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MPUAT ने मक्का की एक नई किस्में विकसित की

नई संकर किस्म प्रताप संकर मक्का-6 विकसित की है
 

उदयपुर। मक्का एक मुख्य खाद्यान्न फसल है जिसकी उत्पति मेक्सिको से मानी जाती है। मक्का खरीफ रबी एवं जायद तीनों मौसम में उगायी जाती है हमारे देश में यह मुख्य रूप से खरीफ मौसम में उगायी जाती है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में मक्का लगभग 90 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगायी जाती है। जिसकी उत्पादकता लगभग 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है मक्का मुख्य रूप से अनाज के लिए उगायी जाती है। कुछ राज्यों में स्वीट कोर्न (मीठी मक्का) पोप कोर्न (फूले वाली मक्का), बेबी कोर्न (शिशु मक्का) के रूप में भी मक्का की खेती होती है। 

दक्षिणी राजस्थान में मक्का खरीफ की मुख्य फसल है। इसमें लगभग 80 प्रतिशत मक्का वर्षा आधारित क्षेत्र में उगायी जाती है। राजस्थान में मक्का का क्षेत्रफल लगभग 9 लाख हेक्टेयर है तथा उत्पादकता 28 क्विटंल/हेक्टेयर है जो राष्ट्रीय उत्पादकता से कम है इसका कारण है कि राजस्थान के लिए अधिक उत्पादन देने वाली तथा जल्दी पकने वाली किस्मों का अभाव है। राजस्थान के लिए जल्दी पकने वाली मक्का की किस्मों की आवश्यकता है अर्थात् ऐसी किस्में जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है उनका अभाव है। 

राजस्थान में मक्का के क्षेत्रफल को देखते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली ने अखिल भारतीय मक्का अनुसंधान परियोजना प्रारम्भ की गई है। इस परियोजना द्वारा ने अभी नई संकर किस्म प्रताप संकर मक्का-6 विकसित की है। 

कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने यह किस्म विकसित करने वाले वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि राजस्थान जैसे प्रदेश जहां खरीफ में मक्का का लगभग 80 प्रतिशत का क्षेत्रफल वर्षा पर निर्भर है उन क्षेत्रों के किसानों के लिए यह मक्का की किस्में एक वरदान साबित होगी क्योंकि यह अच्छी और अधिक पैदावार देने वाली किस्म है।  

मक्का परियोजना के प्रभारी एवं इस किस्म के जनक डॉ. आर. बी. दुबे ने बताया कि यह पीले दाने वाली जल्दी पकने (80-85 दिन) वाली संकर किस्म है। जिसकी खरीफ मौसम में औसत उपज 6205 क्विं/हेक्टेयर है तथा यह किस्म तना सड़न रोग, सूत्रकृमि रोग तथा तना छेदक कीट के प्रति रोगरोधी है इसके साथ-साथ मक्का पकने के बाद भी पौधा हरा रहता है जिससे अच्छी गुणवत्ता का चारा भी मिलेगा। यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित की गई है इस किस्म को शीघ्र अतिशीघ्र अधिसूचित करने हेतु भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा जैसे ही किस्म अधिसूचित हो जाती है इसका बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। 

निदेशक अनुसंधान डॉ अरविंद वर्मा ने बताया कि इस किस्म का देश के 22 केन्द्रों पर परीक्षण किया गया था जहां पर इस किस्म ने अपनी उत्कृष्टता प्रदर्शित की तथा इस किस्म को मक्का अनुसंधान की 66वीं वार्षिक समूह बैठक जो कि पंतनगर में हुई उसमें अनुमोदित किया गया है।