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गुरुधाम शिशवी में गुरु पूर्णिमा का महान आयोजन

पूर्णिमा का चन्द्रमा जिस तरह पूरी धरा को प्रकाश से साराबोर कर देता है ठीक उसी प्रकार गुरु अपने शिष्यों, भक्तों तथा श्रद्धालुओं के जीवन अज्ञानमयी अंधेरे को समाप्त करके अध्यात्म के दीप प्रज्वलित करते हुए प्रगति के पथ की ओर अग्रसित करते हैं।

 

पूर्णिमा का चन्द्रमा जिस तरह पूरी धरा को प्रकाश से साराबोर कर देता है ठीक उसी प्रकार गुरु अपने शिष्यों, भक्तों तथा श्रद्धालुओं के जीवन अज्ञानमयी अंधेरे को समाप्त करके अध्यात्म के दीप प्रज्वलित करते हुए प्रगति के पथ की ओर अग्रसित करते हैं।

गुरुधाम शिशवी में संत श्री श्री मनेाहर गिरधारी महाराज के शिष्यों, भक्तों तथा श्रद्धालुओं ने बड़े हर्षोल्लास से गुरु पूर्णिमा के महोत्सव को मनाया। गुरु पूर्णिमा के शुभदिवस पर ब्रह्ममुहूर्त में संत श्री मनोहर गिरधारी महाराज ने अनेक भक्तों को मंत्र दीक्षा दी, तदोपरान्त गुरुदेव के सान्निध्य में सभी भक्तजनों ने गुरु गीता तथा सुन्दरकाण्ड का पाठ किया।

गुरुदेव ने सभी भक्तों एवं श्रद्धालुओं को एकसूत्र में बंधे रहने का सन्देश दिया, उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बूंद-बूंद से महान विशाल शक्तिशाली सागर की संरचना होती है जबकि एकमात्र बूंद को सूखने में समय नहीं लगता।

नशा मुक्ति का संदेश देते हुए गुरुदेव ने कहा कि मानव जीवन ईश्वर की अनेमाल कृति है, इसे ईश्वर का प्रसाद समझकर सहर्ष स्वीकार करें। इसे सुन्दर बनाएं तथा दूसरों का जीवन सुन्दर बनाने हेतु इसका उपयोग करें।

‘साधु साधु का हो तो कुछ सार दिखाई देता है। मिटती हुई मानवता का आकार दिखाई देता है। दशहरा दिपावली आते चले जाते हैं। पर जिस नगर में साधु रहता है, वहां त्योहार दिखाई देता है।’

यही मंजर सम्पूर्ण दिन में दिखाई दिया लगभग 10 गांवों के ग्रामवासियों ने दर्शन लाभ लिया और सायंकाल में गुरुदेव की महाआरती का भरपूर आनन्द उठाया तत्पश्चात् सभी पधारे हुए भक्तों एवं श्रद्धालुओं को भोजन प्रसाद वितरण किया गया।

सभी शिष्यों, भक्तों तथा श्रद्धालुओं ने अपनी बुराईयों को त्यागने का संकल्प लेकर गुरु दीक्षा दी ओर भजनों द्वारा गुरु प्रतिमा का गुणगान करते हुए महोत्सव को विश्राम दिया। !जय गुरुदेव!