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रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल, मरीजों हाल बेहाल 


रेजिडेंट हड़ताल के चलते गंभीर हालत वाले मरीज़ भी इस हड़ताल से पीड़ित हो रहे हैं 

 

उदयपुर -  आरएनटी मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर है। इस हड़ताल का असर हॉस्पिटल में आये मरीज़ो पर पड रह है। नीट- पीजी की कॉउंसलिंग की जल्द मांग को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स सोमवार से से हड़ताल पर थे। डॉक्टर्स की हड़ताल सोमवार सुबह 9 बजे शुरू हुई जो देर रात तक जारी रही।  इस हड़ताल का असर हॉस्पिटल में होने वाले ऑपरेशन पर हुआ जहाँ सोमवार को 50 से ज़्यादा ऑपरेशन टालने पड़े। साथ ही ओपीडी सहित काई जरुरी सेवाएं भी प्रभवित हुई। 

ओपीडी 3970 पर पहुंची, साथ ही 150  ऑपरेशन टले 

नीट - पीजी कॉउंसलिंग 2021 में रेजीडेंट डॉक्टर्स की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द नीट-पीजी की काउंसलिंग कर नए डॉक्टर्स का एडमिशन दे और उन्हें सीटें अलॉट कर दे। डॉक्टर्स का कहना है कि फिलहाल वे सभी तरह की आपतकालीन सेवाओं को इस हड़ताल से बाहर रख रहे हैं। मगर सरकार ने अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की तो फिर सभी तरह की सेवाओं का बहिष्कार किया जा सकता है। 

हड़ताल के चलते अगर बात की जाए हड़ताल के पहले दिन जहाँ हॉस्पिटल में 249 में 195 (78.31 %) हड़ताल पर थे वही दूसरे दिन 212 (85.4 %)  रेजीडेंट डॉक्टर्स  इस हड़ताल में शामिल हुई है।   
मरीज़ो की बात की जाए तो इनके अनुपात में गिरवाट आई है। मंगलवार को एमबी हॉस्पिटल में 194 उन मरीज़ो को भर्ती किया गया जो की गंभीर हालत में थे। रोज़ के दिनों और भर्ती होने वाले मरीज़ो की संख्या की तुलना की जाए  तो औसतन 600 मरीज भर्ती होते है। ओपीडी में पहुंचे मरीज़ो को दूसरे दिन भी दो घंटो तक इंतजार करना पड़ा।  

सवाल यह है की ऐसे अगर मांगो को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर उतर आये हॉस्पिटल में आये मरीज़ो का इलाज़ कौन करेगा क्या उन्हें इस हड़ताल की वजह से कतारो में ही इंतज़ार करना पड़ेगा।?   

हड़ताल के चलते शिक्षा चिकित्सा सचिव वैभव गालरिया ने मंगलवार को एमबी हॉस्पिटल परिसर और वहां निर्माणाधीन सभी परिसर भवनों का मुआइना किया।  साथ है सम्बंधित अधिकारियो को जल्द काम करने के आदेश दिए। रेजिडेंट की कमी को देखते हुए अत्तिरिक्त मुख्य सचिव वित्त विभाग से बात कर तीन माह के लिए 108 जूनियर रेजिडेंट को रेजिडेंट के समक्ष काम करने के लिए अनुमति प्रदान की है।  गालरिया ने हॉस्पिटल में भर्ती सभी मरीज़ो से बात करते हुए पूछा  की दवाइयां समय पर दी जा रही है या नहीं ? डॉक्टर्स समय पर चेक अप के लिए आ रहे है नहीं ? इसके बाद सीनियर डॉक्टर्स के साथ  बैठक  की गयी।