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पैडल टू जंगल: रोमांचित प्रतिभागियों ने दिखाया जमकर उत्साह

वन विभाग एवं “ली टूर डी इंडिया“ के साझे में साइकिल पर प्रकृति का त्रिदिवसीय सफर ‘पेडल टू जंगल‘ का रविवार को सीतामाता सेंचुरी के दमदमा गेट पर समाप्त हुआ। शुक्रवार को बाघदड़ा नेचर पार्क से यह सफर शुरु हुआ था। पहली बार अरावली की पहाड़ियों में आयोजित की गई इस साइकिल सफारी में प्रतिभागियों ने काफी उत्साह दिखाया और रोमांच का अनुभव किया। लगभग 180 किमी के अभियान में भाग लेने के लिए दिल्ली, जयपुर एवं उदयपुर से प्रतिभागी आए थे। इनमें उद्योगपति, इंजीनियर, विशेषज्ञ, पर्यावरण प्रेमी, चिकित्सक एवं प्रिंसिपल आदि शामिल थे।

 

वन विभाग एवं “ली टूर डी इंडिया“ के साझे में साइकिल पर प्रकृति का त्रिदिवसीय सफर ‘पेडल टू जंगल‘ का रविवार को सीतामाता सेंचुरी के दमदमा गेट पर समाप्त हुआ। शुक्रवार को बाघदड़ा नेचर पार्क से यह सफर शुरु हुआ था।

मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने बताया कि पहली बार अरावली की पहाड़ियों में आयोजित की गई इस साइकिल सफारी में प्रतिभागियों ने काफी उत्साह दिखाया और रोमांच का अनुभव किया। लगभग 180 किमी के अभियान में भाग लेने के लिए दिल्ली, जयपुर एवं उदयपुर से प्रतिभागी आए थे। इनमें उद्योगपति, इंजीनियर, विशेषज्ञ, पर्यावरण प्रेमी, चिकित्सक एवं प्रिंसिपल आदि शामिल थे।

भटनागर ने बताया कि यात्रा का प्रमुख उद्देश्य वन एव वन्य जीवों के सरंक्षण के प्रति जनजागरूकता लाना, ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने व प्रकृति संरक्षण, आजीविका एवं आत्मनिर्भरता के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करना आदि था।

ऐतिहासिक स्थलों का भी किया भ्रमण

भटनागर ने बताया कि इस रोमांचक यात्रा में जगत मंदिर, जयसमंद झील, बाघदड़ा नेचर पार्क, सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण्य सहित ऐतिहासिक महत्व के स्थलों व पर्यटन स्थलों से भी प्रतिभागी रूबरू हुए। वहीं प्रकृति की गोद में पायी जाने वाली वनस्पतियां, जैव विविधता का रिहर्सल, फोटोग्राफी, बर्ड वॉचिंग आदि भी आकर्षण का केन्द्र रहा।

उड़न गिलहरी देख हुए अभिभूत

सफारी के दौरान शनिवार को सीतामाता के आरामपुरा रिलोकेशन सेंटर पहुंच कर चैसिंगा प्रोजेक्ट तथा अभ्यारण्य व प्रादेशिक वन का अवलोकन किया। यहां पर उन्होंने शाम को सीतामाता सेंचुरी की पहचान बन चुकी उड़न गिलहरी देखकर खुशी जाहिर की। घने वन में बलखाती जलधाराओं के बीच गुजरते हुए साइकिल सवारों ने इस अलग अनुभव बताते हुए बार-बार यहां आने इच्छा जताई। प्रतिभागियों ने हिमालयन रैली की तर्ज पर आयोजित इस सफारी को तुलनात्मक रुप से अधिक रोमांचक बताया।