बांसुरी की मधुर धुन में खोये वरिष्ठ नागरिक
वरिष्ठ नागरिक उम्र के इस पड़ाव में जीवन में खुश रहने की राह ढूंढ ही लेते है। इसके लिए वे छोटे-छोटे चुटुकले, कविता,भजन एंव संगीत के माध्यम से अपने जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास करते है। ऐसा ही कुछ कल वरिष्ठ नागरिक कल्य
वरिष्ठ नागरिक उम्र के इस पड़ाव में जीवन में खुश रहने की राह ढूंढ ही लेते है। इसके लिए वे छोटे-छोटे चुटुकले, कविता,भजन एंव संगीत के माध्यम से अपने जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास करते है। ऐसा ही कुछ कल वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग द्वारा येाग सेवा समिति परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में हुआ।
उमंग के संस्थापक अध्यक्ष डॅा. सुन्दरलाल दक ने कहा कि राजनीतिज्ञ वह व्यक्ति होता है जो बांध वहां बनाने की बात कहता है जहाँ जमीन नहीं है। हम सलाह देना पसन्द करते है लेकिन लेना नहीं। जीवन में उम्मीद ऐसी होनी चाहिये जो जीने को तथा राह ऐसी होनी चाहिये जो चलने को मजबूर करें।
वरिष्ठ नागरिक व समाज सेवी किरणमल सावनसुखा ने जहाँ महाराणा प्रताप पर राजस्थानी में कविता सुनायी वहीं चन्द्रा मेहता एवं ओ.पी.मेहता ने मंच पर कविता सुना कर सभी को भावुक कर दिया। शिवरतन तिवारी ने कहा कि माता-पिता में माता का दर्जा बहुत ऊँचा माना गया है। उन्होनें कहा कि चूम लेना उसकी हथेलियां किसी आगाज से पहले, सुना है मंच की हथेलियों में दुआएं होती है। मधु चावत,बी.एस.बक्षी एवं बी.एस.ओरडिय़ा ने चुटुकले सुनाकर सभी गुदगुदाया।
कार्यक्रम में संगीतकार जीवन दोशी ने बांसुरी पर राग ठुमरी में दादरा बंदिश सुनायी तो सभी सदस्य मंत्रमुग्ध हो गये। इसके इलावा दोशी ने बांसुरी व वॉचलिन पर भी अनेक धुनें प्रस्तुत की वाह-वाही लुटी। शिवदानसिंह तलेसरा,गिरिजा मेहता, शारदा तलेसरा ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।