सरकारी कंपनियों में विनिवेश से विकास दर में वृद्धि संभव
वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी के ग्रुप चेयरमैन अनिल अग्रवाल का कहना है कि विनिवेश में तेजी लाने के लिए रोजगार सुरक्षा और प्रदर्शन से जुड़ा स्टॉक विकल्प होने से इस प्रक्रिया में आसानी रहेगी।
वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी के ग्रुप चेयरमैन अनिल अग्रवाल का कहना है कि विनिवेश में तेजी लाने के लिए रोजगार सुरक्षा और प्रदर्शन से जुड़ा स्टॉक विकल्प होने से इस प्रक्रिया में आसानी रहेगी।
उन्होंने कहा कि भारत में 250 से भी अधिक राज्य सरकार नियंत्रित कंपनियां है, इनमें से काफी सूचीबद्ध हैं और इनका ढांचा काफी बेहतरीन कहा जा सकता है, लेकिन जैसी आशा की जाती थी वैसा इनकी प्रगति देखने को नहीं मिलती। क्यों नहीं इन कंपनियों के 51 प्रतिशत हिस्से को बाजार में विनिवेश कर इस चेतावनी के साथ किया जाए कि कोई भी एकल इकाई के पास इन कंपनियों का 10 प्रतिशत से अधिक स्वामित्व नहीं हो?
इसमें सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात यह सामने आती है ऐसी कंपनियों के कर्मचारियों, उनकी सेवा सुरक्षा और स्टॉक विकल्प का क्या होगा क्या नया प्रबंधन इन कर्मचारियों का हित साधक होगा। अत्यधिक योग्यताधारी,पेशेवर प्रबंधन ऐसे कर्मचारियों को पहचान के उत्साह के साथ अपनी कम्पनी को वैश्विक क्षमता के साथ कंपनी को दस गुणा बड़ा करने के बारे मे विचार करेगा जिसमें बड़े मूल्यांकन भी शामिल हैं। इस क्षमता को हासिल करने के बाद यह कंपनियां कमोबेश में 50 मिलियन लोगों को रोजगार उलब्ध करा सकेंगी।
इस तरीके से ओएनजीसी को एक्यिोन मोबाइल बनाने, और सेल को अन्य दूसरा वेल बनाने कौन रोक सकेगा? जब एलएंडटी, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बिना किसी को स्वामित्व दिए विश्व स्तरीय संगठनों का संचालन कर सकते है, तो यह 250 से अधिक राज्य अथवा केन्द्रीय स्वामित्व वाली कंपनियां भी इस उदाहरण का अनुसरण कर सकती है और अपनी स्थिति को और समृद्ध कर सकती हैं। इससे मिलने वाले फंड का सरकार अपने ढांचागत विकास और सामाजिक परियोजनाओंं के वित्तीय प्रबंधन में कर सकती हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कोलार गोल्ड माइन और भारत गोल्डमाइन की नीलामी के आदेश देकर सरकार की राह प्रशस्त कर चुकी है। यह 90 दिन की अवधि में राजस्व भागीदारी के आधार पर केवल 90 दिन के भीतर किया जाना है। आज की नई विस्तारीकरण तकनीकों से हम और अधिक सोना प्राप्त कर सकते हैं और आंशिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकते हैं। यह नीलामी राजस्व भागीदारी अथवा जो सरकार को सर्वाधिक रॉयल्टी चुकाए के आधार पर होनी चाहिए और इसमें काफी संख्या में भारतीय और विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए।
देश वर्तमान में 450 बिलियन के आयात विधेयक को लेकर उहापोह की स्थिति में है, इस साल हमने 19 बिलियन डॉलर का कोयला आयात किया, जबकि कोल इंडिया के पास अनेक कोल ब्लॉक्स है। क्यों नही सरकार कोल इंडिया के इन कोल ब्लॉक्स में से 51 प्रतिशत को बेच देती है यह विकास के इंजन का काम करने के साथ ही ऊर्जा की सुरक्षा का कारण भी बनेगा।
पूर्व में भारत हिंदुस्तान जिंक और भारत एल्यूनियिम की सफलता की कहानियां देख चुका है, यह कंपनियां आज समृद्ध तो हैं ही साथ ही आज भारत के लिए किसी विश्वस्तरीय सम्पदा से कम नहीं हैं। ऐसी कई कहानियां है जिनका भारत में अनवरण किया जा सकता है।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भारतीय अर्थ व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन हमे आज की जरूरतों और विश्वस्तरीय मांगों के अनुसार चलना होगा ताकि हम वैश्विक दिग्गजों से टक्कर ले सके या फिर अपने कदम पीछे कर लें। भारत के पास अपार प्रतिभाएं हैं हमारे लोग इतनी क्षमता रखते हैं कि वे अपनी कौशलता से किसी भी कंपनी को विश्वस्तरीय बना दें। विश्व के निवेशक भारत को निवेश का एक श्रेष्ठ स्थान मानते हैं और हमें इस बात की जरूरत है कि अपनी रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन, ढांचागत विकास और कुल विकास को प्राथमिकता और आवश्यकताओं के अनुरूप पूरा करें। यह केवल एक निर्णय का मसला है, सामान्य नीतियां, पारदर्शी एवं शीघ्र निर्णय ही आधुनिक भारत का चेहरा बदलने कि क्षमता रखता है।