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आकार लेने लगी पुतलियाँ

15 दिवसीय कठपुतली कार्यशाला 

 

भारतीय लोक कला मण्डल में चल रही कार्यशाला

उदयपुर। संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली एवं भारतीय लोक कला मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कि जा रही 15 दिवसीय कठपुतली कार्यशाला में उदयपुर, जयपुर एवं अहमदाबाद के प्रतिभागी भाग ले रहे है। 

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों को राजस्थान कि विलुप्त हो रही धागा पुतली कला का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।  कार्यशाला में विभिन्न सत्रों में काम किया जा रहा है जिसमें पुतली की उत्तपति, पुतली कला का इतिहास, पुतली कला के प्रकारों की जानकारी देने के साथ-साथ धागा पुतली क्या है तथा उसे कठपुतली क्यों कहते है और उसे कैसे बनाया जाता है का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

कार्यशाला में पुतली नाट्य को सिखाने पर विशेष जौर दिया जा रहा है। जिसके तहत प्रतिभागियों को स्वतंत्रता सैनानियों के किस्से बताए गए। प्रतिभागियों ने डुंगरपुर के रास्तापाल में शिक्षा की अलख जगाने वाली ऊर्जावान आदिवासी छात्रा कालीबाई की कहानी को पसंद किया तथा इसके साथ ही नाना भाई खाट एवं सेगाभाई (अध्यापक) द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति एवं शिक्षा की अलख जगाए रखने हेतु किये गये बलिदान को ध्यान में रखते हुए ‘‘कालीबाई’’ नामक नाटक का आलेख तैयार किया जा रहा है।

उक्त कार्यशाला में सभी प्रतिभागी लकड़ी की पुतलियाँ बनाना सीख रहे है तथा पुतलियाँ अब आकार लेने लगी।