राजस्थान साहित्य अकादमी का 64वां स्थापना दिवस
समारोह पूर्वक स्थापना दिवस व आजादी का अमृत महोत्सव मनाया
उदयपुर 28 जनवरी 2022 । राजस्थान साहित्य अकादमी के 64वें स्थापना दिवस एवं आजादी के अमृत महोत्सव का समारोह पूर्वक आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में मनमोहन मधुकर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण कुमार शर्मा, अध्यक्ष संभागीय आयुक्त एवं अकादमी प्रशासक राजेन्द्र भट्ट तथा मुख्य वक्ता अंतरराष्ट्रीय कवि व साहित्यकार मनोज कुमार शर्मा थे।
मुख्य अतिथि डॉ.शर्मा ने राजस्थान साहित्य अकादमी की आद्योपांत विकास यात्रा का समृद्ध अवलोकन प्रस्तुत किया तथा राज्य के अनेक लेखकों, कवियों, साहित्यकारों को अकादमी द्वारा दिए गए सहयोग, प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अकादमी की छवि तथा स्मृतियों को प्रकट किया।
अध्यक्ष श्री भट्ट ने कहा कि अकादमी ने अब तक जिस तरह की सक्रियता और जीवंत सहभागिता निभा कर प्रांत के साहित्यकारों का सहयोग किया है, वह भविष्य में भी निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने रचनाकारों से निरंतर सृजनरत रहते हुए अपने मौलिक विचारों तथा सुझावों के साथ आगे आकर सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने अकादमी के अब तक के अध्यक्षों तथा पदाधिकारियों का स्मरण करते हुए उनके योगदान की सराहना की।
मुख्य वक्ता साहित्यकार मनोज कुमार शर्मा ने जीवन के हर क्षेत्र में, हर स्तर पर सक्रिय लोगों की सफलता की दृष्टि से संवेदना, कोमल भावों तथा मानवीय नज़रिए की आवश्यकता पर बल दिया। साहित्य के क्षेत्र में धीरज, सहनशीलता तथा गंभीरता के तत्वों को रेखांकित करते हुए कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होने के साथ-साथ मशाल का काम भी करता है। उन्होंने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया।
इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी में ज्योतिपुंज, इकबाल हुसैन, खुर्शीद शेख, जगजीत निशात, मधु अग्रवाल, अरविन्द आशिया इत्यादि कवियों ने कविता पाठ किया।
इस अवसर मधुमती के पूर्व सम्पादक एवं प्रसिद्ध आलोचक कुंदनमाली, गौरीकांत शर्मा, चेतन औदिच्य, हेमेन्द्र चण्डालिया, हुसैनी बोहरा, तरूण दाधीच, जगदीश तिवारी, सुरेश सालवी, निर्मला शर्मा, सिम्मी सिंह, आशा पाण्डेय ओझा, किरनबाला, नवनीतप्रिया शर्मा, मनोहरलाल श्रीमाली, लोकेश चौबीसा, अशोक मंथन, ममता जोशी, अनुश्री राठौड़, करूणा दशोरा, अनिल चतुर्वेदी, कुसुमलता टेलर तथा रामदयाल मेहर आदि रचनाकार उपस्थित रहें। स्वागत उद्बोधन सचिव डॉ. बंसत सिंह सोलंकी ने दिया। संचालन शकुंतला सरूपरिया ने किया।