पर्यावरण व सतत विकास-मुद्दे व चुनौतियां विषयक दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस शुरू
भूमण्डलीय ऊष्णता को कम करने में भारत के प्रयास सराहनीय- डॉ. श्रीमाली
उदयपुर 12 फरवरी 2022। राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय उदयपुर द्वारा ‘पर्यावरण एवं सतत विकास- मुद्दे एवं चुनौतियोंः विषय पर आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में स्टेनफॉर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. गिरीश श्रीमाली ने भूमण्डलीय ऊष्णता को कम करने भारतीय प्रयासों की सराहना करते हुए नेट जीरो के उद्देश्य को प्राप्त करने में आ रही कठिनाईयों एवं रुकावटों पर प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में प्राचार्य डॉ. शशि सांचीहर ने प्रतिभागियों एवं राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय वक्ताओं का स्वागत किया। आयोजन संयोजक डॉ. अन्जू बेनीवाल ने इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय-प्रवर्तन किया।
माइक्रोबायोलॉजी-यूएसए वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जगपाल सिंह ने पर्यावरण और सतत विकास की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए संसाधनों के विवेपूर्ण उपयोग, समन्वित सामाजिक-आर्थिक विकास, लोगों की भागीदारी पर आधारित विकास पर जोर दिया। चैतन्य डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय, वारंगल के कुलपति प्रो.जी.दामोदर ने हमारे पर्यावरण या प्रकृति को प्रभावित करने वाले तथ्यों पर प्रकाश डाला।
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के कानूनी पहलुओं और शासन तंत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। एमईडीएस विश्वविद्यालय आजमगढ़ के कुलपति प्रो.प्रदीप कुमार शर्मा ने जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विचार रखे। लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. दीप्ति रंजन साहू ने भी विचार रखे। अन्त में आयोजन सचिव डॉ दीपक माहेश्वरी ने आभार जताया।
आयोजन सचिव डॉ. दीपक माहेश्वरी के अनुसार उद्घाटन सत्र के पश्चात दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र का आयोजन डॉ अन्जू बेनीवाल ने 12 चुनिंदा पत्रों का वाचन किया। इसमें 71 प्रतिभागियों नें भाग लिया। इस सत्र की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की प्रोफेसर रश्मि जैन तथा सह-अध्यक्षता राजकीय महाविद्यालय, नारायणगढ़-अम्बाला के सहायक आचार्य डॉ. जगदीप सिंह ने की।
द्वितीय सत्र का आयोजन डॉ पूर्णिमा सिंह ने किया। इसमें 06 चुनिंदा पत्रों का वाचन किया गया। इसमें 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस सत्र की अध्यक्षता विद्यापीठ विश्वविद्यालय उदयपुर की सह आचार्य डॉ. हीना खान व सहअध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर सहायक आचार्य की डॉ. अनुजा जैन ने की।