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रूपसागर मे भी आने लगे प्रवासी पक्षी

कॉमन कूट, लिटिल गैब, पैंटेड स्टॉर्क, पेलिकन्, पिंटाइल, गूज, कॉर्मोरंट, पचार्ड इत्यादि प्रमुख है

 

उदयपुर 14 दिसंबर 2021। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगठक मत्स्य की महाविद्यालय के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने उदयपुर के चयनित जल क्षेत्रों रूप सागर तालाब एवं आयड नदी का शैक्षणिक भ्रमण किया। 

महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ बी के शर्मा ने बताया कि मतस्यकी के विधार्थियों के पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यार्थियों को स्थानीय जल राशियों झील तालाब, वेटलैंड अथवा नदी नालो की जल गुणवत्ता एवं पारिस्थितिक का अध्ययन करवाया जाता है। 

पूर्व अधिष्ठाता एवं पर्यावरणविद् डॉ एल एल शर्मा एवं जलीय पर्यावरण प्रबंध विभाग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सुबोध कुमार शर्मा के निर्देशन में बीएसएससी प्रथम वर्ष के 25 विद्यार्थियों ने रूपसा रूप सागर तालाब के जलीय पर्यावरण का अध्ययन किया उन्होंने वहां से पानी एवं जलीय प्लवकों के नमूने लिए। 

विधार्थियों ने पाया कि तालाब मे पाल पर एवं पिछले किनारों पर पानी मे कचरा डाला जा रहा है जिसका प्रभाव पानी की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। डॉ शर्मा ने बताया कि रूपसागर तालाब की दशा सुधारने मे प्रशासन का प्रयास सराहनीय है परंतु स्थानीय नागरिकों को भी स्वयं की जिम्मेदारी समझ कर पानी को साफ़ रखना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से तालाब मे प्रवासी पक्षी भी देखे जा रहे है तथा मंगलवार को भी रूपसागर तालाब मे 10-12 तरह के जलीय पक्षी देखे गये। जिनमे कॉमन कूट, लिटिल गैब, पैंटेड स्टॉर्क, पेलिकन्, पिंटाइल, गूज, कॉर्मोरंट, पचार्ड इत्यादि प्रमुख है। 

डॉ सुबोध शर्मा ने बताया कि तालाब का पानी हल्का क्षारीय था इसकी पी एच 8.5, ई सी 1050 माइक्रो सायमन, और प्रति लीटर टी डी एस 446 मि ग्रा, मुक्त कार्बन डाई ऑक्साइड 2.5 मि ग्रा, घुलित ऑक्सीजन 7.5 मि ग्रा, कुल क्षारीयता 300 मि ग्रा और क्लोराइड 180 मि ग्रा पाया गया। 

इसी प्रकार सुभाष नगर पुलिया पर आयड नदी की जांच करने पर देखा गया कि उसमे ठोस व घरेलु कचरे के साथ सीवेज का गंदा पानी भी समाहित हो रहा है जिससे जल भराव की जगह जल कुंभि, जलीय वनस्पति, घास, और फिल्लमेंट्स अल्गी पैदा हो रही है। आयड के पानी मे पी एच 7.9, ई सी 1556 माइक्रो सायमन, और प्रति लीटर टी डी एस 723.8 मि ग्रा, मुक्त कार्बन डाई  ऑक्साइड 2.5  मि ग्रा, घुलित ऑक्सीजन 7.9 मि ग्रा , कुल क्षारीयता 340 मि ग्रा और क्लोराइड 290 मि ग्रा पाया गया। फ्लो मीटर से जल प्रवाह नापने पर देखा गया कि औसतन 26,640 ली पानी प्रति मिनट उदयसागर की ओर बह रहा है जो कि उदय सागर मे प्रदूषण का संवाहक है अतः इसे उचित तरीके से संशोधित करने की अवश्यकता है।