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रबरटायर रीसाइक्लिंग पर सेमिनार सम्पन्न

रबर व टायर को चार विधियों से रिसाइकल किया जा सकता है। लेकिन हर विधि में जन सुरक्षा, प्रकृति सुरक्षा व दूरगामी आर्थिक सुरक्षा जरूरी है। मैकेनिकल ग्राइंडिंग व क्रायोजिनिक विधियां पाइरोलाइसिस विधि से बेहतर है। पाइरोसिस विधि भी एक पू्रवन विधि है लेकिन इसमें बहुत जरूरी हैं कि प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली प्रदूषणकारी […]

 

रबर व टायर को चार विधियों से रिसाइकल किया जा सकता है। लेकिन हर विधि में जन सुरक्षा, प्रकृति सुरक्षा व दूरगामी आर्थिक सुरक्षा जरूरी है। मैकेनिकल ग्राइंडिंग व क्रायोजिनिक विधियां पाइरोलाइसिस विधि से बेहतर है। पाइरोसिस विधि भी एक पू्रवन विधि है लेकिन इसमें बहुत जरूरी हैं कि प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली प्रदूषणकारी गैसों का उचित उपचार हो तथा बनने वाले तेल को सीधे प्रयोग में न लेकर उसका शुद्धीकरण व फिलटरार्इजेशन किया जाये। पाइरोलाइसिस विधि में टायर को उच्च तापक्रम पर दाब पर गलाया जाता है। इसमें उच्च स्तर की सुरक्षा जरूरी है। उदयपुर में ऐसे पाइरोलाइसिस प्लांट लगाने से पहले उनकों ओक्यूपेशनल हेल्थ एण्ड सैफटी एडमिनिस्ट्रेशन (ओशा 18001) एवं आर्इएसओ 14001 के मापदण्डों पर जांचा जाये। चाइना में बनने वाले कुछ पाइरोलाइसिस प्लांट इन मापदण्डों पर खरे नहीं उतरते अत: प्लांट लगाने से पूर्व सावधानी जरूरी है। भारत सरकार पाइरोलाइसिस उधोगों के क्लस्टर के लिए वित्तीय सहायता देती है। इस वित्तीय सहायता से प्रयोगशाला व प्रशिक्षण की स्थापना कर उत्तम गुणवत्ता के सुरक्षित व दक्ष प्लांट लगाये जा सकते है। विकास के लिए उधोग जरूरी है। अत: यदि पर्यावरण मानकों पर रिसाइकिलंग प्रक्रिया की जाती है व अपशिष्टों का सुरक्षित निस्तारण किया जाता है तो उधोगों का विरोध नहीं होना चाहिये।

यह विचार रबर टेक्नोलोजी विभाग, विधाभवन पालिटेकिनक महाविधालय, उदयपुर चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज तथा इणिडयन रबर इंस्टीटयूट के साझे में पालिटेकिनक सभागार में आयोजित परिचर्चा में उभरे। परिचर्चा के मुख्य वक्ता इणिडयन रबर इंस्टीटयूट के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. आर. मुखोपाध्याय ने व्यक्त किये। अध्यक्षता विधाभवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने की। परिचर्चा में यू सी सी आर्इ के अध्यक्ष महेन्द्र टाया, राजस्थान चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष रमेश चौधरी, कलडवास चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री के अध्यक्ष मनोज जोशी, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी जगदीश सिंह सहित विभिन्न उधोगपतियों, वैज्ञानिकों, पाइरोलाइसिस प्लांट संचालनकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन पालिटेकिनक के प्राचार्य अनिल मेहता ने किया |