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हिन्दुस्तान जिंक पर्यावरण संबंधी बेस्ट प्रेक्टिसेज के लिए सीआईआई राष्ट्रीय पुरस्कार 2021 से पुरस्कृत

बायोडायोवरसिटी पार्क में 42 विभिन्न प्रजातियों के लगभग 50,000 पौधे लगाए गए

 

चंदेरिया स्मेल्टर में जारोफिक्स यार्ड की रेस्टोरेशन और राजपुरा दरीबा खदान में बायोडायोवरसिटी पार्क ने पर्यावरण संबंधी बेस्ट प्रेक्टिस के लिए सीआईआई राष्ट्रीय पुरस्कार 2021 जीता है।

जारोफिक्स यार्ड की रेस्टोरेशन के लिए माईकोर्रहिजा प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया था

उदयपुर। कंपनी के सस्टेनेबल भविष्य के लिए बायोडायोवरसिटी की रक्षा और वृद्धि के दृष्टिकोण के लिए हिंदुस्तान जिंक ने अपने चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर (सीएलजेडएस) के लिए ‘मोस्ट इनोवेटिव एनवायरनमेंटल प्रोजेक्ट अवार्ड’ - जारोफिक्स यार्ड की रेस्टोरेशन और राजपुरा दरीबा खान में बायोडायोवरसिटी पार्क के लिए अभिनव पर्यावरण परियोजना पुरस्कार पर्यावरण संबंधी बेस्ट प्रेक्टिस के लिए प्रसिद्ध सीआईआई राष्ट्रीय पुरस्कार 2021 को जीता है।

इस उपलब्धि पर, हिंदुस्तान जिंक के सीईओ, श्री अरुण मिश्रा ने कहा, “हिंदुस्तान जिंक में हम दृढ़ता पूर्वक विश्वास करते हैं कि सस्टेनेबिलिटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता न केवल हमें बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ और हरे-भरे कल की ओर ले जाएगी। एक जिम्मेदार कंपनी के रूप में हमने अपने सामने कठिन और महत्वाकांक्षी सस्टेनेबल विकास लक्ष्य 2025 रखा है और हम जो भी कदम उठाते हैं, वह इन्हें प्राप्त करने के लिए निर्देशित किया जाता है। 

राजपुरा दरीबा खदान में जैव बायोडायोवरसिटी पार्क में 50000 पौधों के रोपण और चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर टीम ने द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) के सहयोग से वेस्ट भूमि पर हरित क्षेत्र विकसित करने सहित दो परियोजनाओं को उद्योग द्वारा परिवर्तनात्मक पर्यावरणीय परियोजनाओं के रूप में मान्यता दी गई है और हमें अपने इस पर गर्व है। ये हमारे सभी कार्यों में जैव विविधता के नो नेट लोस (एनएनएल) और जैव विविधता के नेट पोजीटिव गेन (एनपीजी) को प्राप्त करने के लिए हमारे आसपास की बायोडायोवरसिटी की रक्षा और संरक्षण के प्रति हमारी कंपनी की प्रतिबद्वता का उदाहरण हैं।”

राजपुरा दरीबा खदान के भीतर 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि को बायोडायोवरसिटी पार्क के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें 42 विभिन्न प्रकार के 50,000 से अधिक पौधे लगाए गए थे। अनुपयोगी पौधों को हटाकर मिट्टी के संवर्धन और अनुकूलन के बाद, क्षेत्र को अब हरी भूमि में बदल दिया गया है। 

चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर टीम ने टीईआरआई (द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट) के सहयोग से अपने समाप्त हो चुके जारोफिक्स वेस्ट यार्ड पर 3-हेक्टेयर हरे क्षेत्र के विकास के लिए माइकोर्रहिजा तकनीक का उपयोग किया है। माइकोर्रहिजा प्रौद्योगिकी पौधा और फंगस के बीच एक सहजीवी संबंध है, जहाँ पौधा फंगस को भोजन प्रदान करता है और फंगस मिट्टी से पोषक तत्व लेता है और खेती की प्रक्रियाओं में सुधार करके उपजाऊ मिट्टी का कायाकल्प करता है और सस्टेनेबल तरीके से अनुपयोगी भूमि को उत्पादक भूमि में बदल देता है।

जिन 196 परियोजनाओं ने आवेदन किया था, उनमें से जारोफिक्स यार्ड परियोजना के रेस्टोरेशन और बायोडायोवरसिटी पार्क परियोजना को 35 पर्यावरण बेस्ट प्रेक्टिस परियोजनाओं में से चुना गया था। तरुण मेघवाल - वरिष्ठ प्रबंधक पर्यावरण, विजय राणा - प्रबंधक प्रक्रिया, मनीषा भाटी - उप प्रबंधक पर्यावरण और हरीश चतुर्वेदी - एग्जीक्यूटीव एनवायरमेंट चंदेरिया टीम से और विवेक कुमार - हेड-पर्यावरण डीएससी और हिमांशु शारदा - टीम सदस्य पर्यावरण आरडीएम टीम ने सम्मानित उद्योग के पेशेवर सदस्यों की ज्यरी को परियोजना प्रस्तुत की गई।

यह उपलब्धि संपूर्ण हिंदुस्तान जिंक की टीम के लिए बायोडायोवरसिटी के संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए सम्मान की बात है। इस सफलता के साथ, चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर टीम और राजपुरा दरीबा माइन्स टीम ने खनन और धातु उद्योगों के लिए एक बेंचमार्क परियोजना तैयार की है।