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कल से शुरु होगा छठा राष्ट्रिय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018

नाट्यांश सोसाइटी ऑफ़ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित छठा राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज़ 2018 का शुभारम्भ 30 नवम्बर, शुक्रवार से होगा। पिछले पांच वर्षो की तरह इस वर्ष भी यह नाट्य उत्सव नारी और उनसे जुड़े विषयो पर केन्द्रित रहेगा और नारीत्व को समर्पित यह राजस्थान का एकमात्र नाट्य महोत्सव है।

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नाट्यांश सोसाइटी ऑफ़ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित छठा राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज़ 2018 का शुभारम्भ 30 नवम्बर, शुक्रवार से होगा। पिछले पांच वर्षो की तरह इस वर्ष भी यह नाट्य उत्सव नारी और उनसे जुड़े विषयो पर केन्द्रित रहेगा और नारीत्व को समर्पित यह राजस्थान का एकमात्र नाट्य महोत्सव है।

अल्फाज़ 2018 में नाटको के साथ साथ विभिन्न प्रकार की कला गतिविधियों का भी आयोजन किया गया है जिसमे कहानी मंचन, कविता पथ, नुक्कड़ नाटक, चित्रकला और लघु नाट्य प्रतियोगिता रखी गयी थी। अल्फाज़ 2018 में ‘ऑनलाइन फोटोग्राफी कम्पटीशन’ का भी आयोजन किया गया जिसमे 20 देशो के 150 छायाचित्रकारो ने अपने छायाचित्र भेजे जिन्हें उदयपुर के प्रसिद्ध फोटोग्राफर श्री क्लॉउड़े डी’सौजा और श्री धीरज बिलोची ने फोटोग्राफी के विभिन्न तकनीकी और कला पहलुओ को देखने ओर समझने के बाद इस प्रतियोगिता के विजेता का चुनाव किया। प्रतियोगिता में ध्रुवज्योती भट्टाचार्जी को प्रथम विजेता और अनिल कुमार बोस को प्रथम उपविजेता एवं जहान्वी भारद्वाज को द्वितीय उपविजेता घोषित किया गया।

अल्फाज़ 2018 में 100 नुक्कड़ नाटको का मंचन भी किया गया। नुक्कड़ नाटक ‘अनचाही’ जो की लडकियों के गर्भपात पर आधारित है और ‘तेरी-मेरी पार्टी’ जो की मतदान जागरूकता पर आधारित है। इन दोनों ही नुक्कड़ नाटक के 100 मंचन 14 नवम्बर से 29 नवम्बर के बिच उदयपुर के सार्वजनिक स्थानों पर किया गया जिसमे नाट्यांश के कलाकारों के साथ साथ यूनिवर्सिटी ऑफ़ लॉ के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।

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चार दिवसीय नाट्य उत्सव ‘अल्फ़ाज़ 2018’ को भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक पद्मश्री देवी लाल समर को उनकी पुण्यतिथि पर समर्पित किया जा रहा है जिसमे पहले दिन 30 नवम्बर को पश्चिम बंगाल से गोबरदांगा नक्षा के कलाकार नाटक ‘बिनोदिनी – अ वुमन अ ह्यूमन’ नाटक का मंचन करेगे।

मैनाक सेनगुप्ता द्वारा लिखित ओर आशीष दास द्वारा निर्देशित यह नाटक रंगकर्मी बिनोदिनी दासी के जीवन पर आधारित है। बिनोदिनी ने 12 वर्ष की उम्र में रंगमंच में कदम रखा और 23 वर्ष की उम्र में नाटको से सदा के लिए अलविदा कह दिया क्युकी वो एक वैश्या की बेटी थी और उस समय समाज उन्हें एक कलाकार के रूप में अपना नहीं पा रहा था और उन पर लगातार वैश्यावृति को अपनाने के लिए दबाव बनाया गया। तब उन्होंने रंगमच को त्यागा तथा वैश्यावृति को ना अपनाकर अपना जीवन सम्मान के साथ समाज से दूर रहकर बिताया।

दुसरे दिन 1 दिसम्बर को दिल्ली के प्रस्ताव थिएटर समूह के कलाकारों द्वारा नाटक ‘महुआ चरित’ का मंचन किया जायेगा। काशीनाथ सिंह द्वारा लिखित इस उपन्यास का नाट्य रूपांतर ओर निर्देशन किया है राज नरेन दीक्षित ने। नारी मन के विभिन्न भावो को प्रस्तुत करता यह नाटक लड़की महुआ की कहानी पर आधारित है।

तीसरे दिन 2 दिसम्बर नाट्यांश द्वारा नाटक ‘किस्सा मौजपुर का’ मंचन होगा। जयवर्धन द्वारा लिखित और अब्दुल मुबीन खान द्वारा निर्देशित यह नाटक मौजपुर गाव की कहानी है जहा लडकियों का गर्भपात किया जाता है और फिर एक समय ऐसा आता है जब गाव में एक भी लड़की नहीं होती पूरा गाँव लडको से भरा होता है। समस्या तब आती है जब कोई भी अपनी लड़की का ब्याह इस गाँव में करने को राज़ी नहीं होता। तब उस गाँव के लोगो को अपनी गलती का अहसास होता है पर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

चौथे दिन 3 दिसम्बर को टीम नाट्यांश करेगी ‘पागलखाना’ का मंचन। अशोक कुमार ‘अंचल’ द्वारा लिखित ओर अशफाक नूर खान द्वारा निर्देशित इस नाटक में सभी पात्र पागलखाने के जरुर है मगर वो समाज का आइना दिखा जाते है।

प्रवेश नि:शुल्क

कार्यक्रम संयोजक रेखा सिसोदिया ने बताया की इस नाट्य महोत्सव की सभी प्रस्तुतिय भारतीय लोक कला मंडल के सभागार में 30 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक राखी गयी है। अल्फाज़ 2018 पूरी तरह से जन सहभागिता और रंगमंच प्रेमियों के व्यक्तिगत अनुदान से आयोजित किया जा रहा है। इसमे किसी भी तरह का व्यावसायिकरण का समावेश नहीं है। दर्शको के लिए प्रवेश पूरी तरह से नि:शुल्क रखा गया है। नाट्य प्रस्तुति का समय सायः काल 6:30 बजे का है।