रबरटायर रीसाइक्लिंग पर सेमिनार सम्पन्न
रबर व टायर को चार विधियों से रिसाइकल किया जा सकता है। लेकिन हर विधि में जन सुरक्षा, प्रकृति सुरक्षा व दूरगामी आर्थिक सुरक्षा जरूरी है। मैकेनिकल ग्राइंडिंग व क्रायोजिनिक विधियां पाइरोलाइसिस विधि से बेहतर है। पाइरोसिस विधि भी एक पू्रवन विधि है लेकिन इसमें बहुत जरूरी हैं कि प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली प्रदूषणकारी […]
Oct 13, 2012, 20:23 IST
यह विचार रबर टेक्नोलोजी विभाग, विधाभवन पालिटेकिनक महाविधालय, उदयपुर चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज तथा इणिडयन रबर इंस्टीटयूट के साझे में पालिटेकिनक सभागार में आयोजित परिचर्चा में उभरे। परिचर्चा के मुख्य वक्ता इणिडयन रबर इंस्टीटयूट के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. आर. मुखोपाध्याय ने व्यक्त किये। अध्यक्षता विधाभवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने की। परिचर्चा में यू सी सी आर्इ के अध्यक्ष महेन्द्र टाया, राजस्थान चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष रमेश चौधरी, कलडवास चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री के अध्यक्ष मनोज जोशी, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी जगदीश सिंह सहित विभिन्न उधोगपतियों, वैज्ञानिकों, पाइरोलाइसिस प्लांट संचालनकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन पालिटेकिनक के प्राचार्य अनिल मेहता ने किया |