आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित कठपुतली कार्यशाला
इस अवसर पर शैक्षणिक संस्था शैक्षिक आगाज के 14 राज्यों से आए 50 से अधिक अध्यापक-अध्यापिकाओं का दल तथा सी.सी. आर.टी के कार्यकर्ता दर्शक सभागार में मौजूद
उक्त नाटिका का लेखन एवं निर्देशन भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन के द्वारा किया गया
उदयपुर, 03 जनवरी, 2022, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली एवं भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित कठपुतली कार्यशाला के मध्य तैयार कठपुतली नाटिका कालीबाई का मंचन सी.सी. आर. टी. के सहयोग से सी.सी.आर.टी. के क्षेत्रिय कार्यालय उदयपुर में हुआ।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि इस अवसर पर शैक्षणिक संस्था शैक्षिक आगाज के 14 राज्यों से आए 50 से अधिक अध्यापक-अध्यापिकाओं का दल तथा सी.सी. आर.टी के कार्यकर्ता दर्शक सभागार में मौजूद थे।
उक्त नाटिका का लेखन एवं निर्देशन भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन के द्वारा किया गया। कालीबाई डूँगरपुर के रास्तापाल गाँव की 13 वर्षीय आदिवासी बालिका थी। जिसने शिक्षा की अलख जगाए रखने हेतु तथा आज़ादी के संघर्ष हेतु अपने जीवन का बलिदान दिया। कहानी में यह बताया गया कि 19 जून 1947 को रास्तापाल गाँव की पाठशाला में नाना भाई खांट एवं सेंगा भाई किसी विषय पर चर्चा कर रहे होते है तो उसी समय पुलिस द्वारा उस स्कुल को बंद कर चाबी पुलिस को देने को कहा।
विरोध करने पर पुलिस द्वारा नाना भाई खांट के सिर पर बंदूक के बट् से मारा गया जिससे उनकी उसी समय मृत्यु हो गई। तथा सेंगा भाई को रस्सी से बांध कर जीप द्वारा घसीटा जा रहा था कि इसी दौरान काली बाई ने विरोध किया तथा रस्सी को काट दिया। इस पर गुस्सा होकर पुलिस ने उनको गोली मार दी। कालीबाई के गोली लगने पर आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया और उन्होंने वारी ढोल बजाकर समस्त आदिवासी समाज को एकत्रित किया। जिससेे डर कर पुलिस भाग गई। उक्त प्रस्तुति को दर्शको द्वारा खूब सराहा गया।