प्रताप ने दिया 16वीं सदी में एकता एवं अखण्डता का सन्देश
इतिहास एवं संस्कृति विभाग, माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय द्वारा आयोजित विस्तार भाषण में इतिहासकार डॉ. के. एस. गुप्ता ने महाराणा प्रताप व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
इतिहास एवं संस्कृति विभाग, माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय द्वारा आयोजित विस्तार भाषण में इतिहासकार डॉ. के. एस. गुप्ता ने महाराणा प्रताप व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. नीलम कौशिक ने अतिथियों का स्वागत किया, अध्यक्षता, अघिष्ठाता, प्रो. सुमन पामेचा ने की। प्रो. गुप्ता ने महाराणा प्रताप की जीवनी पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 16वीं सदी में देष में तीन महत्वपूर्ण युद्ध खानवा, तालीकोट एवं चितौड़ युद्ध में हुयी पराजय से निराषा आ गयी थी। 1576 हल्दीघाटी युद्ध में प्रताप ने इस निराष को तोड़ देश में रिक्त हुयी नेतृत्वता को पूर्ण कर दिया।
इस युद्ध के बाद प्रताप ने अपनी नीति में परिवर्तन का जन सामान्य को जोड़ कर राष्ट्रीयता का संदेश दिया।
1585 में चावण्ड को राजधानी बनाने के बाद प्रताप ने मेवाड़ में सम्पूर्ण विकास की तरफ ध्यान देकर, पहाड़ी खेती, देश भक्ति, पानी के प्रबंध, रहन-सहन, आवास आदि अनेक जन-सुविधाओं के विकास पर प्रताप ने कार्य किये, जो आज के समय के लिए अनुकरणीय है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. हेमेन्द्र चौधरी ने किया तथा धन्यवाद की रस्म श्री गिरिष पुरोहित ने की। कार्यक्रम में शोध अधिष्ठाता प्रो. पी.के. पंजाबी, पीठ स्थिवीर प्रो. एस.के. मिश्रा तथा 200 इतिहास के विद्यार्थी उपस्थित थे।