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सोए हुए समाज को जगाते हैं संत: आचार्य मृदुरत्नसागर

श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में आचार्य मृदुरत्नसागर सूरिश्वर जी महाराज की धर्मसभा

 

रविवार को आचार्य श्री की निश्रा में आचार्य सागरानंद सूरिश्वर जी म.सा. की 147वीं जयंती तप-त्यागपूर्वक मनाई जाएगी

उदयपुर, 7 अगस्त 2021 । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ स्थली आयड़ तीर्थ पर वर्षावास कर रहे आचार्य मृदुरत्नसागर सूरिश्वर जी महाराज सा. ने शनिवार को धर्मसभा में कहा कि समय, सत्ता, संपत्ति और शरीर, सदा साथ नहीं देते परंतु स्वभाव, समझदारी, सत्संग और सच्चे संबंध सदा साथ देते हैं। समय कभी एक समान नहीं रहता है, जब अच्छा समय हो तो सत्ता, संपत्ति भी बेशुमार होती है और जब बुरा समय हो तो स्वयं का शरीर भी साथ देना छोड़ देता है। 

समय चाहे कैसा भी हो परंतु यदि हमारा स्वभाव अच्छा हो, समझ विकसित हो, सही हो, संतो का, गुरुजनों का आशीर्वाद हो और सच्चे लोगों से संबंध हो तो जीवन की हर मुसीबत समाप्त होती चली जाती है। शरीर में रोगों की शुरुआत मन से होती है, यदि मन मजबूत हो, विचार सकारात्मक हो तो कोई भी रोग हमें परेशान नहीं कर सकता। मन को मजबूत और विचारों को पॉजिटिव करने के लिए संतों का सानिध्य अत्यंत आवश्यक है। मुक्ति का सरल उपाय है संत दर्शन। कठिन परिश्रम करके, महान तपस्या करके जिन पुण्यों की कमाई होती है, वह पुण्य मात्र संत दर्शन से मिल जाता है। जो आत्मा पाप में पड़ कर बार-बार सो जाती है, उसे जागृत  करते हैं संत। सोए हुए समाज को जगाते हैं संत।

महासभा के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आचार्य श्री की निश्रा में आचार्य सागरानंद सूरिश्वर जी म.सा. की 147वीं जयंती तप-त्यागपूर्वक मनाई जाएगी। सोमवार प्रातः 10.30 बजे आचार्य श्री द्वारा महामांगलिक प्रदान की जाएगी।