किडनी, उच्चरक्तचाप, दोनों और आये स्ट्रोक का सफल इलाज किया गया। रोगी के दोनों हाथ एवं एक पाँव में जान आ गयी एक पैर में हल्की कमज़ोरी है जो कि समय रहते ठीक हो जाएगी।
अतः ध्यान रखें कि लौकी के रस को बुजुर्गों, मधुमेह, हाई बीपी और खाली पेट या अधिक मात्रा में सावधानी के साथ पीना चाहिए।
ज्ञात करा दें कि गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 15 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।